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Revised Common Lectionary (Semicontinuous)

Daily Bible readings that follow the church liturgical year, with sequential stories told across multiple weeks.
Duration: 1245 days
Saral Hindi Bible (SHB)
Version
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रोमियों 9:14-29

न्याय्य परमेश्वर

14 तब इसका मतलब क्या हुआ? क्या इस विषय में परमेश्वर अन्यायी थे? नहीं! बिलकुल नहीं! 15 परमेश्वर ने मोशेह से कहा था,

“मैं जिस किसी पर चाहूँ,
    कृपादृष्टि करूँगा और जिस किसी पर चाहूँ करुणा.”

16 इसलिए यह मनुष्य की इच्छा या प्रयासों पर नहीं परन्तु परमेश्वर की कृपादृष्टि पर निर्भर है. 17 पवित्रशास्त्र में फ़रोह को सम्बोधित करते हुए लिखा है, “तुम्हारी उत्पत्ति के पीछे मेरा एकमात्र उद्देश्य था तुम में मेरे प्रताप का प्रदर्शन कि सारी पृथ्वी में मेरे नाम का प्रचार हो.”

सर्वशक्तिमान परमेश्वर

18 इसलिए परमेश्वर अपनी इच्छा के अनुसार अपने चुने हुए जन पर कृपा करते तथा जिसे चाहते उसे हठीला बना देते हैं. 19 सम्भवत: तुममें से कोई यह प्रश्न उठाए, “तो फिर परमेश्वर हममें दोष क्यों ढूंढ़ते हैं? भला कौन उनकी इच्छा के विरुद्ध जा सकता है?” 20 तुम कौन होते हो कि परमेश्वर से वाद-विवाद का दुस्साहस करो? क्या कभी कोई वस्तु अपने रचनेवाले से यह प्रश्न कर सकती है, “मुझे ऐसा क्यों बनाया है आपने?” 21 क्या कुम्हार का यह अधिकार नहीं कि वह मिट्टी के एक ही पिण्ड से एक बर्तन अच्छे उपयोग के लिए तथा एक बर्तन साधारण उपयोग के लिए गढ़े?

22 क्या हुआ यदि परमेश्वर अपने क्रोध का प्रदर्शन और अपने सामर्थ्य के प्रकाशन के उद्देश्य से अत्यन्त धीरज से विनाश के लिए निर्धारित पात्रों की सहते रहे? 23 इसमें उनका उद्देश्य यही था कि वह कृपापात्रों पर अपनी महिमा के धन को प्रकाशित कर सकें, जिन्हें उन्होंने महिमा ही के लिए पहले से तैयार कर लिया था 24 हमें भी, जो उनके द्वारा बुलाए गए हैं, मात्र यहूदियों ही में से नहीं, परन्तु अन्यजातियों में से भी.

सब कुछ पुराने नियम में पहले से ही घोषित है

25 जैसा कि वह भविष्यद्वक्ता होशे के अभिलेख में भी कहते हैं:

“मैं उन्हें ‘अपनी प्रजा’ घोषित करूँगा,
    जो मेरी प्रजा नहीं थे तथा उन्हें प्रिय सम्बोधित करूँगा, जो प्रियजन थे ही नहीं,”

26 और,

“जिस स्थान पर उनसे यह कहा गया था,
    ‘तुम मेरी प्रजा नहीं हो,’
    उसी स्थान पर वे जीवित परमेश्वर की ‘सन्तान घोषित किए जाएँगे.’”

27 भविष्यद्वक्ता यशायाह इस्राएल के विषय में कातर शब्द में कहते हैं:

“यद्यपि इस्राएल के वंशजों की संख्या समुद्रतट की बालू के कणों के तुल्य है,
    उनमें से थोड़े ही बचाए जाएंगे.
28 क्योंकि परमेश्वर पृथ्वी पर
    अपनी दण्ड की आज्ञा का कार्य शीघ्र ही पूरा करेंगे.

29 ठीक जैसी भविष्यद्वक्ता यशायाह की पहले से लिखित बात है:

“यदि स्वर्गीय सेनाओं के प्रभु ने
    हमारे लिए वंशज न छोड़े होते तो
    हमारी दशा सोदोम,
    और अमोराह नगरों के समान हो जाती.”

Saral Hindi Bible (SHB)

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