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Revised Common Lectionary (Complementary)

Daily Bible readings that follow the church liturgical year, with thematically matched Old and New Testament readings.
Duration: 1245 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
नीतिवचन 8:1-4

सुबुद्धि की पुकार

क्या सुबुद्धि तुझको पुकारती नहीं है?
    क्या समझबूझ ऊँची आवाज नहीं देती?
वह राह के किनारे ऊँचे स्थानों पर खड़ी रहती है
    जहाँ मार्ग मिलते हैं।
वह नगर को जाने वाले द्वारों के सहारे
    उपर सिंह द्वार के ऊपर पुकार कर कहती है,

“हे लोगों, मैं तुमको पुकारती हूँ,
    मैं सारी मानव जाति हेतु आवाज़ उठाती हूँ।

नीतिवचन 8:22-31

22 “यहोवा ने मुझे अपनी रचना के प्रथम
    अपने पुरातन कर्मो से पहले ही रचा है।
23 मेरी रचना सनातन काल से हुई।
    आदि से, जगत की रचना के पहले से हुई।
24 जब सागर नहीं थे, जब जल से लबालब सोते नहीं थे,
    मुझे जन्म दिया गया।
25 मुझे पर्वतों—पहाड़ियों की स्थापना से पहले ही जन्म दिया गया।
26 धरती की रचना, या उसके खेत
    अथवा जब धरती के धूल कण रचे गये।
27 मेरा अस्तित्व उससे भी पहले वहाँ था।
    जब उसने आकाश का वितान ताना था
    और उसने सागर के दूसरे छोर पर क्षितिज को रेखांकित किया था।
28 उसने जब आकाश में सघन मेघ टिकाये थे,
    और गहन सागर के स्रोत निर्धारित किये,
29 उसने समुद्र की सीमा बांधी थी
    जिससे जल उसकी आज्ञा कभी न लाँघे,
धरती की नीवों का सूत्रपात उसने किया,
    तब मैं उसके साथ कुशल शिल्पी सी थी।
30 मैं दिन—प्रतिदिन आनन्द से परिपूर्ण होती चली गयी।
    उसके सामने सदा आनन्द मनाती।
31 उसकी पूरी दुनिया से मैं आनन्दित थी।
    मेरी खुशी समूची मानवता थी।

भजन संहिता 8

गित्तीथ की संगत पर संगीत निर्देशक के लिये दाऊद का एक पद।

हे यहोवा, मेरे स्वामी, तेरा नाम सारी धरती पर अति अद्भुत है।
    तेरा नाम स्वर्ग में हर कहीं तुझे प्रशंसा देता है।

बालकों और छोटे शिशुओं के मुख से, तेरे प्रशंसा के गीत उच्चरित होते हैं।
    तू अपने शत्रुओं को चुप करवाने के लिये ऐसा करता है।

हे यहोवा, जब मेरी दृष्टि गगन पर पड़ती है, जिसको तूने अपने हाथों से रचा है
    और जब मैं चाँद तारों को देखता हूँ जो तेरी रचना है, तो मैं अचरज से भर उठता हूँ।
लोग तेरे लिये क्यों इतने महत्वपूर्ण हो गये?
    तू उनको याद भी किस लिये करता है?
मनुष्य का पुत्र तेरे लिये क्यों महत्वपूर्ण है?
    क्यों तू उन पर ध्यान तक देता है?

किन्तु तेरे लिये मनुष्य महत्वपूर्ण है!
    तूने मनुष्य को ईश्वर का प्रतिरुप बनाया है,
    और उनके सिर पर महिमा और सम्मान का मुकुट रखा है।
तूने अपनी सृष्टि का जो कुछ भी
    तूने रचा लोगों को उसका अधिकारी बनाया।
मनुष्य भेड़ों पर, पशु धन पर और जंगल के सभी हिसक जन्तुओं पर शासन करता है।
वह आकाश में पक्षियों पर
    और सागर में तैरते जलचरों पर शासन करता है।
हे यहोवा, हमारे स्वामी, सारी धरती पर तेरा नाम अति अद्भुत है।

रोमियों 5:1-5

परमेश्वर का प्रेम

क्योंकि हम अपने विश्वास के कारण परमेश्वर के लिए धर्मी हो गये है, सो अपने प्रभु यीशु मसीह के द्वारा हमारा परमेश्वर से मेल हो गया है। उसी के द्वारा विश्वास के कारण उसकी जिस अनुग्रह में हमारी स्थिति है, उस तक हमारी पहुँच हो गयी है। और हम परमेश्वर की महिमा का कोई अंश पाने की आशा का आनन्द लेते हैं। इतना ही नहीं, हम अपनी विपत्तियों में भी आनन्द लेते हैं। क्योंकि हम जानते हैं कि विपत्ति धीरज को जन्म देती है। और धीरज से परखा हुआ चरित्र निकलता है। परखा हुआ चरित्र आशा को जन्म देता है। और आशा हमें निराश नहीं होने देती क्योंकि पवित्र आत्मा के द्वारा, जो हमें दिया गया है, परमेश्वर का प्रेम हमारे हृदय में उँडेल दिया गया है।

यूहन्ना 16:12-15

12 “मुझे अभी तुमसे बहुत सी बातें कहनी हैं किन्तु तुम अभी उन्हें सह नहीं सकते। 13 किन्तु जब सत्य का आत्मा आयेगा तो वह तुम्हें पूर्ण सत्य की राह दिखायेगा क्योंकि वह अपनी ओर से कुछ नहीं कहेगा। वह जो कुछ सुनेगा वही बतायेगा। और जो कुछ होने वाला है उसको प्रकट करेगा। 14 वह मेरी महिमा करेगा क्योंकि जो मेरा है उसे लेकर वह तुम्हें बतायेगा। हर वस्तु जो पिता की है, वह मेरी है। 15 इसीलिए मैंने कहा है कि जो कुछ मेरा है वह उसे लेगा और तुम्हें बतायेगा।

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

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