Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
पर्वत से प्रवचन
5 इकट्ठा हो रही भीड़ को देख येशु पर्वत पर चले गए और जब वह बैठ गए तो उनके शिष्य उनके पास आए. 2 येशु ने उन्हें शिक्षा देना प्रारम्भ किया.
धन्य वचन
(लूकॉ 6:17-26)
3 “धन्य हैं वे, जो दीन आत्मा के हैं
क्योंकि स्वर्ग-राज्य उन्हीं का है.
4 धन्य हैं वे, जो शोक करते हैं.
क्योंकि उन्हें शान्ति दी जाएगी.
5 धन्य हैं वे, जो नम्र हैं
क्योंकि पृथ्वी उन्हीं की होगी.
6 धन्य हैं वे, जो धर्म के भूखे और प्यासे हैं
क्योंकि उन्हें तृप्त किया जाएगा.
7 धन्य हैं वे, जो कृपालु हैं
क्योंकि उन पर कृपा की जाएगी.
8 धन्य हैं वे, जिनके हृदय शुद्ध हैं
क्योंकि वे परमेश्वर को देखेंगे.
9 धन्य हैं वे, जो शान्ति कराने वाले हैं
क्योंकि वे परमेश्वर की सन्तान कहलाएँगे.
10 धन्य हैं वे, जो धर्म के कारण सताए गए हैं
क्योंकि स्वर्ग-राज्य उन्हीं का है.
11 “धन्य हो तुम, जब लोग तुम्हारी निन्दा करें और सताएं तथा तुम्हारे विषय में मेरे कारण सब प्रकार के बुरे विचार फैलाते हैं. 12 हर्षोल्लास में आनन्द मनाओ क्योंकि तुम्हारा प्रतिफल स्वर्ग में है. उन्होंने उन भविष्यद्वक्ताओं को भी इसी रीति से सताया था, जो तुमसे पहले आए हैं.
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