Revised Common Lectionary (Complementary)
दाऊद को समर्पित।
1 दुर्जनों से मत घबरा,
जो बुरा करते हैं ऐसे मनुष्यों से ईर्ष्या मत रख।
2 दुर्जन मनुष्य घास और हरे पौधों की तरह
शीघ्र पीले पड़ जाते हैं और मर जाते हैं।
3 यदि तू यहोवा पर भरोसा रखेगा और भले काम करेगा तो तू जीवित रहेगा
और उन वस्तुओं का भोग करेगा जो धरती देती है।
4 यहोवा की सेवा में आनन्द लेता रह,
और यहोवा तुझे तेरा मन चाहा देगा।
5 यहोवा के भरोसे रह। उसका विश्वास कर।
वह वैसा करेगा जैसे करना चाहिए।
6 दोपहर के सूर्य सा, यहोवा तेरी नेकी
और खरेपन को चमकाए।
7 यहोवा पर भरोसा रख और उसके सहारे की बाट जोह।
तू दुष्टों की सफलता देखकर घबराया मत कर। तू दुष्टों की दुष्ट योजनाओं को सफल होते देख कर मत घबरा।
8 तू क्रोध मत कर! तू उन्मादी मत बन! उतना मत घबरा जा कि तू बुरे काम करना चाहे।
9 क्योंकि बुरे लोगों को तो नष्ट किया जायेगा।
किन्तु वे लोग जो यहोवा पर भरोसे हैं, उस धरती को पायेंगे जिसे देने का परमेश्वर ने वचन दिया।
आराम पर विपत्ति
7 आहाज, योताम का पुत्र था। योताम उज्जिय्याह का पुत्र था। उन्हीं दिनों रसीन आराम का राजा हुआ करता था और इस्राएल पर रमल्याह के पुत्र पेकह राजा था। जिन दिनों यहूदा पर आहाज शासन कर रहा था, रसीन और पेकह युद्ध के लिये यरूशलेम पर चढ़ बैठे। किन्तु वे इस नगर को हरा नहीं सके।
2 दाऊद के घराने को एक सन्देश मिला। सन्देश के अनुसार, “आराम और इस्राएल की सेनाओं में परस्पर सन्धि हो गयी है। वे दोनों सेनाएँ आपस में एक हो गयी हैं।”
राजा आहाज ने जब यह समाचार सुना तो वह और उसकी प्रजा बहुत भयभीत हुए। वे आँधी में हिलते हुए वन के वृक्षों के समान भय से काँपने लगे।
3 तभी यशायाह से यहोवा ने कहा, “तुझे और तेरे पुत्र शार्याशूब को आहाज के पास जाकर बात करनी चाहिये। तू उस स्थान पर आ, जहाँ ऊपर के तालाब में पानी गिरा करता है। यह उस गली में है जो धोबी—घाट की तरफ जाती है।
4 “आहाज से जाकर कहना, ‘सावधान रह किन्तु साथ ही शांत भी रह। डर मत। उन दोनों व्यक्तियों रसीन और रमल्याह के पुत्रों से मत डर। वे दो व्यक्ति तो जली हुई लकड़ियों के समान हैं। पहले वे दहका करते थे किन्तु अब वे, बस धुआं मात्र रह गये हैं। रसीन, आराम और रमल्याह का पुत्र कुपित है। 5 आराम, एप्रैम के प्रदेशों और रमल्याह के पुत्र ने तुम्हारे विरुद्ध योजनाएँ बना रखी हैं। उन्होंने कहा, 6 हमें यहूदा पर चढ़ाई करनी चाहिये। हम अपने लिये उसे बाँट लेंगे। हम ताबेल के पुत्र को यहूदा का नया राजा बनायेंगे।’”
7 मेरे स्वामी यहोवा का कहना है, “उनकी योजना सफल नहीं होगी। वह कभी पूरी नहीं होंगी। 8 जब तक दमिश्क का राजा रसीन है, तब तक यह नहीं घटेगी। इस्राएल अब एक राष्ट्र है किन्तु पैंसठ वर्ष के भीतर यह एक राष्ट्र नहीं रहेगा। 9 जब तक इस्राएल की राजधानी शोमरोन है और जब तक शोमरोन का राजा रमल्याह का पुत्र है तब तक उनकी योजनाएँ सफल नहीं होंगी। यदि इस सन्देश पर तू विश्वास नहीं करेगा तो लोग तुझ पर विश्वास नहीं करेंगे।”
अंधों को आँखें
(मरकुस 10:46-52; लूका 18:35-43)
29 जब वे यरीहो नगर से जा रहे थे एक बड़ी भीड़ यीशु के पीछे हो ली। 30 वहाँ सड़क किनारे दो अंधे बैठे थे। जब उन्होंने सुना कि यीशु वहाँ से जा रहा है, वे चिल्लाये, “प्रभु, दाऊद के पुत्र, हम पर दया कर!”
31 इस पर भीड़ ने उन्हें धमकाते हुए चुप रहने को कहा पर वे और अधिक चिल्लाये, “प्रभु! दाऊद के पुत्र हम पर दया कर!”
32 फिर यीशु रुका और उनसे बोला, “तुम क्या चाहते हो, मैं तुम्हारे लिए क्या करूँ?”
33 उन्होंने उससे कहा, “प्रभु, हम चाहते हैं कि हम देख सकें।”
34 यीशु को उन पर दया आयी। उसने उनकी आँखों को छुआ, और तुरंत ही वे फिर देखने लगे। वे उसके पीछे हो लिए।
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