Revised Common Lectionary (Complementary)
1 यहोवा राजा है।
वह सामर्थ्य और महिमा का वस्त्र पहने है।
वह तैयार है, सो संसार स्थिर है।
वह नहीं टलेगा।
2 हे परमेश्वर, तेरा साम्राज्य अनादि काल से टिका हुआ है।
तू सदा जीवित है।
3 हे यहोवा, नदियों का गर्जन बहुत तीव्र है।
पछाड़ खाती लहरों का शब्द घनघोर है।
4 समुद्र की पछाड़ खाती लहरे गरजती हैं, और वे शक्तिशाली हैं।
किन्तु ऊपर वाला यहोवा अधिक शक्तिशाली है।
5 हे यहोवा, तेरा विधान सदा बना रहेगा।
तेरा पवित्र मन्दिर चिरस्थायी होगा।
सोर अपने को परमेश्वर समझता है
28 यहोवा का वचन मुझे मिला। उसने कहा, 2 “मनुष्य के पुत्र, सोर के राजा से कहो, ‘मेरा स्वामी यहोवा यह कहता है:
“‘तुम बहुत घमण्डी हो!
और तुम कहते हो, “मैं परमेश्वर हूँ!
मैं समुद्रों के मध्य में
देवताओं के आसन पर बैठता हूँ।”
“‘किन्तु तुम व्यक्ति हो, परमेश्वर नहीं!
तुम केवल सोचते हो कि तुम परमेश्वर हो।
3 तुम सोचते हो तुम दानिय्येल से बुद्धिमान हो!
तुम समझते हो कि तुम सारे रहस्यों को जान लोगे!
4 अपनी बुद्धि और अपनी समझ से।
तुमने सम्पत्ति स्वयं कमाई है और तुमने कोषागार में सोना—चाँदी रखा है।
5 अपनी तीव्र बुद्धि और व्यापार से तुमने अपनी सम्पत्ति बढ़ाई है,
और अब तुम उस सम्पत्ति के कारण गर्वीले हो।
6 “‘अत: मेरा स्वामी यहोवा यह कहता है:
सोर, तुमने सोचा तुम परमेश्वर की तरह हो।
7 मैं अजनबियों को तुम्हारे विरुद्ध लड़ने के लिये लाऊँगा।
वे राष्ट्रों में बड़े भयंकर हैं!
वे अपनी तलवारें बाहर खीचेंगे
और उन सुन्दर चीजों के विरुद्ध चलाएंगे जिन्हें तुम्हारी बुद्धि ने कमाया।
वे तुम्हारे गौरव को ध्वस्त करेंगे।
8 वे तुम्हें गिराकर कब्र में पहुँचाएंगे।
तुम उस मल्लाह की तरह होगे जो समुद्र में मरा।
9 वह व्यक्ति तुमको मार डालेगा।
क्या अब भी तुम कहोगे, “मैं परमेश्वर हूँ”?
उस समय वह तुम्हें अपने अधिकार में करेगा।
तुम समझ जाओगे कि तुम मनुष्य हो, परमेश्वर नहीं!
10 अजनबी तुम्हारे साथ विदेशी जैसा व्यवहार करेंगे, और तुमको मार डालेंगे।
ये घटनाएँ होंगी क्योंकि मेरे पास आदेश शक्ति है!’”
मेरे स्वामी यहोवा ने ये बातें कहीं।
स्तिफनुस की हत्या
54 जब उन्होंने यह सुना तो वे क्रोध से आगबबूला हो उठे और उस पर दाँत पीसने लगे। 55 किन्तु पवित्र आत्मा से भावित स्तिफनुस स्वर्ग की ओर देखता रहा। उसने देखा परमेश्वर की महिमा को और परमेश्वर के दाहिने खड़े यीशु को। 56 सो उसने कहा, “देखो। मैं देख रहा हूँ कि स्वर्ग खुला हुआ है और मनुष्य का पुत्र परमेश्वर के दाहिने खड़ा है।”
57 इस पर उन्होंने चिल्लाते हुए अपने कान बन्द कर लिये और फिर वे सभी उस पर एक साथ झपट पड़े। 58 वे उसे घसीटते हुए नगर से बाहर ले गये और उस परपथराव करने लगे। तभी गवाहों ने अपने वस्त्र उतार कर शाउल नाम के एक युवक के चरणों में रख दिये। 59 स्तिफ़नुस पर जब से उन्होंने पत्थर बरसाना प्रारम्भ किया, वह यह कहते हुए प्रार्थना करता रहा, “हे प्रभु यीशु, मेरी आत्मा को स्वीकार कर।” 60 फिर वह घुटनों के बल गिर पड़ा और ऊँचे स्वर में चिल्लाया, “प्रभु, इस पाप कोउनके विरुद्ध मत ले।” इतना कह कर वह चिर निद्रा में सो गया।
8 1-3 इस तरह शाऊल ने स्तिफनुस की हत्या का समर्थन किया।
विश्वासियों पर अत्याचार
उसी दिन से यरूशलेम की कलीसिया पर घोर अत्याचार होने आरम्भ हो गये। प्रेरितों को छोड़ वे सभी लोग यहूदिया और सामरिया के गाँवों में तितर-बितर हो कर फैल गये। कुछ भक्त जनों ने स्तिफनुस को दफना दिया और उसके लिये गहरा शोक मनाया। शाऊल ने कलीसिया को नष्ट करना आरम्भ कर दिया। वह घर-घर जा कर औरत और पुरूषों को घसीटते हुए जेल में डालने लगा।
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