Revised Common Lectionary (Complementary)
नामान की समस्या
5 नामान अराम के राजा की सेना का सेनापति था। नामान अपने राजा के लिए अत्याधिक महत्वपूर्ण था। नामान इसलिये अत्याधिक महत्वपूर्ण था क्योंकि यहोवा ने उसका उपयोग अराम को विजय दिलाने के लिए किया था। नामान एक महान और शक्तिशाली व्यक्ति था, किन्तु वह विकट चर्मरोग से पीड़ित था।
2 अरामी सेना ने कई सेना की टुकड़ियों को इस्राएल में लड़ने भेजा। सैनिकों ने बहुत से लोगों को अपना दास बना लिया। एक बार उन्होंने एक छोटी लड़की को इस्राएल देश से लिया। यह छोटी लड़की नामान की पत्नी की सेविका हो गई। 3 इस लड़की ने नामान की पत्नी से कहा, “मैं चाहती हूँ कि मेरे स्वामी (नामान) उस नबी (एलीशा) से मिलें जो शोमरोन में रहता है। वह नबी नामान के विकट चर्मरोग को ठीक कर सकता है।”
7 जब इस्राएल का राजा उस पत्र को पढ़ चुका तो उसने अपनी चिन्ता और परेशानी को प्रकट करने के लिये अपने वस्त्र फाड़ डाले। इस्राएल के राजा ने कहा, “क्या मैं परमेश्वर हूँ नहीं! जीवन और मृत्यु पर मेरा कोई अधिकार नहीं। तब अराम के राजा ने मेरे पास विकट चर्मरोग के रोगी को स्वस्थ करने के लिये क्यों भेजा इसे जरा सोचो और तुम देखोगे कि यह एक चाल है। अराम का राजा युद्ध आरम्भ करना चाहता है।”
8 परमेश्वर के जन (एलीशा) ने सुना कि इस्राएल का राजा परेशान है और उसने अपने वस्त्र फाड़ डाले हैं। एलीशा ने अपना सन्देश राजा के पास भेजाः “तुमने अपने वस्त्र क्यों फाड़े नामान को मेरे पास आने दो। तब वह समझेगा कि इस्राएल में कोई नबी भी है।”
9 अतः नामान अपने घोड़ों और रथों के साथ एलीशा के घर आया और द्वार के बाहर खड़ा रहा। 10 एलीशा ने एक सन्देशवाहक को नामान के पास भेजा। सन्देशवाहक ने कहा, “जाओ, और यरदन नदी में सात बार नहाओ। तब तुम्हारा चर्मरोग स्वस्थ हो जाएगा और तुम पवित्र तथा शुद्ध हो जाओगे।”
11 नामान क्रोधित हुआ और वहाँ से चल पड़ा। उसने कहा, “मैंने समझा था कि कम से कम एलीशा बाहर आएगा, मेरे सामने खड़ा होगा और यहोवा, अपने परमेश्वर के नाम कुछ कहेगा। मैं समझ रहा था कि वह मेरे शरीर पर अपना हाथ फेरेगा और कुष्ठ को ठीक कर देगा। 12 दमिश्क की नदियाँ अबाना और पर्पर इस्राएल के सभी जलाशयों से अच्छी हैं! मैं दमिश्क की उन नदियों में क्यों नहीं नहाऊँ और पवित्र हो जाऊँ” इसलिये नामान वापस चला गया। वह क्रोधित था।
13 किन्तु नामान के सेवक उसके पास गए और उससे बातें कीं। उन्होंने कहा, “पिता[a] यदि नबी ने आपसे कोई महान काम करने को कहा होता तो आप उसे जरुर करते। अतः आपको उसकी आज्ञा का पालन करना चाहिये यदि वह कुछ सरल काम करने को भी कहता है और उसने कहा, ‘नहाओ और तुम पवित्र और शुद्ध हो जाओगे।’”
14 इसलिये नामान ने वह काम किया जो परमेश्वर के जन (एलीशा) ने कहा, नामान नीचे उतरा और उसने सात बार यरदन नदी में स्नान किया और नामान पवित्र और शुद्ध हो गया। नामान की त्वचा बच्चे की त्वचा की तरह कोमल हो गई।
15 नामान और उसका सारा समूह परमेश्वर के जन (एलीशा) के पास आया। वह एलीशा के सामने खड़ा हुआ और उससे कहा, “देखिये, अब मैं समझता हूँ कि इस्राएल के अतिरिक्त पृथ्वी पर कहीं परमेश्वर नहीं है! अब कृपया मेरी भेंट स्वीकार करें!”
1 यहोवा के गुण गाओ!
यहोवा का अपने सम्पूर्ण मन से ऐसी उस सभा में धन्यवाद करता हूँ
जहाँ सज्जन मिला करते हैं।
2 यहोवा ऐसे कर्म करता है, जो आश्चर्यपूर्ण होते हैं।
लोग हर उत्तम वस्तु चाहते हैं, वही जो परमेश्वर से आती है।
3 परमेश्वर ऐसे कर्म करता है जो सचमुच महिमावान और आश्चर्यपूर्ण होते हैं।
उसका खरापन सदा—सदा बना रहता है।
4 परमेश्वर अद्भुत कर्म करता है ताकि हम याद रखें
कि यहोवा करूणापूर्ण और दया से भरा है।
5 परमेश्वर निज भक्तों को भोजन देता है।
परमेश्वर अपनी वाचा को याद रखता है।
6 परमेश्वर के महान कार्य उसके प्रजा को यह दिखाया
कि वह उनकी भूमि उन्हें दे रहा है।
7 परमेश्वर जो कुछ करता है वह उत्तम और पक्षपात रहित है।
उसके सभी आदेश पूरे विश्वास योग्य हैं।
8 परमेश्वर के आदेश सदा ही बने रहेंगे।
परमेश्वर के उन आदेशों को देने के प्रयोजन सच्चे थे और वे पवित्र थे।
9 परमेश्वर निज भक्तों को बचाता है।
परमेश्वर ने अपनी वाचा को सदा अटल रहने को रचा है, परमेश्वर का नाम आश्चर्यपूर्ण है और वह पवित्र है।
10 विवेक भय और यहोवा के आदर से उपजता है।
वे लोग बुद्धिमान होतेहैं जो यहोवा का आदर करते हैं।
यहोवा की स्तुति सदा गायी जायेगी।
8 यीशु मसीह का स्मरण करते रहो जो मरे हुओं में से पुरर्जीवित हो उठा है और जो दाऊद का वंशज है। यही उस सुसमाचार का सार है जिसका मैं उपदेश देता हूँ 9 इसी के लिए मैं यातनाएँ झेलता हूँ। यहाँ तक कि एक अपराधी के समान मुझे जंजीरों से जकड़ दिया गया है। किन्तु परमेश्वर का वचन तो बंधन रहित है। 10 इसी कारण परमेश्वर के चुने हुए लोगों के लिये मैं हर दुःख उठाता रहता हूँ ताकि वे भी मसीह यीशु में प्राप्त होने वाले उद्धार को अनन्त महिमा के साथ प्राप्त कर सकें।
11 यह वचन विश्वास के योग्य है कि:
यदि हम उसके साथ मरे हैं, तो उसी के साथ जीयेंगे,
12 यदि दुःख उठाये हैं तो उसके साथ शासन भी करेंगे।
यदि हम उसको छोड़ेंगे, तो वह भी हमको छोड़ देगा,
13 हम चाहे विश्वास हीन हों पर वह सदा सर्वदा विश्वसनीय रहेगा
क्योंकि वह अपना इन्कार नहीं कर सकता।
स्वीकृत कार्यकर्ता
14 लोगों को इन बातों का ध्यान दिलाते रहो और परमेश्वर को साक्षी करके उन्हें सावधान करते रहो कि वे शब्दों को लेकर लड़ाई झगड़ा न करें। ऐसे लड़ाई झगड़ों से कोई लाभ नहीं होता, बल्कि इन्हें जो सुनते हैं, वे भी नष्ट हो जाते हैं। 15 अपने आप को परमेश्वर द्वारा ग्रहण करने योग्य बनाकर एक ऐसे सेवक के रूप में प्रस्तुत करने का यत्न करते रहो जिससे किसी बात के लिए लज्जित होने की आवश्यकता न हो। और जो परमेश्वर के सत्य वचन का सही ढंग से उपयोग करता हो,
आभारी रहो
11 फिर जब यीशु यरूशलेम जा रहा था तो वह सामरिया और गलील के बीच की सीमा के पास से निकला। 12 जब वह एक गाँव में जा रहा था तभी उसे दस कोढ़ी मिले। वे कुछ दूरी पर खड़े थे। 13 वे ऊँचे स्वर में पुकार कर बोले, “हे यीशु! हे स्वामी! हम पर दया कर!”
14 फिर जब उसने उन्हें देखा तो वह बोला, “जाओ और अपने आप को याजकों को दिखाओ।”
वे अभी जा ही रहे थे कि वे कोढ़ से मुक्त हो गये। 15 किन्तु उनमें से एक ने जब यह देखा कि वह शुद्ध हो गया है, तो वह वापस लौटा और ऊँचे स्वर में परमेश्वर की स्तुति करने लगा। 16 वह मुँह के बल यीशु के चरणों में गिर पड़ा और उसका आभार व्यक्त किया। (और देखो, वह एक सामरी था।) 17 यीशु ने उससे पूछा, “क्या सभी दस के दस कोढ़ से मुक्त नहीं हो गये? फिर वे नौ कहाँ हैं? 18 क्या इस परदेसी को छोड़ कर उनमें से कोई भी परमेश्वर की स्तुति करने वापस नहीं लौटा।” 19 फिर यीशु ने उससे कहा, “खड़ा हो और चला जा, तेरे विश्वास ने तुझे अच्छा किया है।”
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