Revised Common Lectionary (Complementary)
1 हे यहोवा, मुझको तेरा भरोसा है,
इसलिए मैं कभी निराश नहीं होऊँगा।
2 अपनी नेकी से तू मुझको बचायेगा। तू मुझको छुड़ा लेगा।
मेरी सुन। मेरा उद्धार कर।
3 तू मेरा गढ़ बन।
सुरक्षा के लिए ऐसा गढ़ जिसमें मैं दौड़ जाऊँ।
मेरी सुरक्षा के लिए तू आदेश दे, क्योंकि तू ही तो मेरी चट्टान है; मेरा शरणस्थल है।
4 मेरे परमेश्वर, तू मुझको दुष्ट जनों से बचा ले।
तू मुझको क्रूरों कुटिल जनों से छुड़ा ले।
5 मेरे स्वामी, तू मेरी आशा है।
मैं अपने बचपन से ही तेरे भरोसे हूँ।
6 जब मैं अपनी माता के गर्भ में था, तभी से तेरे भरोसे था।
जिस दिन से मैंने जन्म धारण किया, मैं तेरे भरोसे हूँ।
मैं तेरी प्रर्थना सदा करता हूँ।
यहूदा का राजा सिदकिय्याह
11 सिदकिय्याह जब यहूदा का राजा बना, इककीस वर्ष का था। वह यरूशलेम में ग्यारह वर्ष तक राजा रहा। 12 सिदकिय्याह ने वह नहीं किया जिसे उसका यहोवा परमेश्वर चाहता था कि वह करे। सिदकिय्याह ने अपने यहोवा के विरुद्ध पाप किये। यिर्मयाह नबी ने यहोवा की ओर से सन्देश दिये किन्तु उसने अपने को विनम्र नहीं बनाया औऱ यिर्मयाह नबी ने जो कहा उसका पालन नहीं किया।
यरूशलेम ध्वस्त हुआ
13 सिदकिय्याह ने नबूकदनेस्सर के विरुद्ध विद्रोह किया। कुछ समय पहले नबूकदनेस्सर ने सिदकिय्याह से प्रतिज्ञा कराई थी कि वह नबूकदनेस्सर का विश्वासपात्र रहेगा। सिदकिय्याह ने परमेश्वर का नाम लिया और नबूकदनेस्सर के प्रति विश्वासपात्र बने रहने की प्रतिज्ञा की। किन्तु सिदकिय्याह बहुत अड़ियल था और उसने अपना जीवन बदलने, इस्राएल के यहोवा परमेश्वर के पास लौटने तथा उसकी आज्ञा मानने से इन्कार कर दिया। 14 याजकों के सभी प्रमुखों और यहूदा के लोगों के प्रमुखों ने अधिक पाप किये औऱ यहोवा के बहुत अधिक अविश्वासनीय हो गए। उन्होंने अन्य राष्ट्रों के बुरे उदाहरणों की नकल की। उन प्रमुखों ने यहोवा के मन्दिर को ध्वस्त कर दिया। यहोवा ने मन्दिर को यरूशलेम में पवित्र बनाया था। 15 उनके पूर्वजों के यहोवा परमेश्वर ने अपने लोगों को चेतावनी देने के लिये बार बार सन्देशवाहक को भेजा। यहोवा ने यह इसलिये किया कि उसे उन पर करुणा थी और मन्दिर के लिये दु:ख था। यहोवा उनको या अपने मन्दिर को नष्ट नहीं करना चाहता था। 16 किन्तु परमेश्वर के लोगों ने परमेश्वर के संदेशवाहकों (नबियों) का मजाक उड़ाया। उन्होंने परमेश्वर के संदेशवाहकों (नबियों) की अनसुनी कर दी। उन्होंने परमेश्वर के संदेश से घृणा की। अन्त में परमेश्वर और अधिक अपना क्रोध न रोक सका। परमेश्वर अपने लोगों पर क्रोधित हुआ और उसे रोकने के लिये कुछ भी नहीं था जिसे किया जा सके। 17 इसलिये परमेश्वर बाबेल के राजा को यहूदा के लोगों पर आक्रमण करने के लिये लाया। बाबेल के राजा ने युवकों को मन्दिर में होने पर भी मार डाला। उसने यहूदा और यरूशलेम के लोगों पर दया नहीं की। बाबेल के राजा ने युवा और वृद्ध सभी लोगों को मारा। परमेश्वर ने नबूकदनेस्सर को यहूदा और यरूशलेम के लोगों को दण्ड देने दिया। 18 नबूकदनेस्सर परमेश्वर के मन्दिर की सभी चीज़ें बाबेल ले गया। उसने परमेश्वर के मन्दिर, राजा तथा राजा के अधिकारियों की सभी कीमती चीज़ें ले लीं। 19 नबूकदनेस्सर और उसकी सेना ने मन्दिर को आग लगा दी। उन्होंने यरूशलेम की चहारदीवारी गिरा दी और राजा तथा उसके अधिकारियों के सभी घरों को जला दिया। उन्होंने यरूशलेम से हर एक कीमती चीज़ ली या उसे नष्ट कर दिया। 20 नबूकदनेस्सर इसके बाद भी जीवित बचे लोगों को, बाबुल ले गया और उन्हें दास होने को विवश किया। वे लोग बाबेल में दास की तरह तब तक रहे जब तक फारस के सम्राट ने बाबेल के राज्य को पराजित नहीं किया। 21 इस प्रकार यहोवा ने, इस्राएल के लोगों को जो कुछ यिर्मयाह नबी से कहलवाया, वह सब ठीक घटित हुआ। यहोवा ने यिर्मयाह द्वारा कहा था: “यह स्थान सत्तर वर्ष तक सूना उजाड़ देश रहेगा।[a] यह सब्त विश्राम[b] की क्षतिपूर्ति के रूप में होगा जिसे लोग नहीं करते।”
43 अगले दिन यीशु ने गलील जाने का निश्चय किया। फिर फिलिप्पुस को पाकर यीशु ने उससे कहा, “मेरे पीछे चला आ।” 44 फिलिप्पुस अन्द्रियास और पतरस के नगर बैतसैदा से था। 45 फिलिप्पुस को नतनएल मिला और उसने उससे कहा, “हमें वह मिल गया है जिसके बारे में मूसा ने व्यवस्था के विधान में और भविष्यवक्ताओं ने लिखा है। वह है यूसुफ का बेटा, नासरत का यीशु।”
46 फिर नतनएल ने उससे पूछा, “नासरत से भी कोई अच्छी वस्तु पैदा हो सकती है?”
फिलिप्पुस ने जवाब दिया, “जाओ और देखो।”
47 यीशु ने नतनएल को अपनी तरफ आते हुए देखा और उसके बारे में कहा, “यह है एक सच्चा इस्राएली जिसमें कोई खोट नहीं है।”
48 नतनएल ने पूछा, “तू मुझे कैसे जानता है?”
जवाब में यीशु ने कहा, “उससे पहले कि फिलिप्पुस ने तुझे बुलाया था, मैनें देखा था कि तू अंजीर के पेड़ के नीचे था।”
49 नतनएल ने उत्तर में कहा, “हे रब्बी, तू परमेश्वर का पुत्र है, तू इस्राएल का राजा है।”
50 इसके जवाब में यीशु ने कहा, “तुम इसलिये विश्वास कर रहे हो कि मैंने तुमसे यह कहा कि मैंने तुम्हें अंजीर के पेड़ के नीचे देखा। तुम आगे इससे भी बड़ी बातें देखोगे।” 51 इसने उससे फिर कहा, “मैं तुम्हें सत्य बता रहा हूँ तुम स्वर्ग को खुलते और स्वर्गदूतों को मनुष्य के पुत्र पर उतरते-चढ़ते देखोगे।”
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