Revised Common Lectionary (Complementary)
आरोहण गीत।
1 जब यहोवा हमें पुन: मुक्त करेगा तो यह ऐसा होगा
जैसे कोई सपना हो!
2 हम हँस रहे होंगे और खुशी के गीत गा रहे होंगे!
तब अन्य राष्ट्र के लोग कहेंगे,
“यहोवा ने इनके लिए महान कार्य किये हैं।”
3 दूसरे देशों के लोग ये बातें करेंगे इस्राएल के लोगों के लिए यहोवा ने एक अद्भुत काम किया है।
अगर यहोवा ने हमारे लिए वह अद्भुत काम किया तो हम प्रसन्न होंगे।
4 हे यहोवा, हमें तू स्वतंत्र कर दे,
अब तू हमें मरुस्थल के जल से भरे हुए जलधारा जैसा बना दे।
5 जब हमने बीज बोये, हम रो रहे थे,
किन्तु कटनी के समय हम खुशी के गीत गायेंगे!
6 हम बीज लेकर रोते हुए खेतों में गये।
सो आनन्द मनाने आओ क्योंकि हम उपज के लिए हुए आ रहे हैं।
21 इसलिए मूसा ने सभी बुजुर्गों (नेताओं) को एक स्थान पर बुलाया। मूसा ने उनसे कहा, “अपने परिवारों के लिए मेमने प्राप्त करो। फसह पर्व के लिए मेमने को मारो। 22 जूफा[a] के गुच्छों को लो और खून से भरे प्यालों में उन्हें डुबाओ। खून से चौखटों के दोनों पटों और सिरों को रंग दो। कोई भी व्यक्ति सवेरा होने से पहले अपना घर न छोड़े। 23 उस समय जब यहोवा पहलौठी सन्तानों को मारने के लिए मिस्र से होकर जाएगा तो वह चौखट के दोनों पटों और सिरों पर खून देखेगा, तब यहोवा उस घर की रक्षा करेगा। यहोवा नाश करने वाले को तुम्हारे घरों के भीतर आने और तुम लोगों को चोट नहीं पहुँचाने देगा। 24 तुम लोग इस आदेश को अवश्य याद रखना। यह नियम तुम लोगों तथा तुम लोगों के वंशजों के निमित्त सदा के लिए है। 25 तुम लोगों को यह कार्य तब भी याद रखना होगा जब तुम लोग उस देश में पहुँचोगे जो यहोवा तुम लोगों को देगा। 26 जब तुम लोगों के बच्चे तुम से पूछेंगे, ‘हम लोग यह त्योहार क्यों मनाते हैं?’ 27 तो तुम लोग कहोगे, ‘यह फसह पर्व यहोवा की भक्ति के लिए है। क्यों? क्योंकि जब हम लोग मिस्र में थे तब यहोवा इस्राएल के घरों से होकर गुजरा था। यहोवा ने मिस्रियों को मार डाला, किन्तु उसने हम लोगों के घरों में लोगों को बचाया।’”
इसलिए लोग अब यहोवा को झुककर प्रणाम करते हैं तथा उपासना करते हैं।
यहूदी नेताओं द्वारा यीशु की हत्या का षड़यन्त्र
(मत्ती 26:1-5; मरकुस 14:1-2; लूका 22:1-2)
45 इसके बाद मरियम के साथ आये यहूदियों में से बहुतों ने यीशु के इस कार्य को देखकर उस पर विश्वास किया। 46 किन्तु उनमें से कुछ फरीसियों के पास गये और जो कुछ यीशु ने किया था, उन्हें बताया। 47 फिर महायाजकों और फरीसियों ने यहूदियों की सबसे ऊँची परिषद बुलाई। और कहा, “हमें क्या करना चाहिये? यह व्यक्ति बहुत से आश्चर्य चिन्ह दिखा रहा है। 48 यदि हमने उसे ऐसे ही करते रहने दिया तो हर कोई उस पर विश्वास करने लगेगा और इस तरह रोमी लोग यहाँ आ जायेंगे और हमारे मन्दिर व देश को नष्ट कर देंगे।”
49 किन्तु उस वर्ष के महायाजक कैफा ने उनसे कहा, “तुम लोग कुछ भी नहीं जानते। 50 और न ही तुम्हें इस बात की समझ है कि इसी में तुम्हारा लाभ है कि बजाय इसके कि सारी जाति ही नष्ट हो जाये, सबके लिये एक आदमी को मरना होगा।”
51 यह बात उसने अपनी तरफ़ से नहीं कही थी पर क्योंकि वह उस साल का महायाजक था उसने भविष्यवाणी की थी कि यीशु लोगों के लिये मरने जा रहा है। 52 न केवल यहूदियों के लिये बल्कि परमेश्वर की संतान जो तितर-बितर है, उन्हें एकत्र करने के लिये।
53 इस तरह उसी दिन से वे यीशु को मारने के कुचक्र रचने लगे। 54 यीशु यहूदियों के बीच फिर कभी प्रकट होकर नहीं गया और यरूशलेम छोड़कर वह निर्जन रेगिस्तान के पास इफ्राईम नगर जा कर अपने शिष्यों के साथ रहने लगा।
55 यहूदियों का फ़सह पर्व आने को था। बहुत से लोग अपने गाँवों से यरूशलेम चले गये थे ताकि वे फ़सह पर्व से पहले अपने को पवित्र कर लें। 56 वे यीशु को खोज रहे थे। इसलिये जब वे मन्दिर में खड़े थे तो उन्होंने आपस में एक दूसरे से पूछना शुरू किया, “तुम क्या सोचते हो, क्या निश्चय ही वह इस पर्व में नहीं आयेगा।” 57 फिर महायाजकों और फरीसियों ने यह आदेश दिया कि यदि किसी को पता चले कि यीशु कहाँ है तो वह इसकी सूचना दे ताकि वे उसे बंदी बना सकें।
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