Revised Common Lectionary (Complementary)
1 यहोवा की प्रशंसा करो!
हे यहोवा के सेवकों यहोवा की स्तुति करो, उसका गुणगान करो!
यहोवा के नाम की प्रशंसा करो!
2 यहोवा का नाम आज और सदा सदा के लिये और अधिक धन्य हो।
यह मेरी कामना है।
3 मेरी यह कामना है, यहोवा के नाम का गुण पूरब से जहाँ सूरज उगता है,
पश्चिम तक उस स्थान में जहाँ सूरज डूबता है गाया जाये।
4 यहोवा सभी राष्ट्रों से महान है।
उसकी महिमा आकाशों तक उठती है।
5 हमारे परमेश्वर के समान कोई भी व्यक्ति नहीं है।
परमेश्वर ऊँचे अम्बर में विराजता है।
6 ताकि परमेश्वर अम्बर
और नीचे धरती को देख पाये।
7 परमेश्वर दीनों को धूल से उठाता है।
परमेश्वर भिखारियों को कूड़े के घूरे से उठाता है।
8 परमेश्वर उन्हें महत्वपूर्ण बनाता है।
परमेश्वर उन लोगों को महत्वपूर्ण मुखिया बनाता है।
9 चाहै कोई निपूती बाँझ स्त्री हो, परमेश्वर उसे बच्चे दे देगा
और उसको प्रसन्न करेगा।
यहोवा का गुणगान करो!
इस्राएल बेकार कचरे की तरह है
17 यहोवा का वचन मुझ तक आया। उसने कहा, 18 “मनुष्य के पुत्र, काँसा, लोहा, सीसा और टीन चाँदी की तुलना में बेकार हैं। कारीगर चाँदी को शुद्ध करने के लिये आग में डालते हैं। चाँदी गल जाती है और कारीगर इसे कचरे से अलग करता है। इस्राएल राष्ट्र उस बेकार कचरे की तरह हो गया है। 19 इसलिये यहोवा तथा स्वामी यह कहता है, ‘तुम सभी लोग बेकार कचरे की तरह हो गए हो। इसलिये मैं तुम्हें इस्राएल में इकट्ठा करूँगा। 20 कारीगर चाँदी, काँसा, लोहा, सीसा और टीन को आग में डालते हैं। वे आग को अधिक गर्म करने के लिये फूँकते हैं। तब धातुओं का गलना आरम्भ हो जाता है। इसी प्रकार मैं तुम्हें अपनी आग में डालूँगा और तुम्हें पिघलाऊँगा। वह आग मेरा गरम क्रोध है। 21 मैं तुम्हें उस आग में डालूँगा और मैं अपने क्रोध की आग को फूँके मारूँगा और तुम्हारा पिघलना आरम्भ हो जाएगा। 22 चाँदी आग में पिघलती है और कारीगर चाँदी को ढालते हैं तथा बचाते हैं। इसी प्रकार तुम नगर में पिघलोगे। तब तुम जानोगे कि मैं यहोवा हूँ और तुम समझोगे कि मैंने तुम्हारे विरुद्ध अपने क्रोध को उंड़ेला है।’”
यहेजकेल यरूशलेम के विरुद्ध बोलता है
23 यहोवा का वचन मुझे मिला। उसने कहा, 24 “मनुष्य के पुत्र, यरूशलेम से बातें करो। उससे कहो कि वह पवित्र नहीं है। मैं उस देश पर क्रोधित हूँ इसलिये उस देश ने अपनी वर्षा नहीं पाई है। 25 यरूशलेम में नबी बुरे कार्यक्रम बना रहे हैं। वे उस सिंह की तरह है जो उस समय गरजता है जब वह अपने पकड़े हुए जानवर को खाता है। उन नबियों ने बहुत से जीवन नष्ट किये हैं। उन्होंने अनेक कीमती चीजें ली हैं। उन्होंने यरूशलेम में अनेक स्त्रियों को विधवा बनाया।
26 “याजकों ने सचमुच मेरे उपदेशों को हानि पहुँचाई है। वे मेरी पवित्र चीजों को ठीक—ठीक नहीं बरतते अर्थात् वे यह प्रकट नहीं करते कि वे महत्वपूर्ण हैं। वे पवित्र चीज़ों को अपवित्र चीज़ों की तरह बरतते हैं। वे शुद्ध चीज़ो को अशुद्ध चीज़ों की तरह बरतते हैं। वे लोगों को इनके विषय में शिक्षा नहीं देते। वे मेरे विशेष विश्राम के दिनों का सम्मान करने से इन्कार करते हैं। वे मुझे इस तरह लेते हैं मानों मैं महत्वपूर्ण नहीं हूँ।
27 “यरूशलेम में प्रमुख उन भेड़िये के समान हैं जो अपने पकड़े जानवर को खा रहा है। वे प्रमुख केवल सम्पन्न बनने के लिये आक्रमण करते हैं और लोगों को मार डालते हैं।
28 “नबी, लोगों को चेतावनी नहीं देते, वे सत्य को ढक देते हैं। वे उन कारीगरों के समान हैं जो दीवार को ठीक—ठीक दृढ़ नहीं बनाते वे केवल छेदों पर लेप कर देते हैं। उनका ध्यान केवल झूठ पर होता है। वे अपने जादू का उपयोग भविष्य जानने के लिये करते हैं, किन्तु वे केवल झूठ बोलते हैं। वे कहते हैं, ‘मेरे स्वामी यहोवा ने ये बातें कहीं। किन्तु वे केवल झूठ बोल रहे हैं—यहोवा ने उनसे बातें नहीं की!’
29 “सामान्य जनता एक दूसरे का लाभ उठाते हैं। वे एक दूसरे को धोखा देते और चोरी करते हैं। वे गरीब और असहाय व्यक्ति के साथ ऐसा व्यवहार करते हैं। वे विदेशियों को भी धोखा देते थे, मानों उनके विरुद्ध कोई नियम न हो!
30 “मैंने लोगों से कहा कि तुम लोग अपना जीवन बदलो और अपने देशों की रक्षा करो। मैंने लोगों को दीवारों को दृढ़ करने के लिये कहा। मैं चाहता था कि वे दीवारों के छेदों पर खड़े रहें और अपने नगर की रक्षा करें। किन्तु कोई व्यक्ति सहायता के लिये नहीं आया! 31 अत: मैं अपना क्रोध प्रकट करुँगा, मैंउन्हें पूरी तरह नष्ट करूँगा! मैं उन्हें उन बुरे कामों के लिये दण्डित करुँगा जिन्हें उन्होंने किये हैं। यह सब उनका दोष है!” मेरे स्वामी यहोवा ने ये बातें कहीं।
परमेश्वर का प्रेम
31 तो इसे देखते हुए हम क्या कहें? यदि परमेश्वर हमारे पक्ष में है तो हमारे विरोध में कौन हो सकता है? 32 उसने जिसने अपने पुत्र तक को बचा कर नहीं रखा बल्कि उसे हम सब के लिए मरने को सौंप दिया। वह भला हमें उसके साथ और सब कुछ क्यों नहीं देगा? 33 परमेश्वर के चुने हुए लोगों पर ऐसा कौन है जो, दोष लगायेगा? वह परमेश्वर ही है जो उन्हें निर्दोष ठहराता है। 34 ऐसा कौन है जो उन्हें दोषी ठहराएगा? मसीह यीशु वह है जो मर गया (और इससे भी अधिक महत्त्वपूर्ण यह है कि) उसे फिर जिलाया गया। जो परमेश्वर के दाहिनी ओर बैठा है और हमारी ओर से विनती भी करता है 35 कौन है जो हमें मसीह के प्यार से अलग करेगा? यातना या कठिनाई या अत्याचार या अकाल या नंगापन या जोख़िम या तलवार? 36 जैसा कि शास्त्र कहता है:
“तेरे लिये (मसीह) सारे दिन हमें मौत को सौंपा जाता है।
हम काटी जाने वाली भेड़ जैसे समझे जाते हैं।”(A)
37 तब भी उसके द्वारा जो हमें प्रेम करता है, इन सब बातों में हम एक शानदार विजय पा रहे हैं। 38 क्योंकि मैं मान चुका हूँ कि न मृत्यु और न जीवन, न स्वर्गदूत और न शासन करने वाली आत्माएँ, न वर्तमान की कोई वस्तु और न भविष्य की कोई वस्तु, न आत्मिक शक्तियाँ, 39 न कोई हमारे ऊपर का और न हमसे नीचे का, न सृष्टि की कोई और वस्तु हमें प्रभु के उस प्रेम से, जो हमारे भीतर प्रभु यीशु मसीह के प्रति है, हमें अलग कर सकेगी।
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