Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
5 इसलिए अपनी पृथ्वी की देह के अंगों को—वेश्यागामी, अशुद्धता, दुष्कामना, लालसा तथा लोभ को, जो वास्तव में मूर्तिपूजा ही है—मार दो 6 क्योंकि इन्हीं के कारण परमेश्वर का क्रोध भड़क उठता है. 7 एक समय तुम्हारा जीवन भी इन्हीं में लीन था. 8 किन्तु अब तुम सभी क्रोध, रोष, बैरभाव, निन्दा तथा गंदी भाषा का भी त्याग कर दो. 9 एक दूसरे से झूठ मत बोलो क्योंकि तुम पुराने स्वभाव को उसके कामों सहित उतार चुके 10 और अब तुमने नए स्वभाव को धारण कर लिया है. यह स्वभाव अपने सृष्टिकर्ता की छवि के अनुसार वास्तविक ज्ञान के लिए नया होता जाता है. 11 परिणामस्वरूप अब यूनानी या यहूदी, ख़तनित या खतनारहित, बरबर या स्कूती, दास या मुक्त में कोई भेद नहीं है—मसीह ही सब कुछ और सब में मुख्य हैं.
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