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Revised Common Lectionary (Complementary)

Daily Bible readings that follow the church liturgical year, with thematically matched Old and New Testament readings.
Duration: 1245 days
Saral Hindi Bible (SHB)
Version
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रोमियों 3:1-8

परमेश्वर की प्रतिज्ञाएँ तथा यहूदी

तब भला यहूदी होने का क्या लाभ या ख़तना से क्या उपलब्धि? हर एक नज़रिए से बहुत कुछ! सबसे पहले तो यह कि यहूदियों को ही परमेश्वर के ईश्वरीय वचन सौंपे गए. इससे क्या अन्तर पड़ता है कि कुछ ने विश्वास नहीं किया. क्या उनका अविश्वास परमेश्वर की विश्वासयोग्यता को समाप्त कर देता है? नहीं! बिलकुल नहीं! संसार का हरेक व्यक्ति झूठा साबित हो सकता है किन्तु परमेश्वर ही हैं, जो अपने वचन का पालन करते रहेंगे, जैसा कि पवित्रशास्त्र का लेख है:

आप अपनी बातों में धर्मी साबित हों
    तथा न्याय होने पर जय पाएँ.

किन्तु यदि हमारे अधर्म परमेश्वर की धार्मिकता दिखाते हैं तो हम क्या कहें? क्या परमेश्वर के क्रोधित होने पर उन्हें अधर्मी कहा जाएगा?—मैं यह सब मानवीय नज़रिए से कह रहा हूँ— नहीं! बिलकुल नहीं! यह हो ही नहीं सकता! अन्यथा परमेश्वर संसार का न्याय कैसे करेंगे? यदि मेरे झूठ के कारण परमेश्वर का सच उनकी महिमा के लिए अधिक करके प्रकट होता है तो अब भी मुझे पापी घोषित क्यों किया जा रहा है? तब यह कहने में क्या नुकसान है—जैसा कि हमारे लिए निन्दा से भरे शब्दों में कहा ही जा रहा है तथा जैसा कुछ का यह दावा भी है कि यह हमारा ही कहना है: चलो कुकाम करें कि इससे ही कुछ भला हो जाए? न्याय के अनुसार उन पर घोषित दण्ड सही है.

Saral Hindi Bible (SHB)

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