Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
12 इसलिए परमेश्वर के चुने हुए, पवित्र लोगों तथा प्रिय पात्रों के समान अपने हृदयों में करुणा, भलाई, विनम्रता, दीनता तथा धीरज धारण कर लो. 13 आपस में सहनशीलता और क्षमा करने का भाव बना रहे. यदि किसी को किसी अन्य के प्रति शिकायत हो, वह उसे उसी प्रकार क्षमा करे जैसे प्रभु ने तुम्हें क्षमा किया है 14 और इन सब से बढ़कर प्रेम-भाव बनाए रखो, जो एकता का समूचा सूत्र है.
15 तुम्हारे हृदय में मसीह की शान्ति राज्य करे—वस्तुत: एक शरीर में तुम्हें इसी के लिए बुलाया गया है. हमेशा धन्यवादी बने रहो. 16 तुम में मसीह के वचन को अपने हृदय में पूरी अधिकाई से बसने दो. एक दूसरे को सिद्ध ज्ञान में शिक्षा तथा चेतावनी दो और परमेश्वर के प्रति हार्दिक धन्यवाद के साथ स्तुति, भजन तथा आत्मिक गीत गाओ 17 तथा वचन और काम में जो कुछ करो, वह सब प्रभु मसीह येशु के नाम में पिता परमेश्वर का आभार मानते हुए करो.
New Testament, Saral Hindi Bible (नए करार, सरल हिन्दी बाइबल) Copyright © 1978, 2009, 2016 by Biblica, Inc.® All rights reserved worldwide.