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Revised Common Lectionary (Complementary)

Daily Bible readings that follow the church liturgical year, with thematically matched Old and New Testament readings.
Duration: 1245 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
भजन संहिता 138

दाऊद का एक पद।

हे परमेश्वर, मैं अपने पूर्ण मन से तेरे गीत गाता हूँ।
    मैं सभी देवों के सामने मैं तेरे पद गाऊँगा।
हे परमेश्वर, मैं तेरे पवित्र मन्दिर की और दण्डवत करुँगा।
    मैं तेरे नाम, तेरा सत्य प्रेम, और तेरी भक्ति बखानूँगा।
तू अपने वचन की शक्ति के लिये प्रसिद्ध है। अब तो उसे तूने और भी महान बना दिया।
हे परमेश्वर, मैंने तुझे सहायता पाने को पुकारा।
    तूने मुझे उत्तर दिया! तूने मुझे बल दिया।

हे यहोवा, मेरी यह इच्छा है कि धरती के सभी राजा तेरा गुण गायें।
    जो बातें तूने कहीं हैं उन्होंने सुनीं हैं।
मैं तो यह चाहता हूँ, कि वे सभी राजा
    यहोवा की महान महिमा का न करें।
परमेश्वर महान है,
    किन्तु वह दीन जन का ध्यान रखता है।
परमेश्वर को अहंकारी लोगों के कामों का पता है
    किन्तु वह उनसे दूर रहता है।
हे परमेश्वर, यदि मैं संकट में पडूँ तो मुझको जीवित रख।
    यदि मेरे शत्रु मुझ पर कभी क्रोध करे तो उन से मुझे बचा ले।
हे यहोवा, वे वस्तुएँ जिनको मुझे देने का वचन दिया है मुझे दे।
    हे यहोवा, तेरा सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
    हे यहोवा, तूने हमको रचा है सो तू हमको मत बिसरा।

एस्तेर 4

सहायता के लिये एस्तेर से मोर्दकै की विनती

मोर्दकै ने, जो कुछ हो रहा था, उसके बारे में सब कुछ सुना। जब उसने यहूदियों के विरुद्ध राजा की आज्ञा सुनी तो अपने कपड़े फाड़ लिये। उसने शोक वस्त्र धारण कर लिये और अपने सिर पर राख डाल ली। वह ऊँचे स्वर में विलाप करते हुए नगर में निकल पड़ा। किन्तु मोर्दकै बस राजा के द्वार तक ही जा सका क्योंकि शोक वस्त्रों को पहन कर द्वार के भीतर जाने की आज्ञा किसी को भी नहीं थी। हर किसी प्रांत में जहाँ कहीं भी राजा का यह आदेश पहुँचा, यहूदियों में रोना—धोना और शोक फैल गया। उन्होंने खाना छोड़ दिया और वे ऊँचे स्वर में विलाप करने लगे। बहुत से यहूदी शोक वस्त्रों को धारण किये हुए और अपने सिरों पर राख डाले हुए धरती पर पड़े थे।

एस्तेर की दासियों और खोजों ने एस्तेर के पास जाकर उसे मोर्दकै के बारे में बताया। इससे महारानी एस्तेर बहुत दु:खी और व्याकुल हो उठी। उसने मोर्दकै के पास शोक वस्त्रों के बजाय दूसरे कपड़े पहनने को भेजे। किन्तु उसने वे वस्त्र स्वीकार नहीं किये। इसके बाद एस्तेर ने हताक को अपने पास बुलाया। हताक एक ऐसा खोजा था जिसे राजा ने उसकी सेवा के लिये नियुक्त किया था। एस्तेर ने उसे यह पता लगाने का आदेश दिया कि मोर्दकै को क्या व्याकुल बनाये हुए है और क्यों? सो हताक नगर के उस खुले मैदान में गया जहाँ राजद्वार के आगे मोर्दकै मौजूद था। वहाँ मोर्दकै ने हताक से, जो कुछ हुआ था, सब कह डाला। उसने हताक को यह भी बताया कि हामान ने यहूदियों की हत्या के लिये राजा के कोष में कितना धन जमा कराने का वादा किया है। मोर्दकै ने हताक को यहूदियों की हत्या के लिये राजा के आदेश पत्र की एक प्रति भी दी। वह आदेश पत्र शूशन नगर में हर कहीं भेजा गया था। मोर्दकै यह चाहता था कि वह उस पत्र को एस्तेर को दिखा दे और हर बात उसे पूरी तरह बता दे और उसने उससे यह भी कहा कि वह एस्तेर को राजा के पास जाकर मोर्दकै और उसके अपने लोगों के लिये दया की याचना करने को प्रेरित करे।

हताक एस्तेर के पास लौट आया और उसने एस्तेर से मोर्दकै ने जो कुछ कहने को कहा था, सब बता दिया।

10 फिर एस्तेर ने मोर्दकै को हताक से यह कह ला भेजा: 11 “मोर्दकै, राजा के सभी मुखिया और राजा के प्रांतों के सभी लोग यह जानते हैं कि किसी भी पुरुष अथवा स्त्री के लिए राजा का बस यही एक नियम है कि राजा के पास बिना बुलाये जो भी जाता है, उसे प्राणदण्ड दिया जाता है। इस नियम का पालन बस एक ही स्थिति में उस समय नहीं किया जाता था जब राजा अपने सोने के राजदण्ड को उस व्यक्ति की ओर बढ़ा देता था। यदि राजा ऐसा कर देता तो उस व्यक्ति के प्राण बच जाते थे किन्तु मुझे तीस दिन हो गये हैं और राजा से मिलने के लिये मुझे नहीं बुलाया गया है।”

12-13 इसके बाद एस्तेर का सन्देश मोर्दकै के पास पहुँचा दिया गया। उस सन्देश को पा कर मोर्दकै ने उसे वापस उत्तर भेजा: “एस्तेर, ऐसा मत सोच कि तू बस राजा के महल में रहती है इसीलिए बच निकलने वाली एकमात्र यहूदी होगी। 14 यदि अभी तू चुप रहती है तो यहूदियों के लिये सहायता और मुक्ति तो कहीं और से आ ही जायेगी किन्तु तू और तेरे पिता का परिवार सभी मार डाले जायेंगे और कौन जानता है कि तू किसी ऐसे ही समय के लिये महारानी बनाई गयी हो, जैसा समय यह है।”

15-16 इस पर एस्तेर ने मोर्दकै को अपना यह उत्तर भिजवाया: “मोर्दकै, जाओ और जाकर सभी यहूदियों को शूशन नगर में इकटठ करो और मेरे लिये उपवास रखो। तीन दिन और तीन रात तक न कुछ खाओ और न कुछ पीओ। तेरी तरह मैं भी उपवास रखूँगी और साथ ही मेरी दासियाँ भी उपवास रखेंगी। हमारे उपवास रखने के बाद मैं राजा के पास जाऊँगी। मैं जानती हूँ कि यदि राजा मुझे न बुलाए तो उसके पास जाना नियम के विरुद्ध है किन्तु चाहे मैं मर ही क्यों न जाऊँ, मेरी हत्या ही क्यों न कर दी जाये, जैसे भी बन पड़ेगा, ऐसा करूँगी।”

17 इस प्रकार मोर्दकै वहाँ से चला गया और एस्तेर ने उससे जैसा करने को कहा था उसने सब कुछ वैसा ही किया।

लूका 8:22-25

शिष्यों को यीशु की शक्ति का दर्शन

(मत्ती 8:23-27; मरकुस 4:35-41)

22 तभी एक दिन ऐसा हुआ कि वह अपने शिष्यों के साथ एक नाव पर चढ़ा और उनसे बोला, “आओ, झील के उस पार चलें।” सो उन्होंने पाल खोल दी। 23 जब वे नाव चला रहे थे, यीशु सो गया। झील पर आँधी-तूफान उतर आया। उनकी नाव में पानी भरने लगा। वे ख़तरे में पड़ गये। 24 सो वे उसके पास आये और उसे जगाकर कहने लगे, “स्वामी! स्वामी! हम डूब रहे हैं।”

फिर वह खड़ा हुआ और उसने आँधी तथा लहरों को डाँटा। वे थम गयीं और वहाँ शान्ति छा गयी। 25 फिर उसने उनसे पूछा, “कहाँ गया तुम्हारा विश्वास?”

किन्तु वे डरे हुए थे और अचरज में पड़ें थे। वे आपस में बोले, “आखिर यह है कौन जो हवा और पानी दोनों को आज्ञा देता है और वे उसे मानते हैं?”

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

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