Revised Common Lectionary (Complementary)
दाऊद का एक पद।
1 हे यहोवा, तेरे पवित्र तम्बू में कौन रह सकता है?
तेरे पवित्र पर्वत पर कौन रह सकता है?
2 केवल वह व्यक्ति जो खरा जीवन जीता है, और जो उत्तम कर्मों को करता है,
और जो ह्रदय से सत्य बोलता है। वही तेरे पर्वत पर रह सकता है।
3 ऐसा व्यक्ति औरों के विषय में कभी बुरा नहीं बोलता है।
ऐसा व्यक्ति अपने पड़ोसियों का बुरा नहीं करता।
वह अपने घराने की निन्दा नहीं करता है।
4 वह उन लोगों का आदर नहीं करता जो परमेश्वर से घृणा रखते हैं।
और वह उन सभी का सम्मान करता है, जो यहोवा के सेवक हैं।
ऐसा मनुष्य यदि कोई वचन देता है
तो वह उस वचन को पूरा भी करता है, जो उसने दिया था।
5 वह मनुष्य यदि किसी को धन उधार देता है
तो वह उस पर ब्याज नहीं लेता,
और वह मनुष्य किसी निरपराध जन को हानि पहुँचाने के लिये
घूस नहीं लेता।
यदि कोई मनुष्य उस खरे जन सा जीवन जीता है तो वह मनुष्य परमेश्वर के निकट सदा सर्वदा रहेगा।
मिस्र में अब्राम
10 इन दिनों भूमि बहुत सूखी थी। वर्षा नहीं हो रही थी और कोई खाने की चीज़ नहीं उग सकती थी। इसलिए अब्राम जीवित रहने के लिए मिस्र चला गया। 11 अब्राम ने देखा कि उसकी पत्नी सारै बहुत सुन्दर थी। इसलिए मिस्री में आने के पहले अब्राम ने सारै से कहा, “मैं जानता हूँ कि तुम बहुत सुन्दर स्त्री हो। 12 मिस्र के लोग तुम्हें देखेंगे। वे कहेंगे ‘यह स्त्री इसकी पत्नी है।’ तब वे मुझे मार डालेंगे क्योंकि वे तुमको लेना चाहेंगे। 13 इसलिए तुम लोगों से कहना कि तुम मेरी बहन हो। तब वे मुझको नहीं मारेंगे। वे मुझ पर दया करेंगे क्योंकि वे समझेंगे कि मैं तुम्हारा भाई हूँ। इस तरह तुम मेरा जीवन बचाओगी।”
14 इस प्रकार अब्राम मिस्र में पहुँचा। मिस्र के लोगों ने देखा, सारै बहुत सुन्दर स्त्री है। 15 कुछ मिस्र के अधिकारियों ने भी उसे देखा। उन्होंने फ़िरौन से कहा कि वह बहुत सुन्दर स्त्री है। वे अधिकारी सारै को फ़िरौन के घर ले गए। 16 फिरौन ने अब्राम के ऊपर दया की क्योंकि उसने समझा कि वह सारै का भाई है। फ़िरौन ने अब्राम को भेड़ें, मवेशी और गधे दिए। अब्राम को ऊँटों के साथ—साथ आदमी और स्त्रियाँ दास—दासी के रूप में मिले।
17 फ़िरौन ने अब्राम की पत्नी को रख लिया। इससे यहोवा ने फ़िरौन और उसके घर के मनुष्यों में बुरी बीमारी फैला दी। 18 इसलिए फिरौन ने अब्राम को बुलाया। फ़िरौन ने कहा, “तुमने मेरे साथ बड़ी बुराई की है। तुमने यह नहीं बताया कि सारै तुम्हारी पत्नी है। क्यों? 19 तुमने कहा, ‘यह मेरी बहन है।’ तुमने ऐसा क्यों कहा? मैंने इसे इसलिए रखा कि यह मेरी पत्नी होगी। किन्तु अब मैं तुम्हारी पत्नी को तुम्हें लौटाता हूँ। इसे लो और जाओ।” 20 तब फ़िरौन ने अपने पुरुषों को आज्ञा दी कि वे अब्राम को मिस्र के बाहर पहुँचा दें। इस तरह अब्राम और उसकी पत्नी ने वह जगह छोड़ी और वे सभी चीज़ें अपने साथ ले गए जो उनकी थीं।
5 प्रत्येक महायाजक मनुष्यों में से ही चुना जाता है। और परमात्मा सम्बन्धी विषयों में लोगों का प्रतिनिधित्व करने के लिए उसकी नियुक्ति की जाती है ताकि वह पापों के लिए भेंट या बलियाँ चढ़ाए। 2 क्योंकि वह स्वयं भी दुर्बलताओं के अधीन है, इसलिए वह ना समझों और भटके हुओं के साथ कोमल व्यवहार कर सकता है। 3 इसलिए उसे अपने पापों के लिए और वैसे ही लोगों के पापों के लिए बलियाँ चढ़ानी पड़ती हैं।
4 इस सम्मान को कोई भी अपने पर नहीं लेता। जब तक कि हारून के समान परमेश्वर की ओर से ठहराया न जाता। 5 इसी प्रकार मसीह ने भी महायाजक बनने की महिमा को स्वयं ग्रहण नहीं किया, बल्कि परमेश्वर ने उससे कहा,
“तू मेरा पुत्र है;
आज मैं तेरा पिता बना हूँ।”(A)
6 और एक अन्य स्थान पर भी वह कहता है,
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