Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
29 “धिक्कार है तुम पर पाखण्डी, फ़रीसियो, शास्त्रियो! तुम भविष्यद्वक्ताओं की क़ब्रें सँवारते हो तथा धर्मी व्यक्तियों के स्मारक को सजाते हो और कहते हो 30 ‘यदि हम अपने पूर्वजों के समय में होते, हम इन भविष्यद्वक्ताओं की हत्या के साझी न होते.’ 31 यह कह कर तुम स्वयं अपने ही विरुद्ध गवाही देते हो कि तुम उनकी सन्तान हो जिन्होंने भविष्यद्वक्ताओं की हत्या की थी. 32 ठीक है! भरते जाओ अपने पूर्वजों के पापों का घड़ा.”
उनके अपराध तथा आनेवाला दण्ड
33 “अरे सांपो! विषधर की सन्तान! कैसे बचोगे तुम नर्क-दण्ड से? 34 इसलिए मेरा कहना सुनो: मैं तुम्हारे पास भविष्यद्वक्ता, ज्ञानी और पवित्रशास्त्र के शिक्षक भेज रहा हूँ. उनमें से कुछ की तो तुम हत्या करोगे, कुछ को तुम क्रूस पर चढ़ाओगे तथा कुछ को तुम यहूदी-सभागृह में कोड़े लगाओगे और नगर-नगर यातनाएँ दोगे 35 कि तुम पर सभी धर्मी व्यक्तियों के पृथ्वी पर बहाए लहू का दोष आ पड़े—धर्मी हाबिल के लहू से ले कर बैरेखाया के पुत्र ज़कर्याह के लहू तक का, जिसका वध तुमने मन्दिर और वेदी के बीच किया. 36 सच तो यह है कि इन सबका दण्ड इसी पीढ़ी पर आ पड़ेगा.”
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