Revised Common Lectionary (Complementary)
परमेश्वर के बारे में सभी लोग जानेंगे
65 यहोवा कहता है, “मैंने उन लोगों को भी सहारा दिया है जो उपदेश ग्रहण करने के लिए कभी मेरे पास नहीं आये। जिन लोगों ने मुझे प्राप्त कर लिया, वे मेरी खोज में नहीं थे। मैंने एक ऐसी जाति से बात की जो मेरा नाम धारण नहीं करती थी। मैंने कहा था, ‘मैं यहाँ हूँ! मैं यहाँ हूँ!’
2 “जो लोग मुझसे मुँह मोड़ गये थे, उन लोगों को अपनाने के लिए मैं भी तत्पर रहा। मैं इस बात की प्रतीक्षा करता रहा कि वे लोग मेरे पास लौट आयें। किन्तु वे जीवन की एक ऐसी राह पर चलते रहे जो अच्छी नहीं है। वे अपने मन के अनुसार काम करते रहे। 3 वे लोग मेरे सामने रहते हैं और सदा मुझे क्रोधित करते रहते हैं। अपने विशेष बागों में वे लोग मिथ्या देवताओं को बलियाँ अर्पित करते हैं और धूप अगरबत्ती जलाते हैं। 4 लोग कब्रों के बीच बैठते हैं और मरे हुए लोगों से सन्देश पाने का इंतज़ार करते रहते हैं। यहाँ तक कि वे मुर्दों के बीच रहा करते हैं। वे सुअर का माँस खाते हैं। उनके प्यालों में अपवित्र वस्तुओं का शोरबा है। 5 किन्तु वे लोग दूसरे लोगों से कहा करते हैं, ‘मेरे पास मत आओ, मुझे उस समय तक मत छुओ, जब तक मैं तुम्हें पवित्र न कर दूँ।’ मेरी आँखों में वे लोग धुएँ के जैसे हैं और उनकी आग हर समय जला करती है।”
इस्राएल को दण्डित होना चाहिये
6 “देखो, यह एक हुण्डी है। इसका भुगतान तो करना ही होगा। यह हुण्डी बताती है कि तुम अपने पापों के लिये अपराधी हो। मैं उस समय तक चुप नहीं होऊँगा जब तक इस हुण्डी का भुगतान न कर दूँ और देखो तुम्हें दण्ड देकर ही मैं इस हुण्डी का भुगतान करूँगा। 7 तुम्हारे पाप और तुम्हारे पूर्वज एक ही जैसे हैं। यहोवा ने यह कहा है, ‘तुम्हारे पूर्वजों ने जब पहाड़ों में धूप अगरबत्तियाँ जलाईर् थी, तभी इन पापों को किया था। उन पहाड़ों पर उन्होंने मुझे लज्जित किया था और सबसे पहले मैंने उन्हें दण्ड दिया। जो दण्ड उन्हें मिलना चाहिये था, मैंने उन्हें वही दण्ड दिया।’”
8 यहोवा कहता है, “अँगूरों में जब नयी दाखमधु हुआ करती है, तब लोग उसे निचोड़ लिया करते हैं, किन्तु वे अँगूरों को पूरी तरह नष्ट तो नहीं कर डालते। वे इसलिये ऐसा करते हैं कि अँगूरों का उपयोग तो फिर भी किया जा सकता है। अपने सेवकों के साथ मैं ऐसा ही करूँगा। मैं उन्हें पूरी तरह नष्ट नहीं करूँगा। 9 इस्राएल के कुछ लोगों को मैं बचाये रखूँगा। यहूदा के कुछ लोग मेरे पर्वतों को प्राप्त करेंगे। मेरे सेवकों का वहाँ निवास होगा। मेरे चुने हुए लोगों को धरती मिलेगी।
19 हे यहोवा, तू मुझको मत त्याग।
तू मेरा बल हैं, मेरी सहायता कर। अब तू देर मत लगा।
20 हे यहोवा, मेरे प्राण तलवार से बचा ले।
उन कुत्तों से तू मेरे मूल्यवान जीवन की रक्षा कर।
21 मुझे सिंह के मुँह से बचा ले
और साँड़ के सींगो से मेरी रक्षा कर।
22 हे यहोवा, मैं अपने भाईयों में तेरा प्रचार करुँगा।
मैं तेरी प्रशंसा तेरे भक्तों की सभा बीच करुँगा।
23 ओ यहोवा के उपासकों, यहोवा की प्रशंसा करो।
इस्राएल के वंशजों यहोवा का आदर करो।
ओ इस्राएल के सभी लोगों, यहोवा का भय मानों और आदर करो।
24 क्योंकि यहोवा ऐसे मनुष्यों की सहायता करता है जो विपति में होते हैं।
यहोवा उन से घृणा नहीं करता है।
यदि लोग सहायता के लिये यहोवा को पुकारे
तो वह स्वयं को उनसे न छिपायेगा।
25 हे यहोवा, मेरा स्तुति गान महासभा के बीच तुझसे ही आता है।
उन सबके सामने जो तेरी उपासना करते हैं। मैं उन बातों को पूरा करुँगा जिनको करने की मैंने प्रतिज्ञा की है।
26 दीन जन भोजन पायेंगे और सन्तुष्ट होंगे।
तुम लोग जो उसे खोजते हुए आते हो उसकी स्तुति करो।
मन तुम्हारे सदा सदा को आनन्द से भर जायें।
27 काश सभी दूर देशों के लोग यहोवा को याद करें
और उसकी ओर लौट आयें।
काश विदेशों के सब लोग यहोवा की आराधना करें।
28 क्योंकि यहोवा राजा है।
वह प्रत्येक राष्ट्र पर शासन करता है।
23 इस विश्वास के आने से पहले, हमें व्यवस्था के विधान की देखरेख में, इस आने वाले विश्वास के प्रकट होने तक, बंदी के रूप में रखा गया। 24 इस प्रकार व्यवस्था के विधान हमें मसीह तक ले जाने के लिए एक कठोर अभिभावक था ताकि अपने विश्वास के आधार पर हम नेक ठहरें। 25 अब जब यह विश्वास प्रकट हो चुका है तो हम उस कठोर अभिभावक के अधीन नहीं हैं।
26 यीशु मसीह में विश्वास के कारण तुम सभी परमेश्वर की संतान हो। 27 क्योंकि तुम सभी जिन्होंने मसीह का बपतिस्मा ले लिया है, मसीह में समा गये हो। 28 सो अब किसी में कोई अन्तर नहीं रहा न कोई यहूदी रहा, न ग़ैर यहूदी, न दास रहा, न स्वतन्त्र, न पुरुष रहा, न स्त्री, क्योंकि मसीह यीशु में तुम सब एक हो। 29 और क्योंकि तुम मसीह के हो तो फिर तुम इब्राहीम के वंशज हो, और परमेश्वर ने जो वचन इब्राहीम को दिया था, उस वचन के उत्तराधिकारी हो।
दुष्टात्मा से छुटकारा
(मत्ती 8:28-34; मरकुस 5:1-20)
26 फिर वे गिरासेनियों के प्रदेश में पहुँचे जो गलील झील के सामने परले पार था। 27 जैसे ही वह किनारे पर उतरा, नगर का एक व्यक्ति उसे मिला। उसमें दुष्टात्माएँ समाई हुई थीं। एक लम्बे समय से उसने न तो कपड़े पहने थे और न ही वह घर में रहा था, बल्कि वह कब्रों में रहता था।
28-29 जब उसने यीशु को देखा तो चिल्लाते हुए उसके सामने गिर कर ऊँचे स्वर में बोला, “हे परम प्रधान (परमेश्वर) के पुत्र यीशु, तू मुझसे क्या चाहता है? मैं विनती करता हूँ मुझे पीड़ा मत पहुँचा।” उसने उस दुष्टात्मा को उस व्यक्ति में से बाहर निकलने का आदेश दिया था, क्योंकि उस दुष्टात्मा ने उस मनुष्य को बहुत बार पकड़ा था। ऐसे अवसरों पर उसे बेड़ियों से बाँध कर पहरे में रखा जाता था। किन्तु वह सदा ज़ंजीरों को तोड़ देता था और दुष्टात्मा उसे वीराने में भगाए फिरती थी।
30 सो यीशु ने उससे पूछा, “तेरा नाम क्या है?”
उसने कहा, “सेना।” (क्योंकि उसमें बहुत सी दुष्टात्माएँ समाई थीं।) 31 वे यीशु से तर्क-वितर्क के साथ विनती कर रही थीं कि वह उन्हें गहन गर्त में जाने की आज्ञा न दे। 32 अब देखो, तभी वहाँ पहाड़ी पर सुअरों का एक बड़ा झुण्ड चर रहा था। दुष्टात्माओं ने उससे विनती की कि वह उन्हें सुअरों में जाने दे। सो उसने उन्हें अनुमति दे दी। 33 इस पर वे दुष्टात्माएँ उस व्यक्ति में से बाहर निकलीं और उन सुअरों में प्रवेश कर गयीं। और सुअरों का वह झुण्ड नीचे उस ढलुआ तट से लुढ़कते पुढ़कते दौड़ता हुआ झील में जा गिरा और डूब गया।
34 झुण्ड के रखवाले, जो कुछ हुआ था, उसे देखकर वहाँ से भाग खड़े हुए। और उन्होंने इसका समाचार नगर और गाँव में जा सुनाया। 35 फिर वहाँ के लोग जो कुछ घटा था उसे देखने बाहर आये। वे यीशु से मिले। और उन्होंने उस व्यक्ति को जिसमें से दुष्टात्माएँ निकली थीं यीशु के चरणों में बैठे पाया। उस व्यक्ति ने कपड़े पहने हुए थे और उसका दिमाग एकदम सही था। इससे वे सभी डर गये। 36 जिन्होंने देखा, उन्होंने लोगों को बताया कि दुष्टात्मा-ग्रस्त व्यक्ति कैसे ठीक हुआ। 37 इस पर गिरासेन प्रदेश के सभी निवासियों ने उससे प्रार्थना की कि वह वहाँ से चला जाये क्योंकि वे सभी बहुत डर गये थे।
सो यीशु नाव में आया और लौट पड़ा। 38 किन्तु जिस व्यक्ति में से दुष्टात्माएँ निकली थीं, वह यीशु से अपने को साथ ले चलने की विनती कर रहा था। इस पर यीशु ने उसे यह कहते हुए लौटा दिया कि, 39 “घर जा और जो कुछ परमेश्वर ने तेरे लिये किया है, उसे बता।”
सो वह लौटकर, यीशु ने उसके लिये जो कुछ किया था, उसे सारे नगर में सबसे कहता फिरा।
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