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Revised Common Lectionary (Complementary)

Daily Bible readings that follow the church liturgical year, with thematically matched Old and New Testament readings.
Duration: 1245 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
भजन संहिता 122

दाऊद का एक आरोहणगीत।

जब लोगों ने मुझसे कहा,
    “आओ, यहोवा के मन्दिर में चलें तब मैं बहुत प्रसन्न हुआ।”
यहाँ हम यरूशलेम के द्वारों पर खड़े हैं।
यह नया यरूशलेम है।
    जिसको एक संगठित नगर के रूप में बनाया गया।
ये परिवार समूह थे जो परमेश्वर के वहाँ पर जाते हैं।
    इस्राएल के लोग वहाँ पर यहोवा का गुणगान करने जाते हैं। वे वह परिवार समूह थे जो यहोवा से सम्बन्धित थे।
यही वह स्थान है जहाँ दाऊद के घराने के राजाओं ने अपने सिंहासन स्थापित किये।
    उन्होंने अपना सिंहासन लोगों का न्याय करने के लिये स्थापित किया।

तुम यरूशलेम में शांति हेतू विनती करो।
    “ऐसे लोग जो तुझसे प्रेम रखते हैं, वहाँ शांति पावें यह मेरी कामना है।
    तुम्हारे परकोटों के भीतर शांति का वास है। यह मेरी कामना है।
    तुम्हारे विशाल भवनों में सुरक्षा बनी रहे यह मेरी कामना है।”

मैं प्रार्थना करता हूँ अपने पड़ोसियों के
    और अन्य इस्राएलवासियों के लिये वहाँ शांति का वास हो।
हे यहोवा, हमारे परमेश्वर के मन्दिर के भले हेतू
    मैं प्रार्थना करता हूँ, कि इस नगर में भली बाते घटित हों।

उत्पत्ति 6:11-22

11-12 परमेश्वर ने पृथ्वी पर दृष्टि की और उसने देखा कि पृथ्वी को लोगों ने बर्बाद कर दिया हैं। हर जगह हिंसा पैली हुई है। लोग पापी और भ्रष्ट हो गए है, और उन्होंने पृथ्वी पर अपना जीवन बर्बाद कर दिया है।

13 इसलिए परमेश्वर ने नूह से कहा, “सारे लोगों ने पृथ्वी को क्रोध और हिंसा से भर दिया है। इसलिए मैं सभी जीवित प्राणियों को नष्ट करूँगा। मैं उनको पृथ्वी से हटाऊँगा। 14 गोपेर की लकड़ी[a] का उपयोग करो और अपने लिए एक जहाज बनाओ। जहाज में कमरे बनाओ[b] और उसे राल से भीतर और बाहर पोत दो।

15 “जो जहाज मैं बनवाना चाहता हूँ उसका नाप तीन सौ हाथ[c] लम्बाई, पचास हाथ[d] चौड़ाई, तीस हाथ[e] ऊँचाई है। 16 जहाज के लिए छत से करीब एक हाथ नीचे एक खिड़की बनाओ[f] जहाज की बगल में एक दरवाजा बनाओ। जहाज में तीन मंजिलें बनाओ। ऊपरी मंजिल, बीच की मंजिल और नीचे की मंजिल।”

17 “तुम्हें जो बता रहा हूँ उसे समझो। मैं पृथ्वी पर बड़ा भारी जल का बाढ़ लाऊँगा। आकाश के नीचे सभी जीवों को मैं नष्ट कर दूँगा। पृथ्वी के सभी जीव मर जायेंगे। 18 किन्तु मैं तुमको बचाऊँगा। तब मैं तुम से एक विशेष वाचा करूँगा। तुम, तुम्हारे पुत्र, तुम्हारी पत्नी, तुम्हारे पुत्रों की पत्नियाँ सभी जहाज़ में सवार होगें। 19 साथ ही साथ पृथ्वी पर जीवित प्राणियों के जोड़े भी तुम्हें लाने होंगे। हर एक के नर और मादा को जहाज़ में लाओ। अपने साथ उनको जीवित रखो। 20 पृथ्वी की हर तरह की चिड़ियों के जोड़ों को भी खोजो। पृथ्वी के हर तरह के जनावरों के जोड़ों को भी खोजो। पृथ्वी पर रेंगने वाले हर एक जीव के जोड़ों को भी खोजो। पृथ्वी के हर प्रकार के जानवरों के नर और मादा तुम्हारे साथ होंगे। जहाज़ पर उन्हें जीवित रखो। 21 पृथ्वी के सभी प्रकार के भोजन भी जहाज़ पर लाओ। यह भोजन तुम्हारे लिए तथा जानवरों के लिए होगा।”

22 नूह ने यह सब कुछ किया। नूह ने परमेश्वर की सारी आज्ञाओं का पालन किया।

मत्ती 24:1-22

यीशु द्वारा मन्दिर के विनाश की भविष्यवाणी

(मरकुस 13:1-31; लूका 21:5-33)

24 मन्दिर को छोड़ कर यीशु जब वहाँ से होकर जा रहा था तो उसके शिष्य उसे मन्दिर के भवन दिखाने उसके पास आये। इस पर यीशु ने उनसे कहा, “तुम इन भवनों को सीधे खड़े देख रहे हो? मैं तुम्हें सच बताता हूँ, यहाँ एक पत्थर पर दूसरा पत्थर टिका नहीं रहेगा। एक एक पत्थर गिरा दिया जायेगा।”

यीशु जब जैतून पर्वत[a] पर बैठा था तो एकांत में उसके शिष्य उसके पास आये और बोले, “हमें बता यह कब घटेगा? जब तू वापस आयेगा और इस संसार का अंत होने को होगा तो कैसे संकेत प्रकट होंगे?”

उत्तर में यीशु ने उनसे कहा, “सावधान! तुम लोगों को कोई छलने न पाये। मैं यह इसलिए कह रहा हूँ कि ऐसे बहुत से हैं जो मेरे नाम से आयेंगे और कहेंगे ‘मैं मसीह हूँ’ और वे बहुतों को छलेंगे। तुम पास के युद्धों की बातें या दूर के युद्धों की अफवाहें सुनोगे पर देखो तुम घबराना मत! ऐसा तो होगा ही किन्तु अभी अंत नहीं आया है। हर एक जाति दूसरी जाति के विरोध में और एक राज्य दूसरे राज्य के विरोध में खड़ा होगा। अकाल पड़ेंगें। हर कहीं भूचाल आयेंगे। किन्तु ये सब बातें तो केवल पीड़ाओं का आरम्भ ही होगा।

“उस समय वे तुम्हें दण्ड दिलाने के लिए पकड़वायेंगे, और वे तुम्हें मरवा डालेंगे। क्योंकि तुम मेरे शिष्य हो, सभी जातियों के लोग तुमसे घृणा करेंगे। 10 उस समय बहुत से लोगों का मोह टूट जायेगा और विश्वास डिग जायेगा। वे एक दूसरे को अधिकारियों के हाथों सौंपेंगे और परस्पर घृणा करेंगे। 11 बहुत से झूठे नबी उठ खड़े होंगे और लोगों को ठगेंगे। 12 क्योंकि अधार्मिकता बढ़ जायेगी सो बहुत से लोगों का प्रेम ठंडा पड़ जायेगा। 13 किन्तु जो अंत तक टिका रहेगा उसका उद्धार होगा। 14 स्वर्ग के राज्य का यह सुसमाचार समस्त विश्व में सभी जातियों को साक्षी के रूप में सुनाया जाएगा और तभी अन्त आएगा।

15 “इसलिए जब तुम लोग ‘भयानक विनाशकारी वस्तु को,’ जिसका उल्लेख दानिय्येल नबी द्वारा किया गया था, मन्दिर के पवित्र स्थान पर खड़े देखो।” (पढ़ने वाला स्वयं समझ ले कि इसका अर्थ क्या है) 16 “तब जो लोग यहूदिया में हों उन्हें पहाड़ों पर भाग जाना चाहिये। 17 जो अपने घर की छत पर हों, वह घर से बाहर कुछ भी ले जाने के लिए नीचे न उतरें। 18 और जो बाहर खेतों में काम कर रहें हों, वह पीछे मुड़ कर अपने वस्त्र तक न लें।

19 “उन स्त्रियों के लिये, जो गर्भवती होंगी या जिनके दूध पीते बच्चे होंगे, वे दिन बहुत कष्ट के होंगे। 20 प्रार्थना करो कि तुम्हें सर्दियों के दिनों या सब्त के दिन भागना न पड़े। 21 उन दिनों ऐसी विपत्ति आयेगी जैसी जब से परमेश्वर ने यह सृष्टि रची है, आज तक कभी नहीं आयी और न कभी आयेगी।

22 “और यदि परमेश्वर ने उन दिनों को घटाने का निश्चय न कर लिया होता तो कोई भी न बचता किन्तु अपने चुने हुओं के कारण वह उन दिनों को कम करेगा।

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

© 1995, 2010 Bible League International