Revised Common Lectionary (Complementary)
हन्ना धन्यवाद देती है
2 हन्ना ने कहा:
“यहोवा, में, मेरा हृदय प्रसन्न है!
मैं अपने परमेश्वर में शक्तिमती[a] अनुभव करती हूँ!
मैं अपनी विजय से पूर्ण प्रसन्न हूँ!
और अपने शत्रुओं की हँसी उड़ाई हूँ।
2 यहोवा के सदृश कोई पवित्र परमेश्वर नहीं।
तेरे अतिरिक्त कोई परमेश्वर नहीं!
परमेश्वर के अतिरिक्त कोई आश्रय शिला[b] नहीं।
3 बन्द करो डींगों का हाँकना!
घमण्ड भरी बातें न करो! क्यों?
क्योंकि यहोवा परमेश्वर सब कुछ जानता है,
परमेश्वर लोगों को राह दिखाता है और उनका न्याय करता है।
4 शक्तिशाली योद्धाओं के धनुष टूटते हैं!
और दुर्बल शक्तिशाली बनते हैं!
5 जो लोग बीते समय में बहुत भोजन वाले थे,
उन्हें अब भोजन पाने के लिये काम करना होगा।
किन्तु जो बीते समय में भूखे थे,
वे अब भोजन पाकर मोटे हो रहे हैं!
जो स्त्री बच्चा उत्पन्न नहीं कर सकती थी
अब सात ब्च्चों वाली है!
किन्तु जो बहुत बच्चों वाली थी,
दु:खी है क्योंकि उसके बच्चे चले गये।
6 “यहोवा लोगों को मृत्यु देता है,
और वह उन्हें जीवित रहने देता है।
यहोवा लोगों को मृत्युस्थल व अधोलोक को पहुँचाता है,
और पुन: वह उन्हें जीवन देकर उठाता है।
7 यहोवा लोगों को दीन बनाता है,
और यहोवा ही लोगों को धनी बनाता है।
यहोवा लोगों को नीचा करता है,
और वह लोगों को ऊँचा उठाता है।
8 यहोवा कंगालों को धूलि से उठाता है।
यहोवा उनके दुःख को दूर करता है।
यहोवा कंगालों को राजाओं के साथ बिठाता है।
यहोवा कंगालों को प्रतिष्ठित सिंहासन पर बिठाता है।
पूरा जगत अपनी नींव तक यहोवा का है!
यहोवा जगत को उन खम्भों पर टिकाया है!
9 “यहोवा अपने पवित्र लोगों की रक्षा करता है।
वह उन्हें ठोकर खाकर गिरने से बचाता है।
किन्तु पापी लोग नष्ट किये जाएंगे।
वे घोर अंधेरे में गिरेंगे।
उनकी शक्ति उन्हें विजय प्राप्त करने में सहायक नहीं होगी।
10 यहोवा अपने शत्रुओं को नष्ट करता है।
सर्वोच्च परमेश्वर लोगों के विरुद्ध गगन में गरजेगा।
यहोवा सारी पृथ्वी का न्याय करेगा।
यहोवा अपने राजा को शक्ति देगा।
वह अपने अभीषिक्त राजा को शक्तिशाली बनायेगा।”
इसहाक प्रतिज्ञा का पुत्र
15 परमेश्वर ने इब्राहीम से कहा, “मैं सारै[a] को जो तुम्हारी पत्नी है, नया नाम दूँगा। उसका नाम सारा[b] होगा। 16 मैं उसे आशीर्वाद दूँगा। मैं उसे पुत्र दूँगा और तुम पिता होगे। वह बहुत से नए राष्ट्रों की माँ होगी। उससे राष्ट्रों के राजा पैदा होंगे।”
17 इब्राहीम ने अपना सिर परमेश्वर को भक्ति दिखाने के लिए जमीन तक झुकाया। लेकिन वह हँसा और अपने से बोला, “मैं सौ वर्ष का बूढ़ा हूँ। मैं पुत्र पैदा नहीं कर सकता और सारा नब्बे वर्ष की बुढ़िया है। वह बच्चों को जन्म नहीं दे सकती।”
18 तब इब्राहीम के कहने का मतलब परमेश्वर से पूछा, “क्या इश्माएल जीवित रहे और तेरी सेवा करे?”
19 परमेश्वर ने कहा, “नहीं, मैंने कहा कि तुम्हारी पत्नी सारा पुत्र को जन्म देगी। तुम उसका नाम इसहाक रखोगे। मैं उसके साथ वाचा करूँगा। यह वाचा ऐसी होगी जो उसके सभी वंशजों के साथ सदा बनी रहेगी।
20 “तुमने मुझसे इश्माएल के बारे में पूछा और मैंने तुम्हारी बात सुनी। मैं उसे आशीर्वाद दूँगा। उसके बहुत से बच्चे होंगे। वह बारह बड़े राजाओं का पिता होगा। उसका परिवार एक बड़ा राष्ट्र बनेगा। 21 मैं अपनी वाचा इसहाक के साथ बनाऊँगा। इसहाक ही वह पुत्र होगा जिसे सारा जनेगी। यह पुत्र अगले वर्ष इसी समय में पैदा होगा।”
22 परमेश्वर ने जब इब्राहीम से बात करनी बन्द की, इब्राहीम अकेला रह गया। परमेश्वर इब्राहीम के पास से आकाश की ओर उठ गया।
गलाती मसीहियों के लिए पौलुस का प्रेम
8 पहले तुम लोग जब परमेश्वर को नहीं जानते थे तो तुम लोग देवताओं के दास थे। वे वास्तव में परमेश्वर नहीं थे। 9 किन्तु अब तुम परमेश्वर को जानते हो, या यूँ कहना चाहिये कि परमेश्वर के द्वारा अब तुम्हें पहचान लिया गया है। फिर तुम उन साररहित, दुर्बल नियमों की ओर क्यों लौट रहे हो। तुम फिर से उनके अधीन क्यों होना चाहते हो? 10 तुम किन्हीं विशेष दिनों, महीनों, ऋतुओं और वर्षों को मानने लगे हो। 11 तुम्हारे बारे में मुझे डर है कि तुम्हारे लिए जो काम मैंने किया है, वह सारा कहीं बेकार तो नहीं हो गया है।
12 हे भाईयों, कृपया मेरे जैसे बन जाओ। देखो, मैं भी तो तुम्हारे जैसा बन गया हूँ, यह मेरी तुमसे प्रार्थना है, ऐसा नहीं है कि तुमने मेरे प्रति कोई अपराध किया है। 13 तुम तो जानते ही हो कि अपनी शारीरिक व्याधि के कारण मैंने पहली बार तुम्हें ही सुसमाचार सुनाया था। 14 और तुमने भी, मेरी अस्वस्थता के कारण, जो तुम्हारी परीक्षा ली गयी थी, उससे मुझे छोटा नहीं समझा और न ही मेरा निषेध किया। बल्कि तुमने परमेश्वर के स्वर्गदूत के रूप में मेरा स्वागत किया। मानों मैं स्वयं मसीह यीशु ही था। 15 सो तुम्हारी उस प्रसन्नता का क्या हुआ? मैं तुम्हारे लिए स्वयं इस बात का साक्षी हूँ कि यदि तुम समर्थ होते तो तुम अपनी आँखें तक निकाल कर मुझे दे देते। 16 सो क्या सच बोलने से ही मैं तुम्हारा शत्रु हो गया?
17 तुम्हें व्यवस्था के विधान पर चलाना चाहने वाले तुममें बड़ी गहरी रुचि लेते हैं। किन्तु उनका उद्देश्य अच्छा नहीं है। वे तुम्हें मुझ से अलग करना चाहते हैं। ताकि तुम भी उनमें गहरी रुचि ले सको। 18 कोई किसी में सदा गहरी रुचि लेता रहे, यह तो एक अच्छी बात है किन्तु यह किसी अच्छे के लिए होना चाहिये। और बस उसी समय नहीं, जब मैं तुम्हारे साथ हूँ। 19 मेरे प्रिय बच्चो! मैं तुम्हारे लिये एक बार फिर प्रसव वेदना को झेल रहा हूँ, जब तक तुम मसीह जैसे ही नहीं हो जाते। 20 मैं चाहता हूँ कि अभी तुम्हारे पास आ पहुँचू और तुम्हारे साथ अलग ही तरह से बातें करूँ, क्योंकि मैं समझ नहीं पा रहा हूँ कि तुम्हारे लिये क्या किया जाये।
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