Revised Common Lectionary (Complementary)
1 यहोवा शासनकरता है, और धरती प्रसन्न हैं।
और सभी दूर के देश प्रसन्न हैं
2 यहोवा को काले गहरे बादल घेरे हुए हैं।
नेकी और न्याय उसके राज्य को दूढ़ किये हैं।
3 यहोवा के सामने आग चला करती है,
और वह उसके बैरियों का नाश करती है।
4 उसकी बिजली गगन में काँधा करती है।
लोग उसे देखते हैं और भयभीत रहते हैं।
5 यहोवा के सामने पहाड़ ऐसे पिघल जाते हैं, जैसे मोम पिघल जाती है।
वे धरती के स्वामी के सामने पिघल जाते हैं।
6 अम्बर उसकी नेकी का बखान करते हैं।
हर कोई परमेश्वर की महिमा देख ले।
7 लोग उनकी मूर्तियों की पूजा करते हैं।
वे अपने “देवताओं” की डींग हाँकते हैं।
लेकिन वे लोग लज्जित होंगे।
उनके “देवता” यहोवा के सामने झुकेंगे और उपासना करेंगे।
8 हे सिय्योन, सुन और प्रसन्न हो!
यहूदा के नगरों, प्रसन्न हो!
क्यों? क्योंकि यहोवा विवेकपूर्ण न्याय करता है।
9 हे सर्वोच्च यहोवा, सचमुच तू ही धरती पर शासन करता हैं।
तू दूसरे “देवताओं” से अधिक उत्तम है।
10 जो लोग यहोवा से प्रेम रखते हैं, वे पाप से घृणा करते हैं।
इसलिए परमेश्वर अपने अनुयायियों की रक्षा करता है। परमेश्वर अपने अनुयायियों को दुष्ट लोगों से बचाता है।
11 ज्योति और आनन्द
सज्जनों पर चमकते हैं।
12 हे सज्जनों परमेश्वर में प्रसन्न रहो!
उसके पवित्र नाम का आदर करते रहो!
मूसा को यहोवा की महिमा का दर्शन
12 मूसा ने यहोवा से कहा, “तूने मुझे इन लोगों को ले चलने को कहा। किन्तु तूने यह नहीं बताया कि मेरे साथ किसे भेजेगा। तूने मुझसे कहा, ‘मैं तुम्हें अच्छी तरह जानता हूँ और मैं तुमसे प्रसन्न हूँ।’ 13 यदि तुझे मैंने सचमुच प्रसन्न किया है तो अपने निर्णय मुझे बता। तुझे मैं सचमुच जानना चाहता हूँ। तब मैं तुझे लगातार प्रसन्न रख सकता हूँ। याद रख कि ये सभी तेरे लोग हैं।”
14 यहोवा ने कहा, “मैं स्वयं तुम्हारे साथ चलूँगा। मैं तुम्हें रास्ता दिखाऊँगा।”[a]
15 तब मूसा ने उससे कहा, “यदि तू हम लोगों के साथ न चले तो तू इस स्थान से हम लोगों को दूर मत भेज। 16 हम यह भी कैसे जानेंगे कि तू मुझसे और इन लोगों से प्रसन्न है? यदि तू साथ चलेगा तो हम लोग निश्चयपूर्वक यह जानेंगे। यदि तू हम लोगों के साथ नहीं जाता तो मैं और ये लोग धरती के अन्य दूसरे लोगों से भिन्न नहीं होंगे।”
17 तब यहोवा ने मूसा से कहा, “मैं वह करूँगा जो तू कहता है। मैं यह करूँगा क्योंकि मैं तुझसे प्रसन्न हूँ। मैं तुझे अच्छी तरह जानता हूँ।”
6 फिर उस स्वर्गदूत ने मुझसे कहा, “ये वचन विश्वास करने योग्य और सत्य हैं। प्रभु ने जो नबियों की आत्माओं का परमेश्वर है, अपने सेवकों को, जो कुछ शीघ्र ही घटने वाला है, उसे जताने के लिए अपना स्वर्गदूत भेजा है। 7 ‘सुनो, मैं शीघ्र ही आ रहा हूँ! धन्य हैं वह जो इस पुस्तक में दिए गए उन वचनों का पालन करते हैं जो भविष्यवाणी हैं।’”
8 मैं यूहन्ना हूँ। मैंने ये बातें सुनी और देखी हैं। जब मैंने ये बातें देखीं सुनीं तो उस स्वर्गदूत के चरणों में गिर कर मैंने उसकी उपासना की जो मुझे ये बातें दिखाया करता था। 9 उसने मुझसे कहा, “सावधान, तू ऐसा मत कर। क्योंकि मैं तो तेरा, तेरे बंधु नबियों का जो इस पुस्तक में लिखे वचनों का पालन करते हैं, एक सह-सेवक हूँ। बस परमेश्वर की ही उपासना कर।”
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