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Revised Common Lectionary (Semicontinuous)

Daily Bible readings that follow the church liturgical year, with sequential stories told across multiple weeks.
Duration: 1245 days
Saral Hindi Bible (SHB)
Version
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1 कोरिन्थॉस 13

प्रेम

13 यदि मैं मनुष्यों और स्वर्गदूतों की भाषाओं में बातें करूँ मगर यदि मैं प्रेम न रखूँ, तो मैं घनघनाता घड़ियाल या झनझनाती झाँझ हूँ. यदि मुझे भविष्यवाणी करने की क्षमता प्राप्त है, मैं भेद जानने वाला तथा ज्ञानी हूँ और मेरा विश्वास ऐसा मजबूत हो कि मेरे वचन मात्र से पर्वत अपने स्थान से हट जाएँ किन्तु मैं प्रेम न रखूँ तो मैं कुछ भी नहीं. यदि मैं अपनी सारी सम्पत्ति कंगालों में बांट दूँ और अपना शरीर भस्म होने के लिए बलिदान कर दूँ किन्तु यदि मैं प्रेम न रखूँ तो क्या लाभ?

प्रेम धीरजवन्त है, प्रेम कृपालु है. प्रेम जलन नहीं करता, अपनी बड़ाई नहीं करता, घमण्ड़ नहीं करता, अशोभनीय नहीं, स्वार्थी नहीं, झुंझलाता भी नहीं और क्रोधी भी नहीं है. उसका आनन्द दुराचार में नहीं, सच्चाई में है. प्रेम हमेशा ही संरक्षण प्रदान करता है, सन्देह नहीं करता, हमेशा आशावान और हमेशा धीरज बनाए रहता है.

प्रेम अनन्त काल का है. जहाँ तक भविष्यद्वाणियों का सवाल है, वे थोड़े समय के लिए हैं. भाषाएँ निःशब्द हो जाएँगी तथा ज्ञान मिट जाएगा क्योंकि अधूरा है हमारा ज्ञान और अधूरी है हमारी भविष्यवाणी करने की क्षमता; 10 किन्तु जब हम सिद्धता तक पहुँच जाएँगे, वह सब, जो अधूरा है, मिट जाएगा. 11 जब मैं बालक था, मैं बालक के समान बातें करता था, बालक के समान विचार करता था तथा बालक के समान ही वाद-विवाद करता था किन्तु सयाना होने पर मैंने बालकों का सा व्यवहार छोड़ दिया. 12 इस समय तो हमें आयने में धुंधला दिखाई देता है किन्तु उस समय हम आमने-सामने देखेंगे. मेरा ज्ञान इस समय अधूरा है किन्तु उस समय मेरा ज्ञान वैसा ही होगा जैसा इस समय मेरे विषय में परमेश्वर का है.

13 पर अब ये तीन: विश्वास, आशा और प्रेम ये तीनों स्थाई है किन्तु इनमें सबसे ऊपर है प्रेम.

लूकॉ 4:21-30

21 मसीह येशु ने आगे कहा, “आज आपके सुनते-सुनते यह लेख पूरा हुआ.”

22 सभी मसीह येशु की सराहना कर रहे थे तथा उनके मुख से निकलने वाले सुन्दर विचारों ने सबको चकित कर रखा था. वे आपस में पूछ रहे थे, “यह योसेफ़ का ही पुत्र है न?”

23 मसीह येशु ने उन्हें सम्बोधित करते हुए कहा, “मैं जानता हूँ कि आप मुझसे यह कहना चाहेंगे, ‘अरे चिकित्सक! पहले स्वयं को तो स्वस्थ कर! अपने गृहनगर में भी वह सब कर दिखा, जो हमने तुझे कफ़रनहूम में करते सुना है.’”

24 मसीह येशु ने आगे कहा, “वास्तव में कोई, भी भविष्यद्वक्ता अपने गृहनगर में सम्मान नहीं पाता. 25 सच तो यह है कि एलियाह के समय में जब साढ़े तीन वर्ष वर्षा न हुई, इस्राएल राष्ट्र में अनेक विधवाएँ थीं, तथा सभी राष्ट्र में भयंकर अकाल पड़ा; 26 एलियाह को उनमें से किसी के पास नहीं भेजा गया, अतिरिक्त उसके, जो त्सीदोन प्रदेश के सारेप्ता नगर में थी. 27 वैसे ही भविष्यद्वक्ता एलीशा के समय में इस्राएल राष्ट्र में अनेक कोढ़ रोगी थे किन्तु सीरियावासी नामान के अतिरिक्त कोई भी शुद्ध नहीं किया गया.”

28 यह सुनते ही यहूदी सभागृह में इकट्ठा सभी व्यक्ति अत्यन्त क्रोधित हो गए. 29 उन्होंने मसीह येशु को धक्के मारते हुए नगर के बाहर निकाल दिया और उन्हें खींचते हुए उस पर्वत शिखर पर ले गए, जिस पर वह नगर बसा हुआ था कि उन्हें चट्टान पर से नीचे धकेल दें 30 किन्तु मसीह येशु बचते हुए भीड़ के बीच से निकल गए.

Saral Hindi Bible (SHB)

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