Revised Common Lectionary (Complementary)
5 हे यहोवा, तेरा सच्चा प्रेम आकाश से भी ऊँचा है।
हे यहोवा, तेरी सच्चाई मेघों से भी ऊँची है।
6 हे यहोवा, तेरी धार्मिकता सर्वोच्च पर्वत से भी ऊँची है।
तेरी शोभा गहरे सागर से गहरी है।
हे यहोवा, तू मनुष्यों और पशुओ का रक्षक है।
7 तेरी करुणा से अधिक मूल्यवान कुछ भी नहीं हैं।
मनुष्य और दूत तेरे शरणागत हैं।
8 हे यहोवा, तेरे मन्दिर की उत्तम बातों से वे नयी शक्ति पाते हैं।
तू उन्हें अपने अद्भुत नदी के जल को पीने देता है।
9 हे यहोवा, तुझसे जीवन का झरना फूटता है!
तेरी ज्योति ही हमें प्रकाश दिखाती है।
10 हे यहोवा, जो तुझे सच्चाई से जानते हैं, उनसे प्रेम करता रह।
उन लोगों पर तू अपनी निज नेकी बरसा जो तेरे प्रति सच्चे हैं।
4 यह सन्देश यहोवा का है।
“इस्राएल, यदि तुम लौट आना चाहो,
तो मेरे पास आओ।
अपनी देव मूर्तियों को फेंको।
मुझसे दूर न भटको।
2 यदि तुम वे काम करोगे तो प्रतिज्ञा करने के लिये मेरे नाम का उपयोग करने योग्य बनोगे, तुम यह कहने योग्य होगे,
‘जैसा कि यहोवा शाश्वत है।’
तुम इन शब्दों का उपयोग सच्चे, ईमानदारी भरे और सही तरीके से करने योग्य बनोगे।
यदि तुम ऐसा करोगे तो राष्ट्र यहोवा द्वारा वरदान पाएगा
और वे यहोवा द्वारा किये गए कामों को गर्व से बखान करेंगे।”
3 यहूदा राष्ट्र के मनुष्यों और यरूशलेम नगर से, यहोवा जो कहता है, वह यह है:
“तुम्हारे खेतों में हर नहीं चले हैं।
खेतों में हल चलाओ।
काँटो में बीज न बोओ।
4 यहोवा के लोग बनो, अपने हृदय को बदलो।
यहूदा के लोगों और यरूशलेम के निवासियों, यदि तुम नहीं बदले, तो मैं बहुत क्रोधित होऊँगा।
मेरा क्रोध आग की तरह फैलेगा और मेरा क्रोध तुम्हें जला देगा
और कोई व्यक्ति उस आग को बुझा नहीं पाएगा।
यह क्यों होगा क्योंकि तुमने बुरे काम किये हैं।”
उत्तर दिशा से विध्वंस
यीशु में परमेश्वर की शक्ति
(मत्ती 12:22-30; मरकुस 3:20-27)
14 फिर जब यीशु एक गूँगा बना डालने वाली दुष्टात्मा को निकाल रहा था तो ऐसा हुआ कि जैसे ही वह दुष्टात्मा बाहर निकली, तो वह गूँगा, बोलने लगा। भीड़ के लोग इससे बहुत चकित हुए। 15 किन्तु उनमें से कुछ ने कहा, “यह दैत्यों के शासक बैल्ज़ाबुल की सहायता से दुष्टात्माओं को निकालता है।”
16 किन्तु औरों ने उसे परखने के लिये किसी स्वर्गीय चिन्ह की माँग की। 17 किन्तु यीशु जान गया कि उनके मनों में क्या है। सो वह उनसे बोला, “वह राज्य जिसमें अपने भीतर ही फूट पड़ जाये, नष्ट हो जाता है और ऐसे ही किसी घर का भी फूट पड़ने पर उसका नाश हो जाता है। 18 यदि शैतान अपने ही विरुद्ध फूट पड़े तो उसका राज्य कैसे टिक सकता है? यह मैंने तुमसे इसलिये पूछा है कि तुम कहते हो कि मैं बैल्ज़ाबुल की सहायता से दुष्टात्माओं को निकालता हूँ। 19 किन्तु यदि मैं बैल्ज़ाबुल की सहायता से दुष्टात्माओं को निकालता हूँ तो तुम्हारे अनुयायी उन्हें किसकी सहायता से निकालते हैं? सो तुझे तेरे अपने लोग ही अनुचित सिद्ध करेंगे। 20 किन्तु यदि मैं दुष्टात्माओं को परमेश्वर की शक्ति से निकालता हूँ तो यह स्पष्ट है कि परमेश्वर का राज्य तुम तक आ पहुँचा है!
21 “जब एक शक्तिशाली मनुष्य पूरी तरह हथियार कसे अपने घर की रक्षा करता है तो उसकी सम्पत्ति सुरक्षित रहती है। 22 किन्तु जब कभी कोई उससे अधिक शक्तिशाली उस पर हमला कर उसे हरा देता है तो वह उसके सभी हथियारों को, जिन पर उसे भरोसा था, उससे छीन लेता है और लूट के माल को वे आपस में बाँट लेते हैं।
23 “जो मेरे साथ नहीं है, मेरे विरोध में है और वह जो मेरे साथ बटोरता नहीं है, बिखेरता है।
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