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Revised Common Lectionary (Complementary)

Daily Bible readings that follow the church liturgical year, with thematically matched Old and New Testament readings.
Duration: 1245 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
भजन संहिता 25:1-10

दाऊद को समर्पित।

हे यहोवा, मैं स्वयं को तुझे समर्पित करता हूँ।
मेरे परमेश्वर, मेरा विश्वस तुझ पर है।
    मैं तुझसे निराश नहीं होऊँगा।
    मेरे शत्रु मेरी हँसी नहीं उड़ा पायेंगे।
ऐसा व्यक्ति, जो तुझमें विश्वास रखता है, वह निराश नहीं होगा।
    किन्तु विश्वासघाती निराश होंगे और,
    वे कभी भी कुछ नहीं प्राप्त करेंगे।

हे यहोवा, मेरी सहायता कर कि मैं तेरी राहों को सीखूँ।
    तू अपने मार्गों की मुझको शिक्षा दे।
अपनी सच्ची राह तू मुझको दिखा और उसका उपदेश मुझे दे।
    तू मेरा परमेश्वर मेरा उद्धारकर्ता है।
    मुझको हर दिन तेरा भरोसा है।
हे यहोवा, मुझ पर अपनी दया रख
    और उस ममता को मुझ पर प्रकट कर, जिसे तू हरदम रखता है।
अपने युवाकाल में जो पाप और कुकर्म मैंने किए, उनको याद मत रख।
    हे यहोवा, अपने निज नाम निमित, मुझको अपनी करुणा से याद कर।

यहोवा सचमुच उत्तम है,
    वह पापियों को जीवन का नेक राह सिखाता है।
वह दीनजनों को अपनी राहों की शिक्षा देता है।
    बिना पक्षपात के वह उनको मार्ग दर्शाता है।
10 यहोवा की राहें उन लोगों के लिए क्षमापूर्ण और सत्य है,
    जो उसके वाचा और प्रतिज्ञाओं का अनुसरण करते हैं।

लैव्यव्यवस्था 19:1-4

इस्राएल परमेश्वर का है

19 यहोवा ने मूसा से कहा, “इस्राएल के सभी लोगों से कहोः कि मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ मैं पवित्र हूँ! इसलिए तुम्हें पवित्र होना चाहिए!

“तुम में से हर एक व्यक्ति को अपने माता पिता का सम्मान करना चाहिए और मेरे विश्राम के विशेष दिनों को मानना चाहिए। मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ।

“मूर्तियों की उपासना मत करो। अपने लिए देवताओं की मूर्तियाँ धातु गला कर मत बाओ। मैं तुम लोगों का परमेश्वर यहोवा हूँ!

लैव्यव्यवस्था 19:32-37

32 “बूढ़े लोगों का सम्मान करो। जब वे कमरे में आएँ तो खड़े हो जाओ। अपने परमेश्वर का सम्मान करो। मैं यहोवा हूँ!”

33 “अपने देश में रहने वाले विदेशियों के साथ बुरा व्यवहार मत करो! 34 तुम्हें विदेशियों के साथ वैसा ही व्यवहार करना चाहिए जैसा तुम अपने नागरिकों के साथ करते हो। तुम विदेशियों से वैसा प्यार करो जैसा अपने से करते हो। क्यों? क्योंकि तुम भी एक समय मिस्र में विदेशी थे। मैं तुम्हारा परमेशवर यहोवा हूँ!

35 “तम्हें न्याय करते समय लोगों के प्रति ईमानदार होना चाहिए। तुम्हें चीज़ों के नापने और तौलने में ईमानदार होना चाहिए। 36 तुम्हारी टोकरियाँ ठीक माप की होनी चाहिए। तुम्हारे नापने के पात्रों में द्रव की उचित मात्रा आनी चाहिए। तुम्हारे तराजू और तुम्हारे बाट चीज़ों को ठीक तौलने वाले होने चाहिए। मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ! मैं तुम्हें मिस्र देश से बाहर लाया!

37 “तुम्हें मेरे सभी नियमों और निर्णयों को याद रखना चाहिए और तुम्हें उनका पालन करना चाहिए। मैं यहोवा हूँ!”

यूहन्ना 3:16-21

16 परमेश्वर को जगत से इतना प्रेम था कि उसने अपने एकमात्र पुत्र को दे दिया, ताकि हर वह आदमी जो उसमें विश्वास रखता है, नष्ट न हो जाये बल्कि उसे अनन्त जीवन मिल जाये। 17 परमेश्वर ने अपने बेटे को जगत में इसलिये नहीं भेजा कि वह दुनिया को अपराधी ठहराये बल्कि उसे इसलिये भेजा कि उसके द्वारा दुनिया का उद्धार हो। 18 जो उसमें विश्वास रखता है उसे दोषी न ठहराया जाय पर जो उसमें विश्वास नहीं रखता, उसे दोषी ठहराया जा चुका है क्योंकि उसने परमेश्वर के एकमात्र पुत्र के नाम में विश्वास नहीं रखा है। 19 इस निर्णय का आधार यह है कि ज्योति इस दुनिया में आ चुकी है पर ज्योति के बजाय लोग अंधेरे को अधिक महत्त्व देते हैं। क्योंकि उनके कार्य बुरे हैं। 20 हर वह आदमी जो पाप करता है ज्योति से घृणा रखता है और ज्योति के नज़दीक नहीं आता ताकि उसके पाप उजागर न हो जायें। 21 पर वह जो सत्य पर चलता है, ज्योति के निकट आता है ताकि यह प्रकट हो जाये कि उसके कर्म परमेश्वर के द्वारा कराये गये हैं।

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

© 1995, 2010 Bible League International