Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
उत्सव के समय मसीह येशु के प्रवचन
14 जब उत्सव के मध्य मसीह येशु मन्दिर में जा कर शिक्षा देने लगे, 15 यहूदी चकित हो कर कहने लगे, “यह व्यक्ति बिना पढ़े ज्ञानी कैसे बन गया?” 16 मसीह येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “यह शिक्षा मेरी नहीं परन्तु उनकी है, जिन्होंने मुझे भेजा है. 17 यदि कोई व्यक्ति उनकी इच्छा पूरी करने के लिए प्रण करे तो उसे यह मालूम हो जाएगा कि यह शिक्षा परमेश्वर की ओर से है या मेरी ओर से. 18 वह, जो अपने ही विचार प्रस्तुत करता है, अपना ही आदर चाहता है, परन्तु वह, जो अपने भेजनेवाले का आदर चाहता है, वह बिल्कुल सच्चा है और उसमें कोई छल नहीं. 19 क्या मोशेह ने तुम्हें व्यवस्था नहीं दिया? फिर भी तुम में से कोई उसका पालन नहीं करता. मेरी हत्या की ताक में क्यों हो तुम?”
20 भीड़ ने उत्तर दिया, “कौन तुम्हारी हत्या करना चाहता है? तुम प्रेतात्मा से पीड़ित हो.”
21 मसीह येशु ने कहा, “मैंने शब्बाथ पर एक चमत्कार किया और तुम सब क्रोधित हो गए. 22 मोशेह ने तुम्हें ख़तना विधि दी—परन्तु इसको आरम्भ करने वाले मोशेह नहीं, हमारे कुलपिता हैं—जिसके अनुसार तुम शब्बाथ पर भी ख़तना करते हो. 23 तुम शब्बाथ पर भी ख़तना करते हो कि मोशेह का व्यवस्था भंग न हो, तो तुम लोग इससे गुस्से में क्यों हो कि मैंने शब्बाथ पर किसी को पूरी तरह स्वस्थ किया? 24 तुम्हारा न्याय बाहरी रूप पर नहीं परन्तु सच्चाई पर आधारित हो.”
लोगों द्वारा मसीह के आने पर विचार-विमर्श
25 येरूशालेमवासियों में से कुछ ने यह प्रश्न किया, “क्या यह वही नहीं, वे जिसकी हत्या की ताक में हैं? 26 परन्तु देखो, वह भीड़ से खुल कर, बिना डर के बातें करता है और अधिकारी कुछ भी नहीं कहते! कहीं ऐसा तो नहीं कि अधिकारियों को मालूम हो गया है कि यही वास्तव में मसीह हैं? 27 इस व्यक्ति की पृष्ठभूमि हमें मालूम है, किन्तु जब मसीह प्रकट होंगे तो किसी को यह मालूम नहीं होगा कि वह कहाँ के हैं.”
28 मन्दिर में शिक्षा देते हुए मसीह येशु ने ऊँचे शब्द में कहा, “तुम मुझे जानते हो और यह भी जानते हो कि मैं कहाँ से आया हूँ. सच यह है कि मैं स्वयं नहीं आया. जिन्होंने मुझे भेजा है, वह सच्चा है किन्तु तुम उन्हें नहीं जानते, 29 मैं उन्हें जानता हूँ क्योंकि मैं उन्हीं से हूँ और मुझे उन्हीं ने भेजा है.”
30 यह सुन कर उन्होंने मसीह येशु को बन्दी बनाना चाहा किन्तु किसी ने उन पर हाथ न डाला क्योंकि उन का समय अब तक नहीं आया था.
मसीह येशु द्वारा अपने जाने की पूर्वघोषणा
31 फिर भी भीड़ में से अनेकों ने मसीह येशु में विश्वास रखा तथा विचार-विमर्श करने लगे, “क्या प्रकट होने पर मसीह इस व्यक्ति से अधिक अद्भुत चिह्न प्रदर्शित करेंगे?”
जीवन-जल की प्रतिज्ञा
37 उत्सव के अन्तिम दिन, जब उत्सव चरम सीमा पर होता है, मसीह येशु ने खड़े हो कर ऊँचे शब्द में कहा, “यदि कोई प्यासा है तो मेरे पास आए और पिए. 38 जो मुझमें विश्वास करता है, जैसा कि पवित्रशास्त्र का लेख है: उसके अंदर से जीवन के जल की नदियाँ बह निकलेंगीं.” 39 यह उन्होंने पवित्रात्मा के विषय में कहा था, जिन्हें उन पर विश्वास करनेवाले प्राप्त करने पर थे. पवित्रात्मा अब तक उतरे नहीं थे क्योंकि मसीह येशु अब तक महिमा को न पहुँचे थे.
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