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Revised Common Lectionary (Complementary)

Daily Bible readings that follow the church liturgical year, with thematically matched Old and New Testament readings.
Duration: 1245 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
भजन संहिता 32

दाऊद का एक गीत।

धन्य है वह जन जिसके पाप क्षमा हुए।
    धन्य है वह जन जिसके पाप धुल गए।
धन्य है वह जन
    जिसे यहोवा दोषी न कहे,
    धन्य है वह जन जो अपने गुप्त पापों को छिपाने का जतन न करे।

हे परमेश्वर, मैंने तुझसे बार बार विनती की,
    किन्तु अपने छिपे पाप तुझको नहीं बताए।
    जितनी बार मैंने तेरी विनती की, मैं तो और अधिक दुर्बल होता चला गया।
हे परमेश्वर, तूने मेरा जीवन दिन रात कठिन से कठिनतर बना दिया।
    मैं उस धरती सा सूख गया हूँ जो ग्रीष्म ताप से सूख गई है।

किन्तु फिर मैंने यहोवा के समक्ष अपने सभी पापों को मानने का निश्चय कर लिया है। हे यहोवा, मैंने तुझे अपने पाप बता दिये।
    मैंने अपना कोई अपराध तुझसे नहीं छुपाया।
    और तूने मुझे मेरे पापों के लिए क्षमा कर दिया!
इसलिए, परमेश्वर, तेरे भक्तों को तेरी विनती करनी चाहिए।
    वहाँ तक कि जब विपत्ति जल प्रलय सी उमड़े तब भी तेरे भक्तों को तेरी विनती करनीचाहिए।
हे परमेश्वर, तू मेरा रक्षास्थल है।
    तू मुझको मेरी विपत्तियों से उबारता है।
तू मुझे अपनी ओट में लेकर विपत्तियों से बचाता है।
    सो इसलिए मैं, जैसे तूने रक्षा की है, उन्हीं बातों के गीत गाया करता हूँ।
यहोवा कहता है, “मैं तुझे जैसे चलना चाहिए सिखाऊँगा
    और तुझे वह राह दिखाऊँगा।
    मैं तेरी रक्षा करुँगा और मैं तेरा अगुवा बनूँगा।
सो तू घोड़े या गधे सा बुद्धिहीन मत बन। उन पशुओं को तो मुखरी और लगाम से चलाया जाता है।
    यदि तू उनको लगाम या रास नहीं लगाएगा, तो वे पशु निकट नहीं आयेंगे।”

10 दुर्जनों को बहुत सी पीड़ाएँ घेरेंगी।
    किन्तु उन लोगों को जिन्हें यहोवा पर भरोसा है, यहोवा का सच्चा प्रेम ढक लेगा।
11 सज्जन तो यहोवा में सदा मगन और आनन्दित रहते हैं।
    अरे ओ लोगों, तुम सब पवित्र मन के साथ आनन्द मनाओ।

यहोशू 4:14-24

14 उस दिन यहोवा ने इस्राएल के सभी लोगों की दृष्टि में यहोशू को एक महान व्यक्ति बना दिया। उस समय से आगे लोग यहोशू का सम्मान करने लगे। वे यहोशू का सम्मान जीवन भर वैसे ही करने लगे जैसा मूसा का करते थे।

15 जिस समय सन्दूक ले चलने वाले याजक अभी नदी में ही खड़े थे, यहोवा ने यहोशू से कहा, 16 “याजकों को नदी से बाहर आने का आदेश दो।”

17 इसलिए यहोशू ने याजकों को आदेश दिया। उसने कहा, “यरदन नदी के बाहर आओ।”

18 याजकों ने यहोशू की आज्ञा मानी। वे सन्दूक को अपने साथ लेकर बाहर आए। जब याजकों के पैर ने नदी के दूसरी ओर की भूमि को स्पर्श किया, तब नदी का जल फिर बहने लगा। पानी फिर तटों को वैसे ही डुबाने लगा जैसा इन लोगों द्वारा नदी पार करने के पहले था।

19 लोगों ने यरदन नदी को पहले महीने के दसवें दिन पार किया। लोगों ने यरीहो के पूर्व गिलगाल में डेरा डाला। 20 लोग उन शिलाओं को अपने साथ ले चल रहे थे जिन्हें उन्होंने यरदन नदी से निकाला था और यहोशू ने उन शिलाओं को गिलगाल में स्थापित किया। 21 तब यहोशू ने लोगों से कहा, “भविष्य में तुम्हारे बच्चे अपने माता—पिता से पूछेंगे, ‘इन शिलाओं का क्या महत्व है?’ 22 तुम बच्चों को बताओगे, ‘ये शिलाएं हम लोगों को यह याद दिलाने में सहायता करती हैं कि इस्राएल के लोगों ने किस तरह सूखी भूमि पर से यरदन नदी को पार किया।’ 23 तुम्हारे परमेश्वर यहोवा ने नदी के जल का बहना रोक दिया। नदी तब तक सूखी रही जब तक लोगों ने नदी को पार नहीं कर लिया। यहोवा ने यरदन नदी पर लोगो के लिये वही किया, जो उन्होंने लोगों के लिये लाल सागर पर किया था। याद करो कि यहोवा ने लाल सागर पर पानी का बहना इसलिए रोका था कि लोग उसे पार कर सकें। 24 यहोवा ने यह इसलिए किया कि इस देश के सभी लोग जानें कि यहोवा महान शक्ति रखता है। जिससे लोग सदैव ही यहोवा तुम्हारे परमेश्वर से डरते रहें।”

2 कुरिन्थियों 5:6-15

हमें पूरा विश्वास है, क्योंकि हम जानते हैं कि जब तक हम अपनी देह में रह रहे हैं, प्रभु से दूर हैं। क्योंकि हम विश्वास के सहारे जीते हैं। बस आँखों देखी के सहारे नहीं। हमें विश्वास है, इसी से मैं कहता हूँ कि हम अपनी देह को त्याग कर प्रभु के साथ रहने को अच्छा समझते हैं। इसी से हमारी यह अभिलाषा है कि हम चाहे उपस्थित रहें और चाहे अनुपस्थित, उसे अच्छे लगते रहें। 10 हम सब को अपने शरीर में स्थित रह कर भला या बुरा, जो कुछ किया है, उसका फल पाने के लिये मसीह के न्यायासन के सामने अवश्य उपस्थित होना होगा।

परोपकारी परमेश्वर के मित्र होते हैं

11 इसलिए प्रभु से डरते हुए हम सत्य को ग्रहण करने के लिये लोगों को समझाते-बुझाते हैं। हमारे और परमेश्वर के बीच कोई पर्दा नहीं है। और मुझे आशा है कि तुम भी हमें पूरी तरह जानते हो। 12 हम तुम्हारे सामने फिर से अपनी कोई प्रशंसा नहीं कर रहे हैं। बल्कि तुम्हें एक अवसर दे रहे हैं कि तुम हम पर गर्व कर सको। ताकि, जो प्रत्यक्ष दिखाई देने वाली वस्तु पर गर्व करते हैं, न कि उस पर जो कुछ उनके मन में है, उन्हें उसका उत्तर मिल सके। 13 क्योंकि यदि हम दीवाने हैं तो परमेश्वर के लिये हैं और यदि सयाने हैं तो वह तुम्हारे लिये हैं। 14 हमारा नियन्ता तो मसीह का प्रेम है क्योंकि हमने अपने मन में यह धार लिया है कि वह एक व्यक्ति (मसीह) सब लोगों के लिये मरा। अतः सभी मर गये। 15 और वह सब लोगों के लिए मरा क्योंकि जो लोग जीवित हैं, वे अब आगे बस अपने ही लिये न जीते रहें, बल्कि उसके लिये जियें जो मरने के बाद फिर जीवित कर दिया गया।

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

© 1995, 2010 Bible League International