Revised Common Lectionary (Complementary)
संगीत निर्देशक के लिये दाऊद का एक पद।
1 हे परमेश्वर, मेरी सुन!
मैं अपने शत्रुओं से भयभीत हूँ। मैं अपने जीवन के लिए डरा हुआ हूँ।
2 तू मुझको मेरे शत्रुओं के गहरे षड़यन्त्रों से बचा ले।
मुझको तू उन दुष्ट लोगों से छिपा ले।
3 मेरे विषय में उन्होंने बहुत बुरा झूठ बोला है।
उनकी जीभे तेज तलवार सी और उनके कटुशब्द बाणों से हैं।
4 वे छिप जाते हैं, और अपने बाणों का प्रहार सरल सच्चे जन पर फिर करते हैं।
इसके पहले कि उसको पता चले, वह घायल हो जाता है।
5 उसको हराने को बुरे काम करते हैं।
वे झूठ बोलते और अपने जाल फैलाते हैं। और वे सुनिश्चित हैं कि उन्हें कोई नहीं पकड़ेगा।
6 लोग बहुत कुटिल हो सकते हैं।
वे लोग क्या सोच रहे हैं
इसका समझ पाना कठिन है।
7 किन्तु परमेश्वर निज “बाण” मार सकता है!
और इसके पहले कि उनको पता चले, वे दुष्ट लोग घायल हो जाते हैं।
8 दुष्ट जन दूसरों के साथ बुरा करने की योजना बनाते हैं।
किन्तु परमेश्वर उनके कुचक्रों को चौपट कर सकता है।
वह उन बुरी बातों कों स्वयं उनके ऊपर घटा देता है।
फिर हर कोई जो उन्हें देखता अचरज से भरकर अपना सिर हिलाता है।
9 जो परमेश्वर ने किया है, लोग उन बातों को देखेंगे
और वे उन बातों का वर्णन दूसरो से करेंगे,
फिर तो हर कोई परमेश्वर के विषय में और अधिक जानेगा।
वे उसका आदर करना और डरना सीखेंगे।
10 सज्जनों को चाहिए कि वे यहोवा में प्रसन्न हो।
वे उस पर भरोसा रखे।
अरे! ओ सज्जनों! तुम सभी यहोवा के गुण गाओ।
अय्यूब को बिल्दद का उत्तर
18 फिर शूही प्रदेश के बिल्दद ने उत्तर देते हूए कहा:
2 “अय्यूब, इस तरह की बातें करना तू कब छोड़ेगा
तुझे चुप होना चाहिये और फिर सुनना चाहिये।
तब हम बातें कर सकते हैं।
3 तू क्यों यह सोचता हैं कि हम उतने मूर्ख हैं जितनी मूर्ख गायें।
4 अय्यूब, तू अपने क्रोध से अपनी ही हानि कर रहा है।
क्या लोग धरती बस तेरे लिये छोड़ दे? क्या तू यह सोचता है कि
बस तुझे तृप्त करने को परमेश्वर धरती को हिला देगा?
5 “हाँ, बुरे जन का प्रकाश बुझेगा
और उसकी आग जलना छोड़ेगी।
6 उस के तम्बू का प्रकाश काला पड़ जायेगा
और जो दीपक उसके पास है वह बुझ जायेगा।
7 उस मनुष्य के कदम फिर कभी मजबूत और तेज नहीं होंगे।
किन्तु वह धीरे चलेगा और दुर्बल हो जायेगा।
अपने ही कुचक्रों से उसका पतन होगा।
8 उसके अपने ही कदम उसे एक जाल के फन्दे में गिरा देंगे।
वह चल कर जाल में जायेगा और फंस जायेगा।
9 कोई जाल उसकी एड़ी को पकड़ लेगा।
एक जाल उसको कसकर जकड़ लेगा।
10 एक रस्सा उसके लिये धरती में छिपा होगा।
कोई जाल राह में उसकी प्रतीक्षा में है।
11 उसके तरफ आतंक उसकी टोह में हैं।
उसके हर कदम का भय पीछा करता रहेगा।
12 भयानक विपत्तियाँ उसके लिये भूखी हैं।
जब वह गिरेगा, विनाश और विध्वंस उसके लिये तत्पर रहेंगे।
13 महाव्याधि उसके चर्म के भागों को निगल जायेगी।
वह उसकी बाहों और उसकी टाँगों को सड़ा देगी।
14 अपने घर की सुरक्षा से दुर्जन को दूर किया जायेगा
और आतंक के राजा से मिलाने के लिये उसको चलाकर ले जाया जायेगा।
15 उसके घर में कुछ भी न बचेगा
क्योंकि उसके समूचे घर में धधकती हुई गन्धक बिखेरी जायेगी।
16 नीचे गई जड़ें उसकी सूख जायेंगी
और उसके ऊपर की शाखाएं मुरझा जायेंगी।
17 धरती के लोग उसको याद नहीं करेंगे।
बस अब कोई भी उसको याद नहीं करेगा।
18 प्रकाश से उसको हटा दिया जायेगा और वह अंधकार में धकेला जायेगा।
वे उसको दुनियां से दूर भाग देंगे।
19 उसकी कोई सन्तान नहीं होगी अथवा उसके लोगों के कोई वंशज नहीं होंगे।
उसके घर में कोई भी जीवित नहीं बचेगा।
20 पश्चिम के लोग सहमें रह जायेंगे जब वे सुनेंगे कि उस दुर्जन के साथ क्या घटी।
लोग पूर्व के आतंकित हो सुन्न रह जायेंगे।
21 सचमुच दुर्जन के घर के साथ ऐसा ही घटेगा।
ऐसी ही घटेगा उस व्यक्ति के साथ जो परमेश्वर की परवाह नहीं करते।”
परमेश्वर की शक्ति और ज्ञान-स्वरूप मसीह
18 वे जो भटक रहे हैं, उनके लिए क्रूस का संदेश एक निरी मूर्खता है। किन्तु जो उद्धार पा रहे हैं उनके लिये वह परमेश्वर की शक्ति है। 19 शास्त्रों में लिखा है:
“ज्ञानियों के ज्ञान को मैं नष्ट कर दूँगा;
और सारी चतुर की चतुरता मैं कुंठित करूँगा।”(A)
20 कहाँ है ज्ञानी व्यक्ति? कहाँ है विद्वान? और इस युग का षास्त्रर्थी कहाँ है? क्या परमेश्वर ने सांसारिक बुद्धिमानी को मूर्खता नहीं सिद्ध किया? 21 इसलिए क्योंकि परमेश्वरीय ज्ञान के द्वारा यह संसार अपने बुद्धि बल से परमेश्वर को नहीं पहचान सका तो हम संदेश की तथाकथित मूर्खता का प्रचार करते हैं।
22 यहूदी लोग तो चमत्कारपूर्ण संकेतों की माँग करते हैं और ग़ैर यहूदी विवेक की खोज में हैं। 23 किन्तु हम तो बस क्रूस पर चढ़ाये गये मसीह का ही उपदेश देते हैं। एक ऐसा उपदेश जो यहूदियों के लिये विरोध का कारण है और ग़ैर यहूदियों के लिये निरी मूर्खता। 24 किन्तु उनके लिये जिन्हें बुला लिया गया है, फिर चाहे वे यहूदी हैं या ग़ैर यहूदी, यह उपदेश मसीह है जो परमेश्वर की शक्ति है, और परमेश्वर का विवेक है। 25 क्योंकि परमेश्वर की तथाकथित मूर्खता मनुष्यों के ज्ञान से कहीं अधिक विवेकपूर्ण है। और परमेश्वर की तथाकथित दुर्बलता मनुष्य की शक्ति से कहीं अधिक सक्षम है।
26 हे भाइयो, अब तनिक सोचो कि जब परमेश्वर ने तुम्हें बुलाया था तो तुममें से बहुतेरे न तो सांसारिक दृष्टि से बुद्धिमान थे और न ही शक्तिशाली। तुममें से अनेक का सामाजिक स्तर भी कोई ऊँचा नहीं था। 27 बल्कि परमेश्वर ने तो संसार में जो तथाकथित मूर्खतापूर्ण था, उसे चुना ताकि बुद्धिमान लोग लज्जित हों। परमेश्वर ने संसार में दुर्बलों को चुना ताकि जो शक्तिशाली हैं, वे लज्जित हों।
28 परमेश्वर ने संसार में उन्हीं को चुना जो नीच थे, जिनसे घृणा की जाती थी और जो कुछ भी नहीं है। परमेश्वर ने इन्हें चुना ताकि संसार जिसे कुछ समझता है, उसे वह नष्ट कर सके। 29 ताकि परमेश्वर के सामने कोई भी व्यक्ति अभिमान न कर पाये। 30 किन्तु तुम यीशू मसीह में उसी के कारण स्थित हो। वही परमेश्वर के वरदान के रूप में हमारी बुद्धि बन गया है। उसी के द्वारा हम निर्दोष ठहराये गये ताकि परमेश्वर को समर्पित हो सकें और हमें पापों से छुटकारे मिल पाये 31 जैसा कि शास्त्र में लिखा है: “यदि किसी को कोई गर्व करना है तो वह प्रभु में अपनी स्थिति का गर्व करे।”(B)
© 1995, 2010 Bible League International