Revised Common Lectionary (Complementary)
एक स्तुति गीत।
1 यहोवा के लिये एक नया गीत गाओं,
क्योंकि उसने नयी
और अद्भुत बातों को किया है।
2 उसकी पवित्र दाहिनी भुजा
उसके लिये फिर विजय लाई।
3 यहोवा ने राष्ट्रों के सामने अपनी वह शक्ति प्रकटायी है जो रक्षा करती है।
यहोवा ने उनको अपनी धार्मिकता दिखाई है।
4 परमेश्वर के भक्तों ने परमेश्वर का अनुराग याद किया, जो उसने इस्राएल के लोगों से दिखाये थे।
सुदूर देशो के लोगों ने हमारे परमेश्वर की महाशक्ति देखी।
5 हे धरती के हर व्यक्ति, प्रसन्नता से यहोवा की जय जयकार कर।
स्तुति गीत गाना शिघ्र आरम्भ करो।
6 हे वीणाओं, यहोवा की स्तुति करो!
हे वीणा, के मधुर संगीत उसके गुण गाओ!
7 बाँसुरी बजाओ और नरसिंगों को फूँको।
आनन्द से यहोवा, हमारे राजा की जय जयकार करो।
8 हे सागर और धरती,
और उनमें की सब वस्तुओं ऊँचे स्वर में गाओ।
9 हे नदियों, ताली बजाओ!
हे पर्वतो, अब सब साथ मिलकर गाओ!
तुम यहोवा के सामने गाओ, क्योंकि वह जगत का शासन (न्याय) करने जा रहा है,
वह जगत का न्याय नेकी और सच्चाई से करेगा।
शाऊल का परिवार दण्डित हुआ
21 दाऊद के समय में भूखमरी का काल आया। इस बार भूखमरी तीन वर्ष तक रही। दाऊद ने यहोवा से प्रार्थना की। यहोवा ने उत्तर दिया, “इस भूखमरी का कारण शाऊल और उसका हत्यारा परिवार है। इस समय भूखमरी आई क्योंकि शाऊल ने गिबोनियों को मार डाला।” 2 (गिबोनी इस्राएली नहीं थे। वे ऐसे एमोरियों के समूह थे जो अभी तक जीवित छोड़ दिये गये थे। इस्राएलियों ने प्रतिज्ञा की थी कि वे गिबोनी पर चोट नहीं करेंगे।[a] किन्तु शाऊल को इस्राएल और यहूदा के प्रति गहरा लगाव था। इसलिये उसने गिबोनियों को मारना चाहा।)
राजा दाऊद ने गिबोनी को एक साथ इकट्ठा किया। उसने उनसे बातें कीं। 3 दाऊद ने गिबोनी से कहा, “मैं आप लोगों के लिये क्या कर सकता हूँ? इस्राएल के पापों को धोने के लिये मैं क्या कर सकता हूँ जिससे आप लोग यहोवा के लोगों को आशीर्वाद दे सकें?”
4 गिबोनी ने दाऊद से कहा, “शाऊल और उसके परिवार के पास इतना सोना—चाँदी नहीं है कि वे उसके बदले उसे दे सकें जो उन्होंने काम किये। किन्तु हम लोगों के पास इस्राएल के किसी व्यक्ति को भी मारने का अधिकार नहीं है।”
दाऊद ने पूछा, “किन्तु मैं तुम्हारे लिये क्या कर सकता हूँ?”
5 गिबोनी ने दाऊद से कहा, “शाऊल ने हमारे विरूद्ध योजनायें बनाईं। उसने हमारे सभी लोगों को, जो इस्राएल में बचे हुए हैं, नष्ट करने का प्रयत्न किया। 6 शाऊल यहोवा का चुना हुआ राजा था। इसलिये उसके सात पुत्रों को हम लोगों के सामने लाया जाये। तब हम लोग उन्हें शाऊल के गिबा पर्वत पर यहोवा के सामने फाँसी चढ़ा देंगे।”
राजा दाऊद ने कहा, “मैं उन पुत्रों को तुम्हें दे दूँगा।” 7 किन्तु राजा ने योनातन के पुत्र मपीबोशेत की रक्षा की। योनातन शाऊल का पुत्र था। दाऊद ने यहोवा के नाम पर योनातन से प्रतिज्ञा की थी। इसलिये राजा ने मपीबोशेत को उन्हें चोट नहीं पहुँचाने दिया। 8 किन्तु राजा ने अर्मोनी, और मपीबोशेत,[b] रिस्पा और शाऊल के पुत्रों को लिया (रिस्पा अय्या की पुत्री थी)। राजा ने रिस्पा के इन दो पुत्रों और शाऊल की पुत्री मीकल के पाँचों पुत्रों को लिया। महोल नगर का निवासी बर्जिल्लै का पुत्र अद्रीएल मेराब के सभी पाँच पुत्रों का पिता था। 9 दाऊद ने इन सात पुत्रों को गिबोनी को दे दिया। तब गिबोनी ने इन सातों पुत्रों को यहोवा के सामने गिबा पर्वत पर फाँसी दे दी। ये सातों पुत्र एक साथ मरे। वे फसल की कटाई के पहले दिन मार डाले गए। (जौ की कटाई आरम्भ होने जा रही थी।)
दाऊद और रिस्पा
10 अय्या की पुत्री रिस्पा ने शोक के वस्त्र लिये और उसे चट्टान पर रख दिया। वह वस्त्र फसल की कटाई आरम्भ होने से लेकर जब तक वर्षा हुई चट्टान पर पड़ा रहा। दिन में रिस्पा अपने पुत्रों के शव को आकाश के पक्षियों द्वारा स्पर्श नहीं होने देती थी। रात को रिस्पा खेतों के जानवरों को अपने पुत्रों के शवों को छूने नहीं देती थी।
11 लोगों ने दाऊद को बताया, जो कुछ शाऊल की दासी अय्या की पुत्री रिस्पा कर रही थी। 12 तब दाऊद ने शाऊल और योनातन की अस्थियाँ याबेश गिलाद के लोगों से लीं। (याबेश के लोगों ने इन अस्थियों को बेतशान के सार्वजनिक रास्ते से चुरा ली थी। यह सार्वजनिक रास्ता बेतशान में वहाँ है जहाँ पलिश्तियों ने शाऊल और योनातन के शवों को लटकाया था। पलिश्तियों ने इन शवों को शाऊल को गिलबो में मारने के बाद लटकाया था) 13 दाऊद, शाऊल और उसके पुत्र योनातन की अस्थियों को, गिलाद से लाया। तब लोगों ने शाऊल के सात पुत्रों के शवों को इकट्ठा किया जो फाँसी चढ़ा दिये गये थे। 14 उन्होंने शाऊल और उसके पुत्र योनातन की अस्थियों को बिन्यामीन के जेला स्थान में दफनाया। लोगों ने शवों को शाऊल के पिता कीश की कब्र में दफनाया। लोगों ने वह सब किया जो राजा ने आदेश दिया। तब परमेश्वर ने देश के लिये की गई उनकी प्रार्थना सुनी।
3 हे भाईयों, तुम्हारे लिए हमें सदा परमेश्वर का धन्यवाद करना चाहिए, ऐसा करना उचित भी है। क्योंकि तुम्हारे विश्वास का आश्चर्यजनक रूप से विकास हो रहा है तथा तुममें आपसी प्रेम भी बढ़ रहा है। 4 इसलिए परमेश्वर की कलीसियाओं में हम स्वयं तुम पर गर्व करते हैं। तुम्हारी यातनाओं के बीच तथा कष्टों को सहते हुए धैर्यपूर्वक सहन करना तुम्हारे विश्वास को प्रकट करता है।
पौलुस का धन्यवाद तथा परमेश्वर के न्याय की चर्चा
5 यह इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि परमेश्वर का न्याय सच्चा है। उसका उद्देश्य यही है कि तुम परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करने योग्य ठहरो। तुम अब उसी के लिए तो कष्ट उठा रहे हो। 6 निश्चय ही परमेश्वर की दृष्टि में यह न्यायोचित है कि तुम्हें जो दुख दे रहे हैं, उन्हें बदले में दुख ही दिया जाए। 7 और तुम जो कष्ट उठा रहे हो, उन्हें हमारे साथ उस समय विश्राम दिया जाए जब प्रभु यीशु अपने सामर्थ्यवान दूतों के साथ स्वर्ग से 8 धधकती आग में प्रकट हो। और जो परमेश्वर को नहीं जानते तथा हमारे प्रभु यीशु मसीह के सुसमाचार पर नहीं चलते, उन्हें दण्ड दिया जाएगा। 9 उन्हें अनन्त विनाश का दण्ड दिया जाएगा। तथा उन्हें प्रभु और उसकी महिमापूर्ण शक्ति के सामने से हटा दिया जाएगा। 10 ऐसा तब होगा जब वह अपने पवित्र जनों के बीच महिमा मण्डित तथा सभी विश्वासियों के लिए आश्चर्य का हेतु बनने के लिए आएगा उसमें तुम लोग भी शामिल होगे क्योंकि हमने उसके विषय में जो साक्षी दी थी, उस पर तुमने विश्वास किया था।
11 इसलिए हम तुम्हारे हेतु परमेश्वर से सदा प्रार्थना करते हैं कि हमारा परमेश्वर तुम्हें उस जीवन के योग्य समझे जिसे जीने के लिए तुम्हें बुलाया गया है। और वह तुम्हारी हर उत्तम इच्छा को प्रबल रूप से परिपूर्ण करे और हर उस काम को वह सफल बनाए जो तुम्हारे विश्वास का परिणाम है। 12 इस प्रकार हमारे प्रभु यीशु मसीह का नाम तुम्हारे द्वारा आदर पाएगा। और तुम उसके द्वारा आदर पाओगे। यह सब कुछ हमारे परमेश्वर के और यीशु मसीह के अनुग्रह से होगा।
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