Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
पौलॉस द्वारा अपनी सेवा का बचाव और परमेश्वर द्वारा बुलाया जाना
11 प्रियजन, मैं तुम पर यह स्पष्ट कर रहा हूँ कि जो ईश्वरीय सुसमाचार मैंने तुम्हें सुनाया, वह किसी मनुष्य के दिमाग की उपज नहीं है. 12 यह मुझे न तो किसी मनुष्य से और न ही किसी शिक्षा से, परन्तु स्वयं मसीह येशु के प्रकाशन के द्वारा प्राप्त हुआ है.
13 यहूदी मत के शिष्य के रूप में मेरी जीवनशैली कैसी थी, इसके विषय में तुम सुन चुके हो. मैं किस रीति से परमेश्वर की कलीसिया पर घोर अत्याचार किया करता था तथा उसे नाश करने के लिए प्रयास करता रहता था. 14 यहूदी मत में अपने पूर्वजों की परम्पराओं के प्रति अत्यन्त उत्साही, मैं अपनी आयु के यहूदियों से अधिक उन्नत होता जा रहा था. 15 किन्तु परमेश्वर को, जिन्होंने माता के गर्भ से ही मुझे चुन लिया तथा अपने अनुग्रह के द्वारा मुझे बुलाया, यह सही लगा 16 कि वह मुझ में अपने पुत्र को प्रकट करें कि मैं अन्यजातियों में उनका प्रचार करूँ. इसके विषय में मैंने तुरन्त न तो किसी व्यक्ति से सलाह ली 17 और न ही मैं येरूशालेम में उनके पास गया, जो मुझसे पहले प्रेरित चुने जा चुके थे, परन्तु मैं अराबिया क्षेत्र में चला गया और वहाँ से दोबारा दमिश्क नगर लौट गया.
18 तीन वर्ष बाद मैं कैफ़स से भेंट करने येरूशालेम गया और उनके साथ पन्द्रह दिन रहा 19 किन्तु प्रभु के भाई याक़ोब के अलावा अन्य किसी प्रेरित से मेरी भेंट नहीं हुई. 20 परमेश्वर के सामने मैं तुम्हें धीरज देता हूँ कि अपने इस विवरण में मैं कुछ भी झूठ नहीं कह रहा. 21 तब मैं सीरिया और किलिकिया प्रदेश के क्षेत्रों में गया. 22 यहूदिया प्रदेश की कलीसियाओं से, जो अब मसीह में हैं, मैं अब तक व्यक्तिगत रूप से अपरिचित था. 23 मेरे विषय में उन्होंने केवल यही सुना था: “एक समय जो हमारा सताने वाला था, अब वही उस विश्वास का प्रचार कर रहा है, जिसे नष्ट करने के लिए वह दृढ़-संकल्प था.” 24 उनके लिए मैं परमेश्वर की महिमा का विषय हो गया.
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