Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
मसीह येशु की अनन्तता
48 इस पर यहूदी बोले, “तो क्या हमारा यह मत सही नहीं कि तुम शोमरोनवासी हो और तुम में दुष्टात्मा समाया हुआ है?” 49 मसीह येशु ने उत्तर दिया, “मुझमें दुष्टात्मा नहीं है. मैं अपने पिता का सम्मान करता हूँ और तुम मेरा अपमान करते हो. 50 मैं अपनी महिमा के लिए प्रयास नहीं करता हूँ; एक हैं, जो इसके लिए प्रयास करते हैं और निर्णय भी वही करते हैं. 51 मैं तुम पर यह अटल सच्चाई प्रकट कर रहा हूँ: यदि कोई मेरी शिक्षा का पालन करेगा, उसकी मृत्यु कभी न होगी.”
52 इस पर यहूदियों ने मसीह येशु से कहा, “अब हमें निश्चय हो गया कि तुम में दुष्टात्मा है. अब्राहाम और भविष्यद्वक्ताओं की मृत्यु हो चुकी और तुम कहते हो कि जो कोई तुम्हारी शिक्षा का पालन करेगा, उसकी मृत्यु कभी न होगी. 53 क्या तुम हमारे पिता अब्राहाम से भी बड़े हो? उनकी मृत्यु हुई और भविष्यद्वक्ताओं की भी. तुम अपने आप को समझते क्या हो?”
54 मसीह येशु ने उत्तर दिया, “यदि मैं स्वयं को महिमित करता हूँ तो मेरी महिमा व्यर्थ है. जिन्होंने मुझे महिमित किया है वह मेरे पिता हैं, जिन्हें तुम अपना पिता मानते हो. 55 तुम उन्हें नहीं जानते, मैं उन्हें जानता हूँ. यदि मैं यह कहता कि मैं उन्हें नहीं जानता तो मैं भी तुम्हारे समान झूठा साबित हो जाऊँगा. मैं उन्हें जानता हूँ, इसलिए उनके आदेशों का पालन करता हूँ. 56 तुम्हारे पिता अब्राहाम मेरा दिन देखने की आशा में मगन हुए थे. उन्होंने इसे देखा और आनन्दित हुए.”
57 तब यहूदियों ने कटाक्ष किया, “तुम्हारी आयु तो अभी पचास वर्ष की भी नहीं है और तुमने अब्राहाम को देखा है?”
58 मसीह येशु ने उनसे कहा, “मैं तुम पर यह अटल सच्चाई प्रकट कर रहा हूँ: अब्राहाम के जन्म के पूर्व से मैं हूँ.” 59 यह सुनते ही उन्होंने मसीह येशु का पथराव करने के लिए पत्थर उठा लिए किन्तु मसीह येशु उनकी दृष्टि से बचते हुए मन्दिर से निकल गए.
New Testament, Saral Hindi Bible (नए करार, सरल हिन्दी बाइबल) Copyright © 1978, 2009, 2016 by Biblica, Inc.® All rights reserved worldwide.