Revised Common Lectionary (Complementary)
वाचा की कुमुदिनी धुन पर संगीत निर्देशक के लिये आसाप का एक स्तुति गीता।
1 हे इस्राएल के चरवाहे, तू मेरी सुन ले।
तूने यूसुफ के भेड़ों (लोगों) की अगुवाई की।
तू राजा सा करूब पर विराजता है।
हमको निज दर्शन दे।
2 हे इस्राएल के चरवाहे, एप्रैम, बिन्यामीन और मनश्शे के सामने तू अपनी महिमा दिखा,
और हमको बचा ले।
3 हे परमेश्वर, हमको स्वीकार कर।
हमको स्वीकार कर और हमारी रक्षा कर!
4 सर्वशक्तिमान परमेश्वर यहोवा,
क्या तू सदा के लिये हम पर कुपित रहेगा हमरी प्रार्थनाओं को तू कब सुनेगा
5 अपने भक्तों को तूने बस खाने को आँसू दिये है।
तूने अपने भक्तों को पीने के लिये आँसुओं से लबालब प्याले दिये।
6 तूने हमें हमारे पड़ोसियों के लिये कोई ऐसी वस्तु बनने दिया जिस पर वे झगड़ा करे।
हमारे शत्रु हमारी हँसी उड़ाते हैं।
7 हे सर्वशक्तिमान परमेश्वर, फिर हमको स्वीकार कर।
हमको स्वीकार कर और हमारी रक्षा कर।
17 हे परमेश्वर, तू अपना हाथ उस पुत्र पर रख जो तेरे दाहिनी ओर खड़ा है।
उस पुत्र पर हाथ रख जिसे तूने उठाया।
18 फिर वह कभी तुझको नहीं त्यागेगा।
तू उसको जीवित रख, और वह तेरे नाम की आराधना करेगा।
19 सर्वशक्तिमान यहोवा परमेश्वर, हमारे पास लौट आ
हमको अपना ले, और हमारी रक्षा कर।
23 “तेरे इस्राएल के लोगों की तरह पृथ्वी पर कोई राष्ट्र नहीं है। ये विशेष लोग हैं। वे दास थे। किन्तु तूने उन्हें मिस्र से निकाला और उन्हें स्वतन्त्र किया। तूने उन्हें अपने लोग बनाया। तूने इस्राएलियों के लिये महान और अद्भुत काम किये। तूने अपने देश के लिये आश्चर्यजनक काम किये। 24 तूने इस्राएल के लोगों को सदा के लिये अपने लोग बनाया, और यहोवा तू उनका परमेश्वर हुआ।
25 “यहोवा परमेश्वर, तूने अभी, मेरे बारे में बातें कीं। मैं तेरा सेवक हूँ। तूने मेरे परिवार के बारे में भी बातें कीं। अपने वचनों को सदा सत्य कर जो तूने करने की प्रतिज्ञा की है। मेरे परिवार को राजाओं का परिवार हमेशा के लिये बना। 26 तब तेरा नाम सदा सम्मानित रहेगा, और लोग कहेंगे, ‘सर्वशक्तिमान यहोवा परमेश्वर इस्राएल पर शासन करता है और होने दे कि तेरे सेवक दाऊद का परिवार तेरे सामने सदा चलता रहे।’
27 “सर्वशक्तिमान यहोवा, इस्राएल के परमेश्वर, तूने मुझे बहुत कुछ दिखाया है। तूने कहा, ‘मैं तुम्हारे परिवार को महान बनाऊँगा।’ यही कारण है कि मैं तेरे सेवक ने, तेरे प्रति यह प्रार्थना करने का निश्चय किया। 28 यहोवा मेरे स्वामी, तू परमेश्वर है और तेरे कथन सत्य होते हैं और तूने इस अपने सेवक के लिये, यह अच्छी चीज का वचन दिया है। 29 कृपया मेरे परिवार को आशीष दे। हे यहोवा! हे स्वामी! जससे वह तेरे सम्मुख सदैव बना रहे। तूने ये ही वचन दिया था। अपने आशीर्वाद से मेरे परिवार को सदा के लिये आशीष दे।”
वह जो स्वर्ग से उतरा
31 “जो ऊपर से आता है वह सबसे महान् है। वह जो धरती से है, धरती से जुड़ा है। इसलिये वह धरती की ही बातें करता है। जो स्वर्ग से उतरा है, सबके ऊपर है; 32 उसने जो कुछ देखा है, और सुना है, वह उसकी साक्षी देता है पर उसकी साक्षी को कोई ग्रहण नहीं करना चाहता। 33 जो उसकी साक्षी को मानता है वह प्रमाणित करता है कि परमेश्वर सच्चा है। 34 क्योंकि वह, जिसे परमेश्वर ने भेजा है, परमेश्वर की ही बातें बोलता है। क्योंकि परमेश्वर ने उसे आत्मा का अनन्त दान दिया है। 35 पिता अपने पुत्र को प्यार करता है। और उसी के हाथों में उसने सब कुछ सौंप दिया है। 36 इसलिए वह जो उसके पुत्र में विश्वास करता है अनन्त जीवन पाता है पर वह जो परमेश्वर के पुत्र की बात नहीं मानता उसे वह जीवन नहीं मिलेगा। इसके बजाय उस पर परम पिता परमेश्वर का क्रोध बना रहेगा।”
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