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Revised Common Lectionary (Semicontinuous)

Daily Bible readings that follow the church liturgical year, with sequential stories told across multiple weeks.
Duration: 1245 days
Saral Hindi Bible (SHB)
Version
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मत्तियाह 23:13-28

शास्त्रियों और फ़रीसियों पर सात उल्लाहनाएं

13 “धिक्कार है तुम पर पाखण्डी, फ़रीसियो, शास्त्रियो! जनसाधारण के लिए तो तुम स्वर्ग-राज्य के द्वार बन्द कर देते हो. तुम न तो स्वयं इसमें प्रवेश करते हो और न किसी अन्य को ही प्रवेश करने देते हो.

14 “धिक्कार है तुम पर पाखण्डी, फ़रीसियो, शास्त्रियो! तुम लम्बी-लम्बी प्रार्थनाओं का ढोंग करते हुए विधवाओं की सम्पत्ति निगल जाते हो. इसलिए अधिक होगा तुम्हारा दण्ड.

15 “धिक्कार है तुम पर पाखण्डी, फ़रीसियो, शास्त्रियो! तुम एक व्यक्ति को अपने मत में लाने के लिए लम्बी-लम्बी जल और थल यात्राएँ करते हो. उसके तुम्हारे मत में सम्मिलित हो जाने पर तुम उसे नर्क की आग के दण्ड का दोगुना अधिकारी बना देते हो.

16 “धिक्कार है तुम पर अंधे अगुवों! तुम जो यह शिक्षा देते हो, ‘यदि कोई मन्दिर की शपथ लेता है तो उसका कोई महत्व नहीं किन्तु यदि कोई मन्दिर के सोने की शपथ लेता है तो उसके लिए प्रतिज्ञा पूरी करना ज़रूरी हो जाता है.’ 17 अरे मूर्खो और अन्धो! अधिक महत्वपूर्ण क्या है—सोना या वह मन्दिर जिससे वह सोना पवित्र होता है? 18 इसी प्रकार तुम कहते हो, ‘यदि कोई वेदी की शपथ लेता है तो उसका कोई महत्व नहीं किन्तु यदि कोई वेदी पर चढ़ाई भेंट की शपथ लेता है तो उसके लिए अपनी प्रतिज्ञा पूरी करना ज़रूरी है.’ 19 अरे अन्धो! अधिक महत्वपूर्ण क्या है, वेदी पर चड़ाई भेंट या वेदी जिससे भेंट पवित्र होती है? 20 इसलिए जो कोई वेदी की शपथ लेता है, वह वेदी तथा वेदी पर समर्पित भेंट दोनों ही की शपथ लेता है. 21 जो कोई मन्दिर की शपथ लेता है, वह मन्दिर तथा उनकी, जो इसमें रहते हैं, दोनों ही की शपथ लेता है. 22 इसी प्रकार जो कोई स्वर्ग की शपथ लेता है, वह परमेश्वर के सिंहासन की तथा उनकी जो उस पर बैठा हैं, दोनों ही की शपथ लेता है.

23 “धिक्कार है तुम पर पाखण्डी, फ़रीसियो, शास्त्रियो! तुम पुदीना, सौंफ़ तथा ज़ीरा का दसवां अंश तो अवश्य देते हो किन्तु व्यवस्था की कहीं अधिक गंभीर बातों का अर्थात् न्याय, कृपा तथा विश्वास की उपेक्षा करते हो. यही वे बातें हैं जिनका पूरा करना आवश्यक था—दूसरों की अनदेखी किए बिना.

24 “अंधे अगुवों! तुम मक्खी तो छान कर निकाल फेंकते हो किन्तु ऊँट निगल जाते हो!

25 “धिक्कार है तुम पर पाखण्डी, फ़रीसियो, शास्त्रियो! प्याले तथा बर्तन को बाहर से तो तुम अच्छी तरह से साफ़ करते हो किन्तु अंदर लालच तथा विलासिता भरी है. 26 अंधे फ़रीसियो! पहले प्याले तथा बर्तन को भीतर से साफ़ करो कि वे बाहर से भी साफ़ हो जाएँ.

27 “धिक्कार है तुम पर पाखण्डी, फ़रीसियो, शास्त्रियो! तुम क़ब्रों के समान हो, जो बाहर से तो सजायी-सँवारी जाती हैं किन्तु भीतर मरे हुए व्यक्ति की हड्डियाँ तथा सब प्रकार की गंदगी भरी होती है. 28 तुम भी बाहर से तो मनुष्यों को धर्मी दिखाई देते हो किन्तु तुम्हारे अंदर कपट तथा अधर्म भरा हुआ है.

Saral Hindi Bible (SHB)

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