Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
फलहीन अंजीर के पेड़ का मुरझाना
18 भोर को जब वह नगर में लौट कर आ रहे थे, उन्हें भूख लगी. 19 मार्ग के किनारे एक अंजीर का पेड़ देख कर वह उसके पास गए किन्तु उन्हें उसमें पत्तियों के अलावा कुछ नहीं मिला. इस पर येशु ने उस पेड़ को शाप दिया, “अब से तुझ में कभी कोई फल नहीं लगेगा.” तुरन्त ही वह पेड़ मुरझा गया.
20 यह देख शिष्य हैरान रह गए. उन्होंने प्रश्न किया, “अंजीर का यह पेड़ तुरन्त ही कैसे मुरझा गया?”
21 येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “तुम इस सच्चाई को समझ लो: यदि तुम्हें विश्वास हो—सन्देह तनिक भी न हो—तो तुम न केवल वह करोगे, जो इस अंजीर के पेड़ के साथ किया गया परन्तु तुम यदि इस पर्वत को भी आज्ञा दोगे, ‘उखड़ जा और समुद्र में जा गिर!’ तो यह भी हो जाएगा. 22 प्रार्थना में विश्वास से तुम जो भी विनती करोगे, तुम उसे प्राप्त करोगे.”
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