Revised Common Lectionary (Complementary)
योद्
73 हे यहोवा, तूने मुझे रचा है और निज हाथों से तू मुझे सहारा देता है।
अपने आदेशों को पढ़ने समझने में तू मेरी सहायता कर।
74 हे यहोवा, तेरे भक्त मुझे आदर देते हैं और वे प्रसन्न हैं
क्योंकि मुझे उन सभी बातों का भरोसा है जिन्हें तू कहता है।
75 हे यहोवा, मैं यह जानता हूँ कि तेरे निर्णय खरे हुआ करते हैं।
यह मेरे लिये उचित था कि तू मुझको दण्ड दे।
76 अब, अपने सत्य प्रेम से तू मुझ को चैन दे।
तेरी शिक्षाएँ मुझे सचमुच भाती हैं।
77 हे यहोवा, तू मुझे सुख चैन दे और जीवन दे।
मैं तेरी शिक्षाओं में सचमुच आनन्दित हूँ।
78 उन लोगों को जो सोचा करते है कि वे मुझसे उत्तम हैं, उनको निराश कर दे।
क्योंकि उन्होंने मेरे विषय में झूठी बातें कही है।
हे यहोवा, मैं तेरे आदेशों का पाठ किया करूँगा।
79 अपने भक्तों को मेरे पास लौट आने दे।
ऐसे उन लोगों को मेरे पास लौट आने दे जिनको तेरी वाचा का ज्ञान है।
80 हे यहोवा, तू मुझको पूरी तरह अपने आदेशों को पालने दे
ताकि मैं कभी लज्जित न होऊँ।
यहोशू लोगों को उत्साहित करता है
23 यहोवा ने इस्राएल को उसके चारों ओर के उनके शत्रुओं से शान्ति प्रदान की। योहवा ने इस्रएल को सुरक्षित बनाया। वर्ष बीते और यहोशू बहुत बूढ़ा हो गया। 2 इस समय यहोशू ने इस्राएल के सभी प्रमुखों, शासको और न्यायाधीशों की बैठक बुलाई। यहोशू ने कहा, “मैं बहुत बूढ़ा हो गया हूँ। 3 तुमने वह देखा जो यहोवा ने हमारे शत्रुओं के साथ किया। उसने यह हमारी सहायता के लिये किया। तुम्हारे परमेश्वर यहोवा ने तुम्हारे लिये युद्ध किया। 4 याद रखो मैंने तुम्हें यह कहा था कि तुम्हारे लोग उस प्रदेश को पा सकते हैं, जो यरदन नदी और पश्चिम के बड़े सागर के मध्य है। यह वही प्रदेश है जिसे देने का वचन मैंने दिया था, किन्तु अब तक तुम उस प्रदेश का थोड़ा सा भाग ही ले पाए हो। 5 तुम्हारा परमेश्वर यहोवा वहाँ के निवासियों को उस स्थान को छोड़ने के लिये विवश करेगा। तुम उस प्रदेश में प्रवेश करोगे और यहोवा वहाँ के निवासियों को उस प्रदेश को छोड़ने के लिये विवश करेगा। तुम्हारे परमेश्वर यहोवा ने तुमको यह वचन दिया है।
6 “तुम्हें उन सब बातों का पालन करने में सावधान रहना चाहिए जो यहोवा ने हमे आदेश दिया है। उस हर बात, का पालन करो जो मूसा के व्यवस्था की किताब में लिखा है। उस व्यवस्था के विपरीत न जाओ। 7 हम लोगों के बीच कुछ ऐसे लोग भी हैं जो इस्राएल के लोग नहीं हैं। वे लोग अपने देवताओं की पूजा करते हैं। उन लोगों के मित्र मत बनो। उन देवताओं की सेवा, पूजा न करो 8 तुम्हें सदैव अपने परमेश्वर यहोवा का अनुसरण करना चाहिये। तुमने यह भूतकाल में किया है और तुम्हें यह करते रहना चाहिये।
9 “यहोवा ने अनेक शक्तिशाली राष्ट्रों को हराने में तुम्हारी सहायता की है। यहोवा ने उन लोगों को अपना देश छोड़ने को विवश किया है। कोई भी राष्ट्र तुमको हराने में समर्थ न हो सका। 10 यहोवा की सहायता से इस्राएल का एक व्यक्ति एक हजार व्यक्तियों को हरा सकता है। इसका कारण यह है कि तुम्हारा परमेश्वर यहोवा तुम्हारे लिये युद्ध करता है। यहोवा ने यह करने का वचन दिया है। 11 इसलिए तुम्हें अपने परमेश्वर यहोवा की भक्ति करते रहना चाहिए। अपनी पूरी आत्मा से उससे प्रेम करो।
12 “यहोवा के मार्ग से कभी दूर न जाओ। उन अन्य लोगों से मित्रता न करो जो अभी तक तुम्हारे बीच तो हैं किन्तु जो इस्राएल के अंग नहीं हैं। उनमें से किसी के साथ विवाह न करो। किन्तु यदि तुम इन लोगों के मित्र बनोगे, 13 तब तुम्हारा परमेश्वर यहोवा तुम्हारे शत्रुओं को हराने में तुम्हारी सहायता नहीं करेगा। इस प्रकार ये लोग तुम्हारे लिये एक जाल बन जायेंगे। परन्तु वे तुम्हारी पीठ के लिए कोड़े और तुम्हारी आँख के लिए काँटा बन जायेंगे। और तुम इस अच्छे देश से विदा हो जाओगे। यह वही प्रदेश है जिसे तुम्हारे परमेश्वर यहोवा ने तुम्हें दिया है, किन्तु यदि तुम इस आदेश को नहीं मानोगे तो तुम अच्छे देश को खो दोगे।
14 “यह करीब—करीब मेरे मरने का समय है। तुम जानते हो और सचमुच विश्वास करते हो कि यहोवा ने तुम्हारे लिये बहुत बड़े काम किये हैं। तुम जानते हो कि वह अपने दिये वचनों में से किसी को पूरा करने में असफल नहीं रहा है। यहोवा ने उन सभी वचनों को पूरा किया है, जो उसने हमें दिये हैं। 15 वे सभी अच्छे वचन जो तुम्हारे परमेश्वर यहोवा ने हमको दिये हैं, पूरी तरह सच हुए हैं। किन्तु यहोवा, उसी तरह अन्य वचनों को भी सत्य बनाएगा। उसने चेतावनी दी है कि यदि तुम पाप करोगे तब तुम्हारे ऊपर विपत्तियाँ आएंगी। उसने चेतावनी दी है कि वह तुम्हें उस देश को छोड़ने के लिये विवश करेगा जिसे उसने तुमको दिया है। 16 यह घटित होगा, यदि तुम अपने परमेश्वर यहोवा के साथ की गई वाचा का पालन करने से इन्कार करोगे। यदि तुम अन्य देवताओं के पास जाओगे और उनकी सेवा करोगे तो तुम इस देश को खो दोगे। यदि तुम ऐसा करोगे तो यहोवा तुम पर बहुत क्रोधित होगा। तब तुम इस अच्छे देश से शीघ्रता से चले जाओगे जिसे उसने तुमको दिया है।”
अविश्वासियों को यीशु की चेतावनी
(मत्ती 11:20-24)
13 “ओ खुराजीन, ओ बैतसैदा, तुम्हें धिक्कार है, क्योंकि जो आश्चर्यकर्म तुममें किये गए, यदि उन्हें सूर और सैदा में किया जाता, तो न जाने वे कब के टाट के शोक-वस्त्र धारण कर और राख में बैठ कर मन फिरा लेते। 14 कुछ भी हो न्याय के दिन सूर और सैदा की स्थिति तुमसे कहीं अच्छी होगी। 15 अरे कफ़रनहूम क्या तू स्वर्ग तक ऊँचा उठाया जायेगा? तू तो नीचे नरक में पड़ेगा!
16 “शिष्यों! जो कोई तुम्हें सुनता है, मुझे सुनता है, और जो तुम्हारा निषेध करता है, वह मेरा निषेध करता है। और जो मुझे नकारता है, वह उसे नकारता है जिसने मुझे भेजा है।”
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