Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
10 परमेश्वर के अनुग्रह के अनुसार मैंने एक कुशल मिस्त्री के समान नींव डाली और अब कोई और उस पर भवन निर्माण कर रहा है किन्तु हर एक व्यक्ति सावधान रहे कि वह इस नींव पर उस भवन का निर्माण कैसे करता है. 11 जो नींव डाली जा चुकी है, उसके अतिरिक्त कोई भी व्यक्ति अन्य नींव नहीं डाल सकता—स्वयं मसीह येशु ही वह नींव हैं. 12 यदि कोई इस नींव पर सोने, चांदी, कीमती रत्न, लकड़ी, भूसी या घास से निर्माण करे तो 13 वह दिन सच्चाई को प्रकाश में ला देगा क्योंकि कामों की परख आग के द्वारा की जाएगी. यही आग हर एक के काम को साबित करेगी. 14 यदि किसी के द्वारा बनाया भवन इस नींव पर स्थिर रहता है तो उसे इसका ईनाम प्राप्त होगा. 15 यदि किसी का भवन भस्म हो जाता है तो वह ईनाम से दूर रह जाएगा. हाँ, वह स्वयं तो बच जाएगा किन्तु ऐसे मानो ज्वाला में से होते हुए.
16 क्या तुम्हें यह अहसास नहीं कि तुम परमेश्वर का मन्दिर हो तथा तुममें परमेश्वर का आत्मा वास करता है? 17 यदि कोई परमेश्वर के मन्दिर को नाश करे तो वह भी परमेश्वर द्वारा नाश कर दिया जाएगा क्योंकि परमेश्वर का मन्दिर पवित्र है और स्वयं तुम वह मन्दिर हो.
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