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Revised Common Lectionary (Semicontinuous)

Daily Bible readings that follow the church liturgical year, with sequential stories told across multiple weeks.
Duration: 1245 days
Saral Hindi Bible (SHB)
Version
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प्रेरित 15:1-21

अन्तियोख़ नगर में मतभेद

15 कुछ व्यक्ति यहूदिया प्रदेश से अन्तियोख़ नगर आ कर प्रभु के शिष्यों को यह शिक्षा देने लगे, “मोशेह की व्यवस्था के अनुसार यदि तुम्हारा ख़तना न हो तो तुम्हारा उद्धार असम्भव है.” इस विषय में पौलॉस और बारनबास का उनके साथ गहरा मतभेद हो गया और उनमें उग्र विवाद छिड़ गया. तब एकमत होकर यह निश्चय किया गया कि पौलॉस और बारनबास को कुछ अन्य शिष्यों के साथ इस विषय पर विचार-विमर्श के उद्देश्य से प्रेरितों और पुरनियों के पास येरूशालेम भेज दिया जाए. कलीसिया ने उन्हें विदा किया. तब वे फ़ॉयनिके तथा शोमरोन प्रदेशों से होते हुए आगे बढ़े और वहाँ भी अन्यजातियों द्वारा मसीह को स्वीकार किए जाने का विस्तृत वर्णन करते गए जिससे सभी शिष्यों में अपार हर्ष की लहर दौड़ गई. उनके येरूशालेम पहुँचने पर कलीसिया, प्रेरितों तथा पुरनियों ने उनका स्वागत किया. पौलॉस और बारनबास ने उन्हें उन सभी कामों का विवरण दिया, जो परमेश्वर ने उनके माध्यम से किए थे.

येरूशालेम नगर में मतभेद

किन्तु फ़रीसी सम्प्रदाय से निकल कर आए कुछ विश्वासी विरोध में कहने लगे, “आवश्यक है कि अन्यजातियों का ख़तना हो और उन्हें मोशेह की व्यवस्था का पालन करने का निर्देश दिया जाए.”

प्रेरित तथा प्राचीन इस विषय पर विचार-विमर्श के उद्देश्य से इकट्ठा हुए. एक लम्बे विचार-विमर्श के बाद पेतरॉस खड़े हुए और उन्होंने सभा को सम्बोधित करते हुए कहा.

पेतरॉस का भाषण

“प्रियजन, आपको यह मालूम ही है कि कुछ समय पहले परमेश्वर ने यह सही समझा कि अन्यजाति मेरे द्वारा ईश्वरीय सुसमाचार सुनें और विश्वास करें. मनों को जाँचनेवाले परमेश्वर ने ठीक हमारे जैसे उन्हें भी पवित्रात्मा प्रदान करके इसकी गवाही दी. उन्होंने उनके हृदय विश्वास द्वारा शुद्ध करके हमारे और उनके बीच कोई भेद न रहने दिया. 10 इसलिए अब तुम लोग इन शिष्यों की गर्दन पर वह जुआ रख कर परमेश्वर को क्यों परख रहे हो, जिसे न तो हम और न हमारे पूर्वज ही उठा पाए? 11 हमारा विश्वास तो यह है कि प्रभु मसीह येशु के अनुग्रह के द्वारा हमारा उद्धार ठीक वैसे ही हुआ है जैसे उनका.”

12 बारनबास और पौलॉस के भाषण को सभा के सभी सदस्य चुपचाप सुन रहे थे कि परमेश्वर ने किस प्रकार उनके माध्यम से अन्यजातियों के बीच अद्भुत चिह्न दिखाए हैं.

याक़ोब का भाषण

13 उनके भाषण के खत्म होने पर याक़ोब ने सभा को सम्बोधित किया, “प्रियजन, मेरा विचार यह है: 14 शिमोन ने इस बात की ओर हमारा ध्यान आकर्षित किया है कि प्रारम्भ में परमेश्वर ने किस प्रकार अन्यजातियों में से अपने लिए प्रजा का निर्माण करने में रुचि प्रकट की है. 15 भविष्यद्वक्ताओं के अभिलेख भी इसका समर्थन करते हैं, जैसा कि लिखा है:

16 “‘इन घटनाओं के बाद मैं लौट आऊँगा
    और दाविद के ध्वस्त मण्डप को दोबारा बनाऊँगा.
और खण्डहरों को फिर खड़ा करूँगा,
17 जिससे शेष मानवजाति परमेश्वर को पा सके,
    तथा वे सभी अन्यजाति भी,
जिन पर मेरे नाम की छाप लगी है.’
18     यह उन्हीं प्रभु की आवाज़ है, जो पुरातन काल से इन बातों को प्रकट करते आए हैं.”

19 “इसलिए मेरा फैसला यह है, कि हम उन अन्यजातियों के लिए कोई कठिनाई उत्पन्न न करें, जो परमेश्वर की ओर फिर रहे हैं. 20 परन्तु अच्छा यह होगा कि हम उन्हें यह आज्ञा लिख भेजें कि वे मूर्तियों की अशुद्धता से खुद को बचाए रखें, वेश्यागामी तथा गला घोंट कर मारे गए पशुओं के माँस से दूर रहें और लहू का सेवन न करें. 21 याद रहे: यह मोशेह के उसी व्यवस्था के अनुरूप है जिसका वाचन पूर्वकाल से हर एक शब्बाथ पर यहूदी सभागृहों में किया जाता है.”

Saral Hindi Bible (SHB)

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