Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
पौलॉस द्वारा प्रचारित ईश्वरीय सुसमाचार
15 “आप और मैं जन्म से यहूदी हैं—अन्यजातियों के पापी वंशज नहीं. 16 फिर भी हम यह जानते हैं कि परमेश्वर की दृष्टि में मनुष्य मात्र मसीह येशु में विश्वास करने के द्वारा ही धर्मी ठहरता है, न कि व्यवस्था का पालन करने के द्वारा, इसलिए हमने भी मसीह येशु में विश्वास किया कि हम मसीह में विश्वास करने के द्वारा धर्मी ठहराए जाएँ, न कि व्यवस्था का पालन करने के द्वारा—क्योंकि व्यवस्था का पालन करने से कोई भी मनुष्य धर्मी ठहराया नहीं जाता.
17 “किन्तु, यदि हम मसीह में धर्मी ठहराए जाने के लिए प्रयास करने पर भी पापी ही पाए जाते हैं, तो क्या मसीह पाप के पालन-पोषण करने वाले हैं? बिलकुल नहीं! 18 यदि मैं उसी को दोबारा बनाता हूँ, जिसे मैंने गिरा दिया था, तो मैं स्वयं को ही अपराधी साबित करता हूँ.
19 “क्योंकि व्यवस्था के द्वारा मैं व्यवस्था के लिए मर गया कि मैं परमेश्वर के लिए जिऊँ. 20 मैं मसीह के साथ क्रूस पर चढ़ाया जा चुका हूँ. अब से वह, जो जीवित है, मैं नहीं परन्तु मसीह हैं, जो मुझमें जीवित हैं. अब वह जीवन, जो मैं शरीर में जी रहा हूँ, परमेश्वर के पुत्र में विश्वास करते हुए जी रहा हूँ, जिन्होंने मुझसे प्रेम किया और स्वयं को मेरे लिए बलिदान कर दिया. 21 मैं परमेश्वर के अनुग्रह को व्यर्थ नहीं कर रहा, क्योंकि यदि व्यवस्था धार्मिकता का कारण होता, तब मसीह का प्राण त्यागना व्यर्थ हो जाता!”
पापी स्त्री द्वारा मसीह येशु के चरणों का अभ्यंजन
36 एक फ़रीसी ने मसीह येशु को भोज पर आमन्त्रित किया. मसीह येशु आमन्त्रण स्वीकार कर वहाँ गए और भोजन के लिए बैठ गए. 37 नगर की एक पापिन स्त्री, यह मालूम होने पर कि मसीह येशु वहाँ आमन्त्रित हैं, संगमरमर के बर्तन में इत्र ले कर आई 38 और उनके चरणों के पास रोती हुई खड़ी हो गई. उसके आँसुओं से उनके पांव भीगने लगे. तब उसने प्रभु के पावों को अपने बालों से पोंछा, उनके पावों को चूमा तथा उस इत्र को उनके पावों पर उण्डेल दिया.
39 जब उस फ़रीसी ने, जिसने मसीह येशु को आमन्त्रित किया था, यह देखा तो मन में विचार करने लगा, “यदि यह व्यक्ति वास्तव में भविष्यद्वक्ता होता तो अवश्य जान जाता कि जो स्त्री उसे छू रही है, वह कौन है—एक पापी स्त्री!”
40 मसीह येशु ने उस फ़रीसी को कहा, “शिमोन, मुझे तुमसे कुछ कहना है.”
“कहिए, गुरुवर,” उसने कहा.
41 मसीह येशु ने कहा, “एक साहूकार के दो कर्ज़दार थे—एक पाँच सौ दीनार का तथा दूसरा पचास का. 42 दोनों ही कर्ज़ चुकाने में असमर्थ थे इसलिए उस साहूकार ने दोनों ही के कर्ज़ क्षमा कर दिए. यह बताओ, दोनों में से कौन उस साहूकार से अधिक प्रेम करेगा?”
43 शिमोन ने उत्तर दिया, “मेरे विचार से वह, जिसकी बड़ी राशि क्षमा की गई.”
“तुमने सही उत्तर दिया,” मसीह येशु ने कहा.
44 तब उस स्त्री से उन्मुख हो कर मसीह येशु ने शिमोन से कहा, “इस स्त्री की ओर देखो. मैं तुम्हारे यहाँ आया, तुमने तो मुझे पांव धोने के लिए भी जल न दिया किन्तु इसने अपने आँसुओं से मेरे पांव भिगो दिए और अपने केशों से उन्हें पोंछ दिया. 45 तुमने चुम्बन से मेरा स्वागत नहीं किया किन्तु यह स्त्री मेरे पाँवों को चूमती रही. 46 तुमने मेरे सिर पर तेल नहीं मला किन्तु इसने मेरे पाँवों पर इत्र उण्डेल दिया है. 47 मैं तुम्हें बताना चाहता हूँ कि यह मुझसे इतना अधिक प्रेम इसलिए करती है कि इसके बहुत पाप क्षमा कर दिए गए हैं; किन्तु वह, जिसके थोड़े ही पाप क्षमा किए गए हैं, प्रेम भी थोड़ा ही करता है.”
48 तब मसीह येशु ने उस स्त्री से कहा, “तुम्हारे पाप क्षमा कर दिए गए हैं.”
49 आमन्त्रित अतिथि आपस में विचार-विमर्श करने लगे, “कौन है यह, जो पाप भी क्षमा करता है?”
50 मसीह येशु ने उस स्त्री से कहा, “तुम्हारा विश्वास ही तुम्हारे उद्धार का कारण है. परमेश्वर की शान्ति में विदा हो जाओ.”
मसीह येशु और शिष्यों की सहयात्री स्त्रियाँ
8 इसके बाद शीघ्र ही मसीह येशु परमेश्वर के राज्य की घोषणा तथा प्रचार करते हुए नगर-नगर और गाँव-गाँव फिरने लगे. बारहों शिष्य उनके साथ-साथ थे. 2 इनके अतिरिक्त कुछ वे स्त्रियाँ भी उनके साथ यात्रा कर रही थीं, जिन्हें रोगों और प्रेतों से छुटकारा दिलाया गया था: मगदालावासी मरियम, जिस में से सात प्रेत निकाले गए थे, 3 हेरोदेस के भण्ड़ारी कूज़ा की पत्नी योहान्ना, सूज़न्ना तथा अन्य स्त्रियाँ. ये वे स्त्रियाँ थी, जो अपनी सम्पत्ति से इनकी सहायता कर रही थीं.
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