Revised Common Lectionary (Complementary)
मन्दिर का आरोहण गीत।
1 मैं संकट में पड़ा था, सहारा पाने के लिए
मैंने यहोवा को पुकारा
और उसने मुझे बचा लिया।
2 हे यहोवा, मुझे तू उन ऐसे लोगों से बचा ले
जिन्होंने मेरे विषय में झूठ बोला है।
3 अरे ओ झूठों, क्या तुम यह जानते हो
कि परमेश्वर तुमको कैसे दण्ड देगा
4 तुम्हें दण्ड देने के लिए परमेश्वर योद्धा के नुकीले तीर और धधकते हुए अंगारे काम में लाएगा।
5 झूठों, तुम्हारे निकट रहना ऐसा है, जैसे कि मेशेक के देश में रहना।
यह रहना ऐसा है जैसे केवार के खेतों में रहना है।
6 जो शांति के बैरी है ऐसे लोगों के संग मैं बहुत दिन रहा हूँ।
7 मैंने यह कहा था मुझे शांति चाहिए क्यों वे लोग युद्ध को चाहते हैं।
18 सिदकिय्याह ने जब शासन करना आरम्भ किया तो वह इक्कीस वर्ष का था। उसने ग्यारह वर्ष यरूशलेम में शासन किया। उसकी माँ लिब्ना के यिर्मयाह की पुत्री हमूतल थी। 19 सिदकिय्याह ने वे काम किये जिन्हें यहोवा ने बुरा बताया था। सिदकिय्याह ने वे ही सारे काम किये जो यहोयाकीम ने किये थे। 20 यहोवा यरूशलेम और यहूदा पर इतना क्रोधित हुआ कि उसने उन्हें दूर फेंक दिया।
नबूकदनेस्सर, द्वारा सिदकिय्याह के शासन की समाप्ति
सिदकिय्याह ने बाबेल के राजा के विरुद्ध विद्रोह कर दिया और उसकी आज्ञा मानने से इन्कार कर दिया।
25 अतः बाबेल का राजा नबूकदनेस्सर अपनी सारी सेना के साथ यरूशलेम के विरूद्ध युद्ध करने आया। सिदकिय्याह के राज्य के नौवें वर्ष के दसवें महीने के दसवें दिन यह घटित हुआ। नबूकदेनस्सर ने यरूशलेम के चारों ओर डेरा डाला। उसने यह कार्य यरूशलेम के लोगों को बाहर से भीतर, और भीतर से बाहर आने जाने से रोकने के लिये किया। तब उन्होंने यरूशलेम के चारों ओर मिट्टी की दीवार खड़ी की।
2 नबूकदनेस्सर की सेना यरूशलेम के चारों ओर सिदकिय्याह के यहूदा में शासनकाल के ग्यारहवें वर्ष तक बनी रही। 3 नगर में भुखमरी की स्थिति बद से बदतर होती जा रही थी। चौथे महीने के नौवें दिन साधारण लोगों के लिये कुछ भी भोजन नहीं रह गया था।
4 नबूकदनेस्सर की सेना ने नगर प्राचीर में एक छेद बनाया। उस रात को राजा सिदकिय्याह और उसके सारे सैनिक भाग गए। वे राजा के बाग के सहारे दो दीवारों के द्वार से बच निकले। बाबेल की सेना नगर के चारों ओर थी। किन्तु सिदकिय्याह और उसकी सेना मरूभूमि की ओर की सड़क पर भाग निकले। 5 बाबेल की सेना ने सिदकिय्याह का पीछा किया और उसे यरीहो के पास पकड़ लिया। सदिकिय्याह की सारी सेना भाग गई और उसे अकेला छोड़ दिया।
6 बाबेल सिदकिय्याह को रिबला में बाबेल के राजा के पास ले गये। बाबेल के राजा ने सिदकिय्याह को दण्ड देने का निर्णय किया। 7 उन्होंने सिदकिय्याह के सामने उसके पुत्रों को मार डाला। तब उन्होंने सिदकिय्याह की आँखें निकाल लीं। उन्होंने उसे जंजीर में जकड़ा और उसे बाबेल ले गए।
यरूशलेम नष्ट कर दिया गया
8 नबूकदनेस्सर के बाबेल के शाशनकाल के उन्नीसवें वर्ष के पाँचवें महीने के सातवें दिन नबूजरदान यरूशलेम आया। नबूकदनेसर के अंगरक्षकों का नायक नबूजरदान था। 9 नबूजरदान ने यहोवा का मन्दिर और राजमहल जला डाला। नबूजरदान ने यरूशलेम के सभी घरों को भी जला डाला। उसने बड़ी से बड़ी इमारतों को भी नष्ट किया।
10 तब नबूजरदान के साथ जो बाबेल की सेना थी उसने यरूशलेम के चारों ओर की दीवारों को गिरा दिया 11 और नबूजरदान ने उन सभी लोगों को पकड़ा जो तब तक नगर में बचे रह गए थे। नबूजरदान ने सभी लोगों को बन्दी बना लिया और उन्हें भी जिन्होंने आत्मसमपर्ण करने की कोशिश की। 12 नबूजरदान ने केवल साधारण व्यक्तियों में सबसे गरीब लोगों को वहाँ रहने दिया। उसने उन गरीब लोगों को वहाँ अंगूर और अन्य फसलों की देखभाल के लिये रहने दिया।
13 बाबल के सैनिकों ने यहोवा के मन्दिर के काँसे की वस्तुओं के टुकड़े कर डाले। उन्होंने काँसे के स्तम्भों, काँसे की गाड़ी को और काँसे के विशाल सरोवर के भी टुकड़े कर डाले, तब बाबेल के सैनिक उन काँसे के टुकड़ों को बाबेल ले गए। 14 कसदियों ने बर्तन, बेलचे, दीप—झारु चम्मच और काँसे के बर्तन जो यहोवा के मन्दिर में काम आती थी, को भी ले लिया। 15 नबूजरदान ने सभी कढ़ाहियों और प्यालों को ले लिया। उसने जो सोने के बने थे उन्हें सोने के लिये और चाँदी के बने थे उन्हें चाँदी के लिये लिया। 16-17 जो चीज़ें उसने लीं उनकी सूची यह है: दो काँसे के स्तम्भ, एक हौज और वह गाड़ी जिसे सुलैमान ने यहोवा के मन्दिर के लिये बनाया था। इन चीज़ों में लगा काँसा इतना भारी था कि उसे तोला नहीं जा सकता था। (हर एक स्तम्भ लगभग सत्ताईस फुट ऊँचा था। स्तम्भों के शीर्ष काँसे के बने थे। हर एक शीर्ष साढ़े चार फुट ऊँचा था। हर एक शीर्ष पर जाल और अनार का नमूना बना था। इसका सब कुछ काँसे का बना था। दोनों स्तम्भों पर एक ही प्रकार की आकृतियाँ थीं।)
बन्दी बनाए गए यहूदा के लोग
18 तब नबूजरदान ने मन्दिर से महायाजक सरायाह, द्वितीय याजक सपन्याह और तीन द्वार रक्षकों को लिया।
19 नगर में नबूजरदान ने एक अधिकारी को लिया। वह सेना का सेनापति था। नबूजरदान ने राजा के पाँच सलाहकारों को भी लिया जो नगर में पाए गए और उसने सेनापति के सचिव को लिया। सेनापति का सचिव वह व्यक्ति था जो साधारण लोगों की गणना करता था और उनमें से कुछ को सैनिक के रूप में चुनता था। नबूजरदान ने साठ अन्य लोगों को भी लिया जो नगर में पाए गए।
20-21 तब नबूजरदान इन सभी लोगों को रिबला में बाबेल के राजा के पास ले गया। बाबेल के राजा ने हमात देश के रिबला में इन्हें मार डाला। इस प्रकार यहूदा के लोगों को कैदी बनाकर उन्हें, उनके देश से निर्वासित किया गया।
20 किन्तु अब वास्तविकता यह है कि मसीह को मरे हुओं में से जिलाया गया है। वह मरे हुओं की फ़सह का पहला फल है। 21 क्योंकि जब एक मनुष्य के द्वारा मृत्यु आयी तो एक मनुष्य के द्वारा ही मृत्यु से पुनर्जीवित हो उठना भी आया। 22 क्योंकि ठीक वैसे ही जैसे आदम के कर्मों के कारण हर किसी के लिए मृत्यु आयी, वैसे ही मसीह के द्वारा सब को फिर से जिला उठाया जायेगा 23 किन्तु हर एक को उसके अपने कर्म के अनुसार सबसे पहले मसीह को, जो फसल का पहला फल है और फिर उसके पुनः आगमन पर उनको, जो मसीह के हैं। 24 इसके बाद जब मसीह सभी शासकों, अधिकारियों, हर प्रकार की शक्तियों का अंत करके राज्य को परम पिता परमेश्वर के हाथों सौंप देगा, तब प्रलय हो जायेगी। 25 किन्तु जब तक परमेश्वर मसीह के शत्रुओं को उसके पैरों तले न कर दे तब तक उसका राज्य करते रहना आवश्यक है। 26 सबसे अंतिम शत्रु के रूप में मृत्यु का नाश किया जायेगा। 27 क्योंकि “परमेश्वर ने हर किसी को मसीह के चरणों के अधीन रखा है।”(A) अब देखो जब शास्त्र कहता है, “सब कुछ” को उसके अधीन कर दिया गया है। तो जिसने “सब कुछ” को उसके चरणों के अधीन किया है, वह स्वयं इससे अलग रहा है। 28 और जब सब कुछ मसीह के अधीन कर दिया गया है, तो यहाँ तक कि स्वयं पुत्र को भी उस परमेश्वर के अधीन कर दिया जायेगा जिसने सब कुछ को मसीह के अधीन कर दिया ताकि हर किसी पर पूरी तरह परमेश्वर का शासन हो।
29 नहीं तो जिन्होंने अपने प्राण दे दिये हैं, उनके कारण जिन्होंने बपतिस्मा लिया है, वे क्या करेंगे। यदि मरे हुए कभी पुनर्जीवित होते ही नहीं तो लोगों को उनके लिये बपतिस्मा दिया ही क्यों जाता है?
30 और हम भी हर घड़ी संकट क्यों झेलते रहते है? 31 भाइयो। तुम्हारे लिए मेरा वह गर्व जिसे मैं हमारे प्रभु यीशु मसीह में स्थित होने के नाते रखता हूँ, उसे साक्षी करके शपथ पूर्वक कहता हूँ कि मैं हर दिन मरता हूँ। 32 यदि मैं इफ्रिसुस में जंगली पशुओं के साथ मानवीय स्तर पर ही लड़ा था तो उससे मुझे क्या मिला। यदि मरे हुए जिलाये नहीं जाते, “तो आओ, खायें, पीएँ (मौज मनायें) क्योंकि कल तो मर ही जाना है।”(B)
33 भटकना बंद करो: “बुरी संगति से अच्छी आदतें नष्ट हो जाती हैं।” 34 होश में आओ, अच्छा जीवन अपनाओ, जैसा कि तुम्हें होना चाहिये। पाप करना बंद करो। क्योंकि तुममें से कुछ तो ऐसे हैं जो परमेश्वर के बारे में कुछ भी नहीं जानते। मैं यह इसलिए कह रहा हूँ कि तुम्हें लज्जा आए।
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