Revised Common Lectionary (Complementary)
दाऊद का एक गीत।
1 परमेश्वर के पुत्रों, यहोवा की स्तुति करो!
उसकी महिमा और शक्ति के प्रशंसा गीत गाओ।
2 यहोवा की प्रशंसा करो और उसके नाम को आदर प्रकट करो।
विशेष वस्त्र पहनकर उसकी आराधना करो।
3 समुद्र के ऊपर यहोवा की वाणी निज गरजती है।
परमेश्वर की वाणी महासागर के ऊपर मेघ के गरजन की तरह गरजता है।
4 यहोवा की वाणी उसकी शक्ति को दिखाती है।
उसकी ध्वनि उसके महिमा को प्रकट करती है।
5 यहोवा की वाणी देवदार वृक्षों को तोड़ कर चकनाचूर कर देता है।
यहोवा लबानोन के विशाल देवदार वृक्षों को तोड़ देता है।
6 यहोवा लबानोन के पहाड़ों को कँपा देता है। वे नाचते बछड़े की तरह दिखने लगता है।
हेर्मोन का पहाड़ काँप उठता है और उछलती जवान बकरी की तरह दिखता है।
7 यहोवा की वाणी बिजली की कौधो से टकराती है।
8 यहोवा की वाणी मरुस्थलों को कँपा देती है।
यहोवा के स्वर से कादेश का मरुस्थल काँप उठता है।
9 यहोवा की वाणी से हरिण भयभीत होते हैं।
यहोवा दुर्गम वनों को नष्ट कर देता है।
किन्तु उसके मन्दिर में लोग उसकी प्रशंसा के गीत गाते हैं।
10 जलप्रलय के समय यहोवा राजा था।
वह सदा के लिये राजा रहेगा।
11 यहोवा अपने भक्तों की रक्षा सदा करे,
और अपने जनों को शांति का आशीष दे।
पवित्र सन्दूक मन्दिर में पहुँचाया गया
2 सुलैमान ने इस्राएल के सभी अग्रजों, परिवार समूहों के प्रमुखों और इस्राएल में परिवार प्रमुखों को इकट्ठा किया। उसने सभी को यरूशलेम में इकट्ठा किया। सुलैमान ने यह इसलिये किया कि लेवीवंशी साक्षीपत्र के सन्दूक को दाऊद के नगर से ला सकें। दाऊद का नगर सिय्योन है। 3 राजा सुलैमान से इस्राएल के सभी लोग सातवें महीने के पर्व के अवसर पर एक साथ मिले।
4 जब इस्राएल के सभी अग्रज आ गए तब लेवीवंशियों ने साक्षीपत्र के सन्दूक को उठाया। 5 तब याजक और लेवीवंशी साक्षीपत्र के सन्दूक को मन्दिर में ले गए। याजक और लेवीवंशी मिलापवाले तम्बू तथा इसमें जो पवित्र चीज़ें थीं उन्हें भी यरूशलेम ले आए। 6 राजा सुलैमान और इस्राएल के सभी लोग साक्षीपत्र के सन्दूक के सामने मिले। राजा सुलैमान और इस्राएल के सभी लोगों ने भेड़ों और बैलों की बलि चढ़ाई। वहाँ इतने अधिक मेढ़े व बैल थे कि कोई व्यक्ति उन्हें गिन नहीं सकता था। 7 तब याजकों ने यहोवा के साक्षीपत्र के सन्दूक को उस स्थान पर रखा, जो इसके लिये तैयार किया गया था। वह सर्वाधिक पवित्र स्थान मन्दिर के भीतर था। साक्षीपत्र के सन्दूक को करूब (स्वर्गदूत) के पंखों के नीचे रखा गया। 8 साक्षीपत्र के सन्दूक के स्थान के ऊपर करूबों के पंख फैले हुये थे, करूब (स्वर्गदूत) साक्षीपत्र के सन्दूक के ऊपर खड़े थे। बल्लियाँ सन्दूक को लेजा ने में प्रयोग होती थीं। 9 बल्लियाँ इतनी लम्बी थीं कि सर्वाधिक पवित्र स्थान के सामने से उनके सिरे देखे जा सकें। किन्तु कोई व्यक्ति मन्दिर के बाहर से बल्लियों को नहीं देख सकता था। बल्लियाँ, अब तक आज भी वहाँ हैं। 10 साक्षीपत्र के सन्दूक में दो शिलाओं के अतिरिक्त अन्य कुछ नहीं था। मूसा ने दोनों शिलाओं को होरेब पर्वत पर साक्षीपत्र के सन्दूक में रखा था। होरेब वह स्थान था जहाँ यहोवा ने इस्राएल के लोगों के साथ वाचा की थी। यह उसके बाद हुआ जब इस्राएल के लोग मिस्र से चले आए।
11 तब वे सभी याजक पवित्र स्थान से बाहर आए। सभी वर्ग के याजकों ने अपने को पवित्र कर लिया था।
12 और सभी लेविवंशी गायक वेदी के पूर्वी ओर खड़े थे। सभी आसाप, हेमान और यदूतून के गायक समूह वहाँ थे और उनके पुत्र तथा उनके सम्बन्धी भी वहाँ थे। वे लेवीवंशी गायक सफेद बहुमूल्य मलमल के वस्त्र पहने हुए थे। वे झाँझ, वीणा और सारंगी लिये थे। उन लेवीवंशी गायकों के साथ वहाँ एक सौ बीस याजक थे। वे एक सौ बीस याजक तुरही बजा रहे थे। 13 जो तुरही बजा रहे थे और गा रहे थे, वे एक व्यक्ति की तरह थे। जब वे यहोवा की स्तुति करते थे और उसे धन्यवाद देते थे तब वे एक ही ध्वनि करते थे। तुरही, झाँझ तथा अन्य वाद्य यन्त्रों पर वे तीव्र घोष करते थे, उन्होंने यहोवा की स्तुति में यह गीत गया:
“यहोवा की स्तुति करो क्योंकि वह भला है।
उसका प्रेम शाश्वत है।”
तब यहोवा का मन्दिर मेघ से भर उठा। 14 मेघ के कारण याजक सेवा कर न सके, इसका कारण था यहोवा की महिमा मन्दिर में भर गई थी।
पौलुस के कार्य
19 “हे राजन अग्रिप्पा, इसीलिये तभी से उस दर्शन की आज्ञा का कभी भी उल्लंघन न करते हूए 20 बल्कि उसके विपरीत मैं पहले उन्हें दमिश्क में, फिर यरूशलेम में और यहूदिया के समूचे क्षेत्र में और ग़ैर यहूदियों को भी उपदेश देता रहा कि मनफिराव के, परमेश्वर की ओर मुड़े और मनफिराव के योग्य काम करें।
21 “इसी कारण जब मैं यहाँ मन्दिर में था, यहूदियों ने मुझे पकड़ लिया और मेरी हत्या का यत्न किया। 22 किन्तु आज तक मुझे परमेश्वर की सहायता मिलती रही है और इसीलिए मैं यहाँ छोटे और बड़े सभी लोगों के सामने साक्षी देता खड़ा हूँ। मैं बस उन बातों को छोड़ कर और कुछ नहीं कहता जो नबियों और मूसा के अनुसार घटनी ही थीं 23 कि मसीह को यातनाएँ भोगनी होंगी और वही मरे हुओं में से पहला जी उठने वाला होगा और वह यहूदियों और ग़ैर यहूदियों को ज्योति का सन्देश देगा।”
पौलुस द्वारा अग्रिप्पा का भ्रम दूर करने का यत्न
24 वह अपने बचाव में जब इन बातों को कह ही रहा था कि फेस्तुस ने चिल्ला कर कहा, “पौलुस, तेरा दिमागख़राब हो गया है! तेरी अधिक पढ़ाई तुझे पागल बनाये डाल रही है!”
25 पौलुस ने कहा, “हे परमगुणी फेस्तुस, मैं पागल नहीं हूँ बल्कि जो बातें मैं कह रहा हूँ, वे सत्य हैं और संगत भी। 26 स्वयं राजा इन बातों को जानता है और मैं मुक्त भाव से उससे कह सकता हूँ। मेरा निश्चय है कि इनमें से कोई भी बात उसकी आँखों से ओझल नहीं है। मैं ऐसा इसलिये कह रहा हूँ कि यह बात किसी कोने में नहीं की गयी। 27 हे राजन अग्रिप्पा! नबियों ने जो लिखा है, क्या तू उसमें विश्वास रखता है? मैं जानता हूँ कि तेरा विश्वास है।”
28 इस पर अग्रिप्पा ने पौलुस से कहा, “क्या तू यह सोचता है कि इतनी सरलता से तू मुझे मसीही बनने को मना लेगा?”
29 पौलुस ने उत्तर दिया, “थोड़े समय में, चाहे अधिक समय में, परमेश्वर से मेरी प्रार्थना है कि न केवल तू बल्कि वे सब भी, जो आज मुझे सुन रहे हैं, वैसे ही हो जायें, जैसा मैं हूँ, सिवाय इन ज़ंजीरों के।”
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