Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
2 प्रियजन, मेरी कामना है कि जिस प्रकार तुम अपनी आत्मा में उन्नत हो, ठीक वैसे ही अन्य क्षेत्रों में भी उन्नत होते जाओ और स्वस्थ रहो.
3 मुझसे भेंट करने आए साथी विश्वासियों द्वारा सच्चाई में तुम्हारी स्थिरता का विवरण अर्थात् सत्य में तुम्हारे स्वभाव के विषय में सुन कर मुझे बहुत ही खुशी हुई. 4 मेरे लिए इससे बढ़कर और कोई आनन्द नहीं कि मैं यह सुनूँ कि मेरे बालकों का स्वभाव सच्चाई के अनुसार है.
5 प्रियजन, जो कुछ तुम साथी विश्वासियों, विशेष रूप से परदेशी साथी विश्वासियों की भलाई में कर रहे हो, तुम्हारी सच्चाई का सबूत है. 6 वे कलीसिया के सामने तुम्हारे प्रेम के गवाह हैं. सही यह है कि तुम उन्हें इसी भाव में विदा करो, जो परमेश्वर को ग्रहण योग्य हो, 7 क्योंकि उन्होंने अन्यजातियों से बिना कोई सहायता स्वीकार किए प्रभु के लिए काम प्रारम्भ किया था. 8 इसलिए सही है कि हम ऐसे व्यक्तियों का सत्कार करें कि हम उस सत्य के सहकर्मी हो जाएँ.
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