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Revised Common Lectionary (Complementary)

Daily Bible readings that follow the church liturgical year, with thematically matched Old and New Testament readings.
Duration: 1245 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
उत्पत्ति 18:20-32

20 तब यहोवा ने कहा, “मैंने बार—बार सुना है कि सदोम और अमोरा के लोग बहुत बुरे हैं। 21 इसलिए मैं वहाँ जाऊँगा और देखूँगा कि क्या हालत उतनी ही खराब है जितनी मैंने सुनी है। तब मैं ठीक—ठीक जान लूँगा।”

22 तब वे लोग मुड़े और सदोम की ओर चल पड़े। किन्तु इब्राहीम यहोवा के सामने खड़ा रहा। 23 तब इब्राहीम यहोवा से बोला, “हे यहोवा, क्या तू बुरे लोगों को नष्ट करने के साथ अच्छे लोगों को भी नष्ट करने की बात सोच रहा है? 24 यदि उस नगर में पचास अच्छे लोग हों तो क्या होगा? क्या तब भी तू नगर को नष्ट कर देगा? निश्चय ही तू वहाँ रहने वाले पचास अच्छे लोगों के लिए उस नगर को बचा लेगा। 25 निश्चय ही तू नगर को नष्ट नहीं करेगा। बुरे लोगों को मारने के लिए तू पचास अच्छे लोगों को नष्ट नहीं करेगा। अगर ऐसा हुआ तो अच्छे और बुरे लोग एक ही हो जाएँगे, दोनों को ही दण्ड मिलेगा। तू पूरी पृथ्वी को न्याय देने वाला है। मैं जानता हूँ कि तू न्याय करेगा।”

26 तब यहोवा ने कहा, “यदि मुझे सदोम नगर में पचास अच्छे लोग मिले तो मैं पूरे नगर को बचा लूँगा।”

27 तब इब्राहीम ने कहा, “हे यहोवा, तेरी तुलना में, मैं केवल धूलि और राख हूँ। लेकिन तू मुझको फिर थोड़ा कष्ट देने का अवसर दे और मुझे यह पूछने दे कि 28 यदि पाँच अच्छे लोग कम हों तो क्या होगा? यदि नगर में पैंतालीस ही अच्छे लोग हों तो क्या होगा। क्या तू केवल पाँच लोगों के लिए पूरा नगर नष्ट करेगा?”

तब यहोवा ने कहा, “यदि मुझे वहाँ पैंतालीस अच्छे लोग मिले तो मैं नगर को नष्ट नहीं करूँगा।”

29 इब्राहीम ने फिर यहोवा से कहा, “यदि तुझे वहाँ केवल चालीस अच्छे ओग मिले तो क्या तू नगर को नष्ट कर देगा?”

यहोवा ने कहा, “यदि मुझे चालीस अच्छे लोग वहाँ मिले तो मैं नगर को नष्ट नहीं करूँगा।”

30 तब इब्राहीम ने कहा, “हे यहोवा कृपा करके मुझ पर नाराज़ न हो। मुझे यह पूछने दे कि यदि नगर में केवल तीस अच्छे लोग हो तो क्या तू नगर को नष्ट करेगा?”

यहोवा ने कहा, “यदि मुझे तीस अच्छे लोग वहाँ मिले तो मैं नगर को नष्ट नहीं करूँगा।”

31 तब इब्राहीम ने कहा, “हे यहोवा, क्या मैं तुझे फिर कष्ट दूँ और पूछ लूँ कि यदि बीस ही अच्छे लोग वहाँ हुए तो?”

यहोवा ने उत्तर दिया, “अगर मुझे बीस अच्छे लोग मिले तो मैं नगर को नष्ट नहीं करूँगा।”

32 तब इब्राहीम ने कहा, “हे यहोवा तू मुझसे नाराज़ न हो मुझे अन्तिम बार कष्ट देने का मौका दे। यदि तुझे वहाँ दस अच्छे लोग मिले तो तू क्या करेगा?”

यहोवा ने कहा, “यदि मुझे नगर में दस अच्छे लोग मिले तो भी मैं नगर को नष्ट नहीं करूँगा।”

भजन संहिता 138

दाऊद का एक पद।

हे परमेश्वर, मैं अपने पूर्ण मन से तेरे गीत गाता हूँ।
    मैं सभी देवों के सामने मैं तेरे पद गाऊँगा।
हे परमेश्वर, मैं तेरे पवित्र मन्दिर की और दण्डवत करुँगा।
    मैं तेरे नाम, तेरा सत्य प्रेम, और तेरी भक्ति बखानूँगा।
तू अपने वचन की शक्ति के लिये प्रसिद्ध है। अब तो उसे तूने और भी महान बना दिया।
हे परमेश्वर, मैंने तुझे सहायता पाने को पुकारा।
    तूने मुझे उत्तर दिया! तूने मुझे बल दिया।

हे यहोवा, मेरी यह इच्छा है कि धरती के सभी राजा तेरा गुण गायें।
    जो बातें तूने कहीं हैं उन्होंने सुनीं हैं।
मैं तो यह चाहता हूँ, कि वे सभी राजा
    यहोवा की महान महिमा का न करें।
परमेश्वर महान है,
    किन्तु वह दीन जन का ध्यान रखता है।
परमेश्वर को अहंकारी लोगों के कामों का पता है
    किन्तु वह उनसे दूर रहता है।
हे परमेश्वर, यदि मैं संकट में पडूँ तो मुझको जीवित रख।
    यदि मेरे शत्रु मुझ पर कभी क्रोध करे तो उन से मुझे बचा ले।
हे यहोवा, वे वस्तुएँ जिनको मुझे देने का वचन दिया है मुझे दे।
    हे यहोवा, तेरा सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
    हे यहोवा, तूने हमको रचा है सो तू हमको मत बिसरा।

कुलुस्सियों 2:6-15

मसीह में बने रहो

इसलिए तुमने जैसे यीशु को मसीह और प्रभु के रूप में ग्रहण किया है, तुम उसमें वैसे ही बने रहो। तुम्हारी जड़ें उसी में हों और तुम्हारा निर्माण उसी पर हो तथा तुम अपने विश्वास में दृढ़ता पाते रहो जैसा कि तुम्हें सिखाया गया है। परमेश्वर के प्रति अत्यधिक आभारी बनो।

ध्यान रखो कि तुम्हें अपने उन भौतिक विचारों और खोखले प्रपंच से कोई धोखा न दे जो मानवीय परम्परा से प्राप्त होते हैं, जो ब्रह्माण्ड को अनुशासित करने वाली आत्माओं की देन है, न कि मसीह की। क्योंकि परमेश्वर अपनी सम्पूर्णता के साथ सदैव उसी में निवास करता है। 10 और उसी में स्थित होकर तुम परिपूर्ण बने हो। वह हर शासक और अधिकारी का शिरोमणि है।

11 तुम्हारा ख़तना भी उसी में हुआ है। यह ख़तना मनुष्य के हाथों से सम्पन्न नहीं हुआ, बल्कि यह ख़तना जब तुम्हें तुम्हारी पापपूर्ण मानव प्रकृति के प्रभाव से छुटकारा दिला दिया गया था तब मसीह के द्वारा सम्पन्न हुआ। 12 यह इसलिए हुआ कि जब तुम्हें बपतिस्मा में उसके साथ गाड़ दिया गया तो जिस परमेश्वर ने उसे मरे हुओं के बीच से जिला दिया था, उस परमेश्वर के कार्य में तुम्हारे विश्वास के कारण, उसी के साथ तुम्हें भी पुनःजीवित कर दिया गया।

13 अपने पापों और अपने ख़तना रहित शरीर के कारण तुम मरे हुए थे किन्तु तुम्हें परमेश्वर ने मसीह के साथ-साथ जीवन प्रदान किया तथा हमारे सब पापों को मुक्त रूप से क्षमा कर दिया। 14 परमेश्वर ने उस अभिलेख को हमारे बीच में से हटा दिया जिसमें उन विधियों का उल्लेख किया गया था जो हमारे प्रतिकूल और हमारे विरुद्ध था। उसने उसे कीलों से क्रूस पर जड़कर मिटा दिया है। 15 परमेश्वर ने क्रूस के द्वारा आध्यात्मिक शासकों और अधिकारियों को साधन विहीन कर दिया और अपने विजय अभियान में बंदियों के रूप में अपने पीछे-पीछे चलाया।

कुलुस्सियों 2:16-19

मनुष्य की शिक्षा और उसके बनाये नियमों पर मत चलो

16 इसलिए खाने पीने की वस्तुओं अथवा पर्वो, नये चाँद के पर्वों, या सब्त के दिनों को लेकर कोई तुम्हारी आलोचना न करे। 17 ये तो, जो बातें आने वाली हैं, उनकी छाया है। किन्तु इस छाया की वास्तविक काया तो मसीह की ही है। 18 कोई व्यक्ति जो अपने आप को प्रताड़ित करने के कर्मो या स्वर्गदूतों की उपासना के कामों में लगा हुआ हो, उसे तुम्हें तुम्हारे प्रतिफल को पाने में बाधक नहीं बनने देना चाहिए। ऐसा व्यक्ति सदा ही उन दिव्य दर्शनों की डींगे मारता रहता है जिन्हें उसने देखा है और अपने दुनियावी सोच की वजह से झूठे अभिमान से भरा रहता है। 19 वह अपने आपको मसीह के अधीन नहीं रखता जो प्रमुख है जो जोड़ों और नसों से समर्थित होकर सारी देह का उपकार करता है, और जिससे आध्यात्मिक विकास का अनुभव होता है।

लूका 11:1-13

प्रार्थना

(मत्ती 6:9-15)

11 अब ऐसा हुआ कि यीशु कहीं प्रार्थना कर रहा था। जब वह प्रार्थना समाप्त कर चुका तो उसके एक शिष्य ने उससे कहा, “हे प्रभु, हमें सिखा कि हम प्रार्थना कैसे करें। जैसा कि यूहन्ना ने अपने शिष्यों को सिखाया था।”

इस पर वह उनसे बोला, “तुम प्रार्थना करो, तो कहो:

‘हे पिता, तेरा नाम पवित्र माना जाए।
तेरा राज्य आवे,
हमारी दिन भर की रोटी प्रतिदिन दिया कर।
हमारे अपराध क्षमा कर,
    क्योंकि हमने भी अपने अपराधी को क्षमा किया,
और हमें कठिन परीक्षा में मत पड़ने दे।’”

माँगते रहो

(मत्ती 7:7-11)

5-6 फिर उसने उनसे कहा, “मानो, तुममें से किसी का एक मित्र है, सो तुम आधी रात उसके पास जाकर कहते हो, ‘हे मित्र मुझे तीन रोटियाँ दे। क्योंकि मेरा एक मित्र अभी-अभी यात्रा से मेरे पास आया है और मेरे पास उसके सामने परोसने के लिये कुछ भी नहीं है।’ और कल्पना करो उस व्यक्ति ने भीतर से उत्तर दिया, ‘मुझे तंग मत कर, द्वार बंद हो चुका है, बिस्तर में मेरे साथ मेरे बच्चे हैं, सो तुझे कुछ भी देने मैं खड़ा नहीं हो सकता।’ मैं तुम्हें बताता हूँ वह यद्यपि नहीं उठेगा और तुम्हें कुछ नहीं देगा, किन्तु फिर भी क्योंकि वह तुम्हारा मित्र है, सो तुम्हारे निरन्तर, बिना संकोच माँगते रहने से वह खड़ा होगा और तुम्हारी आवश्यकता भर, तुम्हें देगा। और इसीलिये मैं तुमसे कहता हूँ माँगो, तुम्हें दिया जाएगा। खोजो, तुम पाओगे। खटखटाओ, तुम्हारे लिए द्वार खोल दिया जायेगा। 10 क्योंकि हर कोई जो माँगता है, पाता है। जो खोजता है, उसे मिलता है। और जो खटखटाता है, उसके लिए द्वार खोल दिया जाता है। 11 तुममें ऐसा पिता कौन होगा जो यदि उसका पुत्र मछली माँगे, तो मछली के स्थान पर उसे साँप थमा दे 12 और यदि वह अण्डा माँगे तो उसे बिच्छू दे दे। 13 सो बुरे होते हूए भी जब तुम जानते हो कि अपने बच्चों को उत्तम उपहार कैसे दिये जाते हैं, तो स्वर्ग में स्थित परम पिता, जो उससे माँगते हैं, उन्हें पवित्र आत्मा कितना अधिक देगा।”

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

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