Revised Common Lectionary (Complementary)
धन्यवाद का एक गीत।
1 हे धरती, तुम यहोवा के लिये गाओ।
2 आनन्दित रहो जब तुम यहोवा की सेवा करो।
प्रसन्न गीतों के साथ यहोवा के सामने आओ।
3 तुम जान लो कि वह यहोवा ही परमेश्वर है।
उसने हमें रचा है और हम उसके भक्त हैं।
हम उसकी भेड़ हैं।
4 धन्यवाद के गीत संग लिये यहोवा के नगर में आओ,
गुणगान के गीत संग लिये यहोवा के मन्दिर में आओ।
उसका आदर करो और नाम धन्य करो।
5 यहोवा उत्तम है।
उसका प्रेम सदा सर्वदा है।
हम उस पर सदा सर्वदा के लिये भरोसा कर सकते हैं!
यहूदा और इस्राएल का फिर एक होना
15 मुझे यहोवा का वचन फिर मिला। उसने कहा, 16 “मनुष्य के पुत्र, एक छड़ी लो और उस पर यह सन्देश लिखो: ‘यह छड़ी यहूदा और उसके मित्र इस्राएल के लोगों की है।’ तब दूसरी छड़ी लो और इस पर लिखो, ‘एप्रैम की यह छड़ी, यूसुफ और उसके मित्र इस्राएल के लोगों की है।’ 17 तब दोनों छड़ियों को एक साथ जोड़ दो। तुम्हारे हाथ में वे एक छड़ी होंगी।
18 “तुम्हारे लोग यह स्पष्ट करने को कहेंगे कि इसका अर्थ क्या है। 19 उनसे कहो कि स्वामी यहोवा कहता है, ‘मैं यूसुफ की छड़ी लूँगा जो इस्राएल के लोगों, जो एप्रैम और उसके मित्रों के हाथ में है। तब मैं उस छड़ी को यहूदा की छड़ी के साथ रखूँगा और इन्हें एक छड़ी बनाऊँगा। मेरे हाथ में वह एक छड़ी होगी!’
20 “उनके आँखों के सामने उन छड़ियों को अपने हाथों में पकड़ो। तुमने वे नाम उन छड़ियों पर लिखे थे। 21 लोगों से कहो कि स्वामी यहोवा यह कहता है: ‘मैं इस्राएल के लोगों को उन राष्ट्रों से लाऊँगा, जहाँ वे गए हैं। मैं उन्हें चारों ओर से एकत्रित करूँगा और उनके अपने देश में लाऊँगा। 22 मैं उन्हें इस्राएल के पर्वतों के प्रदेश में एक राष्ट्र बनाऊँगा। उन सभी का केवल एक राजा होगा। वे दो राष्ट्र नहीं बने रहेंगे। वे भविष्य में राज्यों में नहीं बाँटे जा सकते। 23 वे अपनी देवमूर्तियों और भयंकर मूर्तियों या अपने अन्य किसी अपराध से अपने आपको गन्दा बनाते नहीं रहेंगे। किन्तु मैं उन्हें सभी पापों से बचाता रहूँगा, चाहे वे जहाँ कहीं भी हों। मैं उन्हें नहलाऊँगा और शुद्ध करूँगा। वे मेरे लोग होंगे और मैं उनका परमेश्वर रहूँगा।
24 “‘मेरा सेवक दाऊद उनके ऊपर राजा होगा। उन सभी का केवल एक गड़ेरिया होगा। वे मेरे नियमों के सहारे रहेंगे और मेरे विधियों का पालन करेंगे। वे वह काम करेंगे जो मैं कहूँगा। 25 वे उस भूमि पर रहेंगे जो मैंने अपने सेवक याकूब को दी। तुम्हारे पूर्वज उस स्थान पर रहते थे और मेरे लोग वहाँ रहेंगे। वे, उनके बच्चे और उनके पौत्र—पौत्रियाँ वहाँ सर्वदा रहेंगी और मेरा सेवक दाऊद उनका प्रमुख सदा रहेगा। 26 मैं उनके साथ एक शान्ति—सन्धि करूँगा। यह सन्धि सदा बनी रहेगी। मैं उनको उनका देश देना स्वीकार करता हूँ। मैं उन्हें बहुसंख्यक लोग बनाना स्वीकार करता हूँ। मैं अपना पवित्र स्थान वहाँ उनके साथ सदा के लिये रखना स्वीकार करता हूँ। 27 मेरा पवित्र तम्बू वहाँ उनके बीच रहेगा। हाँ, मैं उनका परमेश्वर और वे मेरे लोग होंगे। 28 तब अन्य राष्ट्र समझेंगे कि मैं यहोवा हूँ और वे जानेंगे कि मैं इस्राएल को, उनके बीच सदा के लिये अपना पवित्र स्थान रखकर, अपने विशेष लोग बना रहा हूँ।’”
अंतिम विनाश के दूत
15 आकाश में फिर मैंने एक और महान एवम् अदभुत चिन्ह देखा। मैंने देखा कि सात दूत हैं जो सात अंतिम महाविनाशों को लिए हुए हैं। ये अंतिम विनाश हैं क्योंकि इनके साथ परमेश्वर का कोप भी समाप्त हो जाता है।
2 फिर मुझे काँच का एक सागर सा दिखायी दिया जिसमें मानो आग मिली हो। और मैंने देखा कि उन्होंने उस पशु की मूर्ति पर तथा उसके नाम से सम्बन्धित संख्या पर विजय पा ली है, वे भी उस काँच के सागर पर खड़े हैं। उन्होंने परमेश्वर के द्वारा दी गयी वीणाएँ ली हुई थीं। 3 वे परमेश्वर के सेवक मूसा और मेमने का यह गीत गा रहे थे:
“वे कर्म जिन्हें तू करता रहता, महान हैं।
तेरे कर्म अदभुत, तेरी शक्ति अनन्त है,
हे प्रभु परमेश्वर, तेरे मार्ग सच्चे और धार्मिकता से भरे हुए हैं,
सभी जातियों का राजा,
4 हे प्रभु, तुझसे सब लोग सदा भयभीत रहेंगे।
तेरा नाम लेकर सब जन स्तुति करेंगे,
क्योंकि तू मात्र ही पवित्र है।
सभी जातियाँ तेरे सम्मुख उपस्थित हुई तेरी उपासना करें।
क्योंकि तेरे कार्य प्रकट हैं, हे प्रभु तू जो करता वही न्याय है।”
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