Revised Common Lectionary (Complementary)
दाऊद का प्रार्थना गीत।
1 हे यहोवा, मेरी प्रार्थना न्याय के निमित्त सुन।
मैं तुझे ऊँचे स्वर से पुकार रहा हूँ।
मैं अपनी बात ईमानदारी से कह रहा हूँ।
सो कृपा करके मेरी प्रार्थना सुन।
2 यहोवा तू ही मेरा उचित न्याय करेगा।
तू ही सत्य को देख सकता है।
3 मेरा मन परखने को तूने उसके बीच
गहरा झाँक लिया है।
तू मेरे संग रात भर रहा, तूने मुझे जाँचा, और तुझे मुझ में कोई खोट न मिला।
मैंने कोई बुरी योजना नहीं रची थी।
4 तेरे आदेशों को पालने में मैंने कठिन यत्न किया
जितना कि कोई मनुष्य कर सकता है।
5 मैं तेरी राहों पर चलता रहा हूँ।
मेरे पाँव तेरे जीवन की रीति से नहीं डिगे।
6 हे परमेश्वर, मैंने हर किसी अवसर पर तुझको पुकारा है और तूने मुझे उत्तर दिया है।
सो अब भी तू मेरी सुन।
7 हे परमेश्वर, तू अपने भक्तों की सहायता करता है।
उनकी जो तेरे दाहिने रहते हैं।
तू अपने एक भक्त की यह प्रार्थना सुन।
8 मेरी रक्षा तू निज आँख की पुतली समान कर।
मुझको अपने पंखों की छाया तले तू छुपा ले।
9 हे यहोवा, मेरी रक्षा उन दुष्ट जनों से कर जो मुझे नष्ट करने का यत्न कर रहे हैं।
वे मुझे घेरे हैं और मुझे हानि पहुँचाने को प्रयत्नशील हैं।
यहूदा और तामार
38 उन्हीं दिनों यहूदा ने अपने भाईयों को छोड़ दिया और हीरा नामक व्यक्ति के साथ रहने चला गया। हीरा अदुल्लाम नगर का था। 2 यहूदा एक कनानी स्त्री से वहाँ मिला और उसने उससे विवाह कर लिया। स्त्री के पिता का नाम शूआ था। 3 कनानी स्त्री ने एक पुत्र को जन्म दिया। उन्होंने उसका नाम एर रखा। 4 बाद में उसने दूसरे पुत्र को जन्म दिया। उन्होंने लड़के का नाम ओनान रखा। 5 बाद में उसे अन्य पुत्र शेला नाम का हुआ। यहूदा तीसरे बच्चे के जन्म के समय कजीब में रहता था।
6 यहूदा ने अपने पुत्र एर के लिए पत्नी के रूप में एक स्त्री को चुना। स्त्री का नाम तामार था। 7 किन्तु एर ने बहुत सी बुरी बातें की। यहोवा उससे प्रसन्न नहीं था। इसलिए यहोवा ने उसे मार डाला। 8 तब यहूदा ने एर के भाई ओनान से कहा, “जाओ और मृत भाई की पत्नी के साथ सोओ[a] तुम उसके पति के समान बनो। अगर बच्चे होंगे तो वे तुम्हारे भाई एर के होंगे।”
9 ओनान जानता था कि इस जोड़े से पैदा बच्चे उसके नहीं होंगे। ओनान ने तामार के साथ शारीरिक सम्बन्ध किया। किन्तु उसने उसे अपना गर्भधारण करने नहीं दिया। 10 इससे यहोवा क्रोधित हुआ। इसलिए यहोवा ने ओनान को भी मार डाला। 11 तब यहूदा ने अपनी पुत्रबधू तामार से कहा, “अपने पिता के घर लौट जाओ। वहीं रहो और तब तक विवाह न करो जब तक मेरा छोटा पुत्र शेला बड़ा न हो जाए।” यहूदा को डर था कि शेला भी अपने भाईयों की तरह मार डाला जाएगा। तामार अपने पिता के घर लौट गई।
12 बाद में शुआ की पुत्री यहूदा की पत्नी मर गई। यहूदा अपने शोक के समय के बाद अदुल्लाम के अपने मित्र हीरा के साथ तिम्नाथ गया। यहूदा अपनी भेड़ों का ऊन काटने तिम्नाथ गया। 13 तामार को यह मालुम हुआ कि उसके ससुर यहूदा अपनी भेड़ों का ऊन काटने तिम्नाथ जा रहा है। 14 तामार सदा ऐसे वस्त्र पहनती थी जिससे मालूम हो कि वह विधवा है। इसलिए उसने कुछ अन्य वस्त्र पहने और मुँह को पर्दे में ढक लिया। तब वह तिम्नाथ नगर के पास एनैम को जाने वाली सड़क के किनारे बैठ गई। तामार जानती थी कि यहूदा का छोटा पुत्र शेला अब बड़ा हो गया है। लेकिन यहूदा उससे उसके विवाह की कोई योजना नहीं बना रहा था।
15 यहूदा ने उसी सड़क से यात्रा की। उसने उसे देखा, किन्तु सोचा कि वह वेश्या है। (उसका मुख वेश्या की तरह ढका हुआ था।) 16 इसलिए यहूदा उसके पास गया और बोला, “मुझे अपने साथ शारीरिक सम्बन्ध करने दो।” (यहूदा नहीं जानता था कि वह उसकी पुत्र वधू तामार है।)
तामार बोली, “तुम मुझे कितना दोगे?”
17 यहूदा ने उत्तर दिया, “मैं अपनी रेवड़ से तुम्हें एक नयी बकरी भेजूँगा।”
उसने उत्तर दिया, “मैं इसे स्वीकार करती हूँ किन्तु पहले तुम मुझे कुछ रखने को दो जब तक तुम बकरी नहीं भेजते।”
18 यहूदा ने पूछा, “मैं बकरी भेजूँगा इसके प्रमाण के लिए तुम मुझ से क्या लेना चाहोगी?”
तामार ने उत्तर दिया, “मुझे विशेष मुहर और इसकी रस्सी,[b] जो तुम अपने पत्रों के लिए प्रयोग करते हो, दो और मुझे अपने टहलने की छड़ी दो।” यहूदा ने ये चीजें उसे दे दीं। तब यहूदा और तामार ने शारीरिक सम्बन्ध किया और तामार गर्भवती हो गई। 19 तामार घर गई और मुख को ढकने वाले पर्दे को हटा दिया। तब उसने फिर अपने को विधवा बताने वाले विशेष वस्त्र पहन लिए।
20 यहूदा ने अपने मित्र हीरा को तामार के घर उसको वचन दी हुई बकरी देने के लिए भेजा। यहूदा ने हीरा से विशेष मुहर तथा टहलने की छड़ी भी उससे लेने के लिए कहा। किन्तु हीरा उसका पता न लगा सका। 21 हीरा ने एनैम नगर के कुछ लोगों से पूछा, “सड़क के किनारे जो वेश्या थी वह कहाँ है?”
लोगों ने कहा, “यहाँ कभी कोई वेश्या नहीं थी।”
22 इसलिए यहूदा का मित्र यहूदा के पास लौट गया और उससे कहा, “मैं उस स्त्री का पता नहीं लगा सका। जो लोग उस स्थान पर रहते हैं उन्होंने बताया कि वहाँ कभी कोई वेश्या नहीं थी।”
23 इसलिए यहूदा ने कहा, “उसे वे चीजें रखने दो। मैं नहीं चाहता कि लोग हम पर हँसे। मैंने उसे बकरी देनी चाही, किन्तु हम उसका पता नहीं लगा सके यही पर्याप्त है।”
तामार गर्भवती है
24 लगभग तीन महीने बाद किसी ने यहूदा से कहा, “तुम्हारी पुत्रवधु तामार ने वेश्या की तरह पाप किया है और अब वह गर्भवती है।”
तब यहूदा ने कहा, “उसे बाहर निकालो और मार डालो। उसके शरीर को जला दो।”
25 उसके आदमी तामार को मारने गए। किन्तु तामार ने अपने ससुर के पास सन्देश भेजा। तामार ने कहा, “जिस पुरुष ने मुझे गर्भवती किया है उसी की ये चीजें हैं। तब उसने उसे विशेष मुहर बाजूबन्द और टहलने की छड़ी दिखाई। इन चीजों को देखो। ये किसकी है? यह किस की विशेष मुहर, बाजूबन्द और रस्सी हैं? किसकी यह टहलने की छड़ी है?”
26 यहूदा ने उन चीजों को पहचाना और कहा, “यह ठीक कहती है। मैं गलती पर था। मैंने अपने वचन के अनुसार अपने पुत्र शेला को इसे नहीं दिया।” और यहूदा उसके साथ फिर नहीं सोया।
पौलुस का अपने आपको फेलिक्स के सामने बचाव करना
10 फिर राज्यपाल ने जब पौलुस को बोलने के लिये इशारा किया तो उसने उत्तर देते हुए कहा, “तू बहुत दिनों से इस देश का न्यायाधीश है। यह जानते हुए मैं प्रसन्नता के साथ अपना बचाव प्रस्तुत कर रहा हूँ। 11 तू स्वयं यह जान सकता है कि अभी आराधना के लिए मुझे यरूशलेम गये बस बारह दिन बीते हैं। 12 वहाँ मन्दिर में मुझे न तो किसी के साथ बहस करते पाया गया है और न ही आराधनालयों या नगर में कहीं और लोगों को दंगों के लिए भड़काते हुए 13 और अब तेरे सामने जिन अभियोगों को ये मुझ पर लगा रहे हैं उन्हें प्रमाणित नहीं कर सकते हैं।
14 “किन्तु मैं तेरे सामने यह स्वीकार करता हूँ कि मैं अपने पूर्वजों के परमेश्वर की आराधना अपने पंथ के अनुसार करता हूँ, जिसे ये एक पंथ कहते हैं। मैं हर उस बात में विश्वास करता हूँ जिसे व्यवस्था बताती है और जो नबियों के ग्रन्थों में लिखी है। 15 और मैं परमेश्वर में वैसे ही भरोसा रखता हूँ जैसे स्वयं ये लोग रखते हैं कि धर्मियों और अधर्मियों दोनों का ही पुनरुत्थान होगा। 16 इसीलिये मैं भी परमेश्वर और लोगों के समक्ष सदा अपनी अन्तरात्मा को शुद्ध बनाये रखने के लिए प्रयत्न करता रहता हूँ।
17-18 “बरसों तक दूर रहने के बाद मैं अपने दीन जनों के लिये उपहार ले कर भेंट चढ़ाने आया था। और जब मैं यह कर ही रहा था उन्होंने मुझे मन्दिर में पाया, तब मैं विधि-विधान पूर्वक शुद्ध था। न वहाँ कोई भीड़ थी और न कोई अशांति। 19 एशिया से आये कुछ यहूदी वहाँ मौजूद थे। यदि मेरे विरुद्ध उनके पास कुछ है तो उन्हें तेरे सामने उपस्थित हो कर मुझ पर आरोप लगाने चाहियें। 20 या ये लोग जो यहाँ हैं वे बतायें कि जब मैं यहूदी महासभा के सामने खड़ा था, तब उन्होंने मुझ में क्या खोट पाया। 21 सिवाय इसके कि जब मैं उनके बीच में खड़ा था तब मैंने ऊँचे स्वर में कहा था, ‘मरे, हुओं में से जी उठने के विषय में आज तुम्हारे द्वारा मेरा न्याय किया जा रहा है।’”
22 फिर फेलिक्स, जो इस-पंथ की पूरी जानकारी रखता था, मुकदमे की सुनवाई को स्थगित करते हुए बोला, “जब सेनानायक लुसिआस आयेगा, मैं तभी तुम्हारे इस मुकदमे पर अपना निर्णय दूँगा।” 23 फिर उसने सूबेदार को आज्ञा दी कि थोड़ी छूट देकर पौलुस को पहरे के भीतर रखा जाये और उसके मित्रों को उसकी आवश्यकताएँ पूरी करने से न रोका जाये।
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