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Revised Common Lectionary (Complementary)

Daily Bible readings that follow the church liturgical year, with thematically matched Old and New Testament readings.
Duration: 1245 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
भजन संहिता 123

आरोहण गीत।

हे परमेश्वर, मैं ऊपर आँख उठाकर तेरी प्रार्थना करता हूँ।
    तू स्वर्ग में राजा के रूप में विराजता है।
दास अपने स्वामियों के ऊपर उन वस्तुओं के लिए निर्भर रहा करते हैं। जिसकी उनको आवश्यकता है।
    दासियाँ अपनी स्वामिनियों के ऊपर निर्भर रहा करती हैं।
इसी तरह हमको यहोवा का, हमारे परमेश्वर का भरोसा है।
    ताकि वह हम पर दया दिखाए, हम परमेश्वर की बाट जोहते हैं।
हे यहोवा, हम पर कृपालु है।
    दयालु हो क्योंकि बहुत दिनों से हमारा अपमान होता रहा है।
अहंकारी लोग बहुत दिनों से हमें अपमानित कर चुके हैं।
    ऐसे लोग सोचा करते हैं कि वे दूसरे लोगों से उत्तम हैं।

अय्यूब 21:1

अय्यूब का उत्तर

21 इस पर अय्यूब ने उत्तर देते हुए कहा:

अय्यूब 21:17-34

17 किन्तु क्या प्राय: ऐसा होता है कि दुष्ट जन का प्रकाश बुझ जाया करता है?
    कितनी बार दुष्टों को दु:ख घेरा करते हैं?
    क्या परमेश्वर उनसे कुपित हुआ करता है, और उन्हें दण्ड देता है?
18 क्या परमेश्वर दुष्ट लोगों को ऐसे उड़ाता है जैसे हवा तिनके को उड़ाती है
    और तेज हवायें अन्न का भूसा उड़ा देती हैं?
19 किन्तु तू कहता है: ‘परमेश्वर एक बच्चे को उसके पिता के पापों का दण्ड देता है।’
    नहीं, परमेश्वर को चाहिये कि बुरे जन को दण्डित करें। तब वह बुरा व्यक्ति जानेगा कि उसे उसके निज पापों के लिये दण्ड मिल रहा है।
20 तू पापी को उसके अपने दण्ड को दिखा दे,
    तब वह सर्वशक्तिशाली परमेश्वर के कोप का अनुभव करेगा।
21 जब बुरे व्यक्ति की आयु के महीने समाप्त हो जाते हैं और वह मर जाता है;
    वह उस परिवार की परवाह नहीं करता जिसे वह पीछे छोड़ जाता है।

22 “कोई व्यक्ति परमेश्वर को ज्ञान नहीं दे सकता,
    वह ऊँचे पदों के जनों का भी न्याय करता है।
23 एक पूरे और सफल जीवन के जीने के बाद एक व्यक्ति मरता है,
    उसने एक सुरक्षित और सुखी जीवन जिया है।
24 उसकी काया को भरपूर भोजन मिला था
    अब तक उस की हड्डियाँ स्वस्थ थीं।
25 किन्तु कोई एक और व्यक्ति कठिन जीवन के बाद दु:ख भरे मन से मरता है,
    उसने जीवन का कभी कोई रस नहीं चखा।
26 ये दोनो व्यक्ति एक साथ माटी में गड़े सोते हैं,
    कीड़े दोनों को एक जैसे ढक लेंगे।

27 “किन्तु मैं जानता हूँ कि तू क्या सोच रहा है,
    और मुझको पता है कि तेरे पास मेरा बुरा करने को कुचक्र है।
28 मेरे लिये तू यह कहा करता है कि ‘अब कहाँ है उस महाव्यक्ति का घर?
    कहाँ है वह घर जिसमें वह दुष्ट रहता था?’

29 “किन्तु तूने कभी बटोहियों से नहीं पूछा
    और उनकी कहानियों को नहीं माना।
30 कि उस दिन जब परमेश्वर कुपित हो कर दण्ड देता है
    दुष्ट जन सदा बच जाता है।
31 ऐसा कोई व्यक्ति नहीं जो उसके मुख पर ही उसके कर्मों की बुराई करे,
    उसके बुरे कर्मों का दण्ड कोई व्यक्ति उसे नहीं देता।
32 जब कोई दुष्ट व्यक्ति कब्र में ले जाया जाता है,
    तो उसके कब्र के पास एक पहरेदार खड़ा रहता है।
33 उस दुष्ट जन के लिये उस घाटी की मिट्टी मधुर होगी,
    उसकी शव—यात्रा में हजारों लोग होंगे।

34 “सो अपने कोरे शब्दों से तू मुझे चैन नहीं दे सकता,
    तेरे उत्तर केवल झूठे हैं।”

2 यूहन्ना

मुझ बुजुर्ग की ओर से उस महिला को—

जो परमेश्वर के द्वारा चुनी गयी है तथा उसके बालकों के नाम जिन्हें मैं सत्य के सहभागी व्यक्तियों के रूप में प्रेम करता हूँ।

केवल मैं ही तुम्हें प्रेम नहीं करता हूँ, बल्कि वे सभी तुम्हें प्रेम करते हैं जो सत्य को जान गये हैं। वह उसी सत्य के कारण हुआ है जो हममें निवास करता है और जो सदा सदा हमारे साथ रहेगा।

परम पिता परमेश्वर की ओर से उसका अनुग्रह, दया और शांति सदा हमारे साथ रहेगी तथा परम पिता परमेश्वर के पुत्र यीशु मसीह की ओर से सत्य और प्रेम में हमारी स्थिति बनी रहेगी।

तुम्हारे पुत्र-पुत्रियों को उस सत्य के अनुसार जीवन जीते देख कर जिसका आदेश हमें परमपिता से प्राप्त हुआ है, मैं बहुत आनन्दित हुआ हूँ और अब हे महिला, मैं तुम्हें कोई नया आदेश नहीं बल्कि उसी आदेश को लिख रहा हूँ, जिसे हमने अनादि काल से पाया है हमें परस्पर प्रेम करना चाहिए। प्रेम का अर्थ यही है कि हम उसके आदेशों पर चलें। यह वही आदेश है जिसे तुमने प्रारम्भ से ही सुना है कि तुम्हें प्रेमपूर्वक जीना चाहिए।

संसार में बहुत से भटकाने वाले हैं। ऐसा व्यक्ति जो यह नहीं मानता कि इस धरती पर मनुष्य के रूप में यीशु मसीह आया है, वह छली है तथा मसीह का शत्रु है। स्वयं को सावधान बनाए रखो! ताकि तुम उसे गँवा न बैठो जिसके लिए हमने[a] कठोर परिश्रम किया है, बल्कि तुम्हें तो तुम्हारा पूरा प्रतिफल प्राप्त करना है।

जो कोई बहुत दूर चला जाता है और मसीह के विषय में दिए गए सच्चे उपदेश में टिका नहीं रहता, वह परमेश्वर को प्राप्त नहीं करता और जो उसकी शिक्षा में बना रहता है, परमपिता और पुत्र दोनों ही उसके पास हैं। 10 यदि कोई तुम्हारे पास आकर इस उपदेश को नहीं देता है तो अपने घर उसका आदर सत्कार मत करो तथा उसके स्वागत में नमस्कार भी मत करो। 11 क्योंकि जो ऐसे व्यक्ति का सत्कार करता है, वह उसके बुरे कामों में भागीदार बनता है।

12 यद्यपि तुम्हें लिखने को मेरे पास बहुत सी बातें हैं किन्तु उन्हें मैं लेखनी और स्याही से नहीं लिखना चाहता। बल्कि मुझे आशा है कि तुम्हारे पास आकर आमने-सामने बैठ कर बातें करूँगा। जिससे हमारा आनन्द परिपूर्ण हो। 13 तेरी बहन[b] के पुत्र-पुत्रियों का तुझे नमस्कार पहुँचे।

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

© 1995, 2010 Bible League International