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Revised Common Lectionary (Semicontinuous)

Daily Bible readings that follow the church liturgical year, with sequential stories told across multiple weeks.
Duration: 1245 days
Saral Hindi Bible (SHB)
Version
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रोमियों 6:1-11

पाप के प्रति मरे हुए, परमेश्वर के लिए जीवित

तो फिर? क्या हम पाप करते जाएँ कि अनुग्रह बहुत होता जाए? नहीं! बिलकुल नहीं! यह कैसे सम्भव है कि हम, जो पाप के प्रति मर चुके हैं, उसी में जीते रहें? कहीं तुम इस सच्चाई से अनजान तो नहीं कि हम सभी, जो मसीह येशु में बपतिस्मा ले चुके हैं, उनकी मृत्यु में बपतिस्मा लिए हुए हैं? इसलिए मृत्यु के बपतिस्मा में हम उनके साथ गाड़े जा चुके हैं कि जिस प्रकार मसीह येशु पिता के प्रताप में मरे हुओं में से जीवित किए गए, हम भी जीवन की नवीनता में व्यवहार करें.

यदि हम मसीह येशु की मृत्यु की समानता में उनके साथ जोड़े गए हैं तो निश्चित ही हम उनके पुनरुत्थान की समानता में भी उनके साथ जोड़े जाएँगे. हमें यह मालूम है कि हमारा पहले का मनुष्यत्व मसीह येशु के साथ ही क्रूसित हो गया था कि हमारे पाप का शरीर निर्बल हो जाए और इसके बाद हम पाप के दास न रहें क्योंकि जिसकी मृत्यु हो चुकी, वह पाप की अधीनता से अलग हो चुका.

अब, यदि मसीह येशु के साथ हमारी मृत्यु हो चुकी है, हमारा विश्वास है कि हम उनके साथ जीवित भी रहेंगे. हम यह जानते हैं कि मरे हुओं में से जीवित मसीह येशु की मृत्यु अब कभी नहीं होगी. उन पर मृत्यु का अधिकार नहीं रहा. 10 उनकी यह मृत्यु हमेशा-हमेशा के लिए पाप के प्रति मृत्यु थी. अब उनका जीवन परमेश्वर से जुड़ा हुआ जीवन है.

11 इसलिए तुम भी अपने आप को पाप के प्रति मरा हुआ तथा मसीह येशु में परमेश्वर के प्रति जीवित समझो.

मत्तियाह 10:24-39

24 “शिष्य अपने गुरु से श्रेष्ठ नहीं और न दास अपने स्वामी से. 25 शिष्य के पक्ष में यही काफी है कि वह अपने गुरु के तुल्य हो जाए तथा दास अपने स्वामी के. यदि उन्होंने परिवार के प्रधान को ही शैतान घोषित कर दिया तो उस परिवार के सदस्यों को क्या कुछ न कहा जाएगा!

26 “इसलिए उनसे भयभीत न होना क्योंकि ऐसा कुछ भी छुपा नहीं, जिसे खोला न जाएगा या ऐसा कोई रहस्य नहीं, जिसे प्रकट न किया जाएगा. 27 मैं जो कुछ तुम पर अन्धकार में प्रकट कर रहा हूँ, उसे प्रकाश में स्पष्ट करो और जो कुछ तुमसे कान में कहा गया है, उसकी घोषणा हर जगह करो. 28 उनसे भयभीत न हो, जो शरीर को तो नाश कर सकते हैं किन्तु आत्मा को नाश करने में असमर्थ हैं. सही तो यह है कि भयभीत उनसे हो, जो आत्मा और शरीर दोनों को नर्क में नाश करने में समर्थ हैं. 29 क्या दो गौरैयाँ बहुत सस्ती नहीं बिकतीं? फिर भी ऐसा नहीं कि यदि उनमें से एक भी भूमि पर गिर जाए और तुम्हारे पिता को उसके विषय में मालूम न हो. 30 तुम्हारे सिर का तो एक-एक बाल गिना हुआ है. 31 इसलिए भयभीत न हो. तुम्हारा दाम अनेक गौरैयों से कहीं अधिक है.

32 “जो कोई मुझे मनुष्यों के सामने स्वीकार करता है, मैं भी उसे अपने स्वर्गीय पिता के सामने स्वीकार करूँगा 33 किन्तु जो कोई मुझे मनुष्यों के सामने अस्वीकार करता है, उसे मैं भी अपने स्वर्गीय पिता के सामने अस्वीकार करूँगा.

34 “यह न समझो कि मैं पृथ्वी पर मेल मिलाप के लिए आया हूँ. मैं मेल मिलाप के लिए नहीं, बँटवारे के लिए आया हूँ.

35 “मैं आया हूँ कि पुत्र को उसके पिता के,
    पुत्री को उसकी माता के तथा बहू को उसकी सास के विरुद्ध उकसाऊँ—
36     मनुष्य के परिजन ही उसके शत्रु होंगे.

37 “वह, जिसे मेरे बजाय अपने माता-पिता से अधिक लगाव है, मेरे योग्य नहीं है तथा जिसे मेरी बजाय अपने पुत्र-पुत्री से अधिक प्रेम है, वह मेरे योग्य नहीं. 38 वह, जो अपना क्रूस स्वयं उठाए हुए मेरा अनुसरण नहीं करता, मेरे योग्य नहीं. 39 वह, जो यह समझता है कि उसने जीवन पा लिया है, वह उसे खो देगा तथा वह, जिसने मेरे लिए अपना जीवन खो दिया है, उसे सुरक्षित पाएगा.

Saral Hindi Bible (SHB)

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