Revised Common Lectionary (Complementary)
संगीत निर्देशक के लिये दाऊद का एक पद।
1 हे यहोवा, तू कब तक मुझ को भूला रहेगा?
क्या तू मुझे सदा सदा के लिये बिसरा देगा कब तक तू मुझको नहीं स्वीकारेगा?
2 तू मुझे भूल गया यह कब तक मैं सोचूँ?
अपने ह्रदय में कब तक यह दु:ख भोगूँ?
कब तक मेरे शत्रु मुझे जीतते रहेंगे?
3 हे यहोवा, मेरे परमेश्वर, मेरी सुधि ले! और तू मेरे प्रश्न का उत्तर दे!
मुझको उत्तर दे नहीं तो मैं मर जाऊँगा!
4 कदाचित् तब मेरे शत्रु यों कहने लगें, “मैंने उसे पीट दिया!”
मेरे शत्रु प्रसन्न होंगे कि मेरा अंत हो गया है।
5 हे यहोवा, मैंने तेरी करुणा पर सहायता पाने के लिये भरोसा रखा।
तूने मुझे बचा लिया और मुझको सुखी किया!
6 मैं यहोवा के लिये प्रसन्नता के गीत गाता हूँ,
क्योंकि उसने मेरे लिये बहुत सी अच्छी बातें की हैं।
भेड़े और बकरे के बारे में दानिय्येल का दर्शन
8 बेलशस्सर के शासन काल के तीसरे साल मैंने यह दर्शन देखा। यह उस दर्शन के बाद का दर्शन है। 2 मैंने देखा कि मैं शूशन नगर में हूँ। शूशन एलाम प्रांत की राजधानी थी। मैं ऊलै नदी के किनारे पर खड़ा था। 3 मैंने आँखें ऊपर उठाई तो देखा कि ऊलै नदी के किनारे पर एक मेढ़ा खड़ा है। उस मेढ़े के दो लम्बे लम्बे सींग थे। यद्यपि उसके दोनों ही सींग लम्बे थे। पर एक सींग दूसरे से बड़ा था। लम्बा वाला सींग छोटे वाले सींग के बाद में उगा था। 4 मैंने देखा कि वह मेढ़ा इधर उधर सींग मारता फिरता है। मैंने देखा की वह मेंढ़ कभी पश्चिम की ओर दौड़ता है तो कभी उत्तर की ओर, और कभी दक्षिण की ओर उस मेढ़े को कोई भी पशु रोक नहीं पा रहा है और न ही कोई दूसरे पशुओं को बचा पा रहा है। वह मेढ़ा वह सब कुछ कर सकता है, जो कुछ वह करना चाहता है। इस तरह से वह मढ़ा बहुत शक्तिशाली हो गया।
5 मैं उस मेढ़े के बारे में सोचने लगा। मैं अभी सोच ही रहा था कि पश्चिम की ओर से मैंने एक बकरे को आते देखा। यह बकरा सारी धरती पर दौड़ गया। किन्तु उस बकरे के पैर धरती से छुए तक नहीं। इस बकरे के एक लम्बा सींग था। जो साफ—साफ दिख रहा था, वह सींग बकरे की होनो आँखों के बीचों—बीच था।
6 फिर वह बकरा दो सींग वाले मेढ़े के पास आया। (यह वही मेढ़ा था जिसे मैंने ऊलै नदी के किनारे खड़ा देखा था।) वह बकरा क्रोध से भरा हुआ था। सो वह मेढ़े की तरफ लपका। 7 बकरे को उस मेढ़े की तरफ भागते हुए मैंने देखा। वह बकरा गुस्से में आग बबूला हो रहा था। सो उसने मढ़े के दोनों सींग तोड़ डाले। मेढ़ा बकरे को रोक नही पाया। बकरे ने मेढ़े को धरती पर पछाड़ दिया और फिर उस बकरे ने उस मेढ़े को पैरों तले कुचल दिया। वहाँ उस मेढ़े को बकरे से बचाने वाला कोई नहीं था।
8 सो वह बकरा शक्तिशाली बन बैठा। किन्तु जब वह शक्तिशाली बना, उसका बड़ा सींग टूट गया और फिर उस बड़े सींग की जगह चार सींग और निकल आये। वे चारों सींग आसानी से दिखाई पड़ते थे। वे चार सीग अलग—अलग चारों दिशाओं की ओर मुड़े हुए थे।
9 फिर उन चार सींगों में से एक सींग में एक छोटा सींग और निकल आया। वह छोटा सींग बढ़ने लगा और बढ़ते—बढ़ते बहुत बड़ा हो गया। यह सींग दक्षिण—पूर्व की ओर बढ़ा। यह सींग सुन्दर धरती की ओर बढ़ा। 10 वह छोटा सींग बढ़ कर बहुत बड़ा हो गया। उसने बढ़ते बढ़ते आकाश छू लिया। उस छोटे सींग ने, यहाँ तक कि कुछ तारों को भी धरती पर पटक दिया और उन सभी तारों को पैरों तले मसल दिया। 11 वह छोटा सींग बहुत मज़बूत हो गया और फिर वह तारों के शासक (परमेश्वर) के विरूद्ध हो गया। उस छोटे सींग ने उस शासक (परमेश्वर) को अर्पित की जाने वाली दैनिक बलियों को रोक दिया। वह स्थान जहाँ लोग उस शासक (परमेश्वर) की उपासना किया करते थे, उसने उसे उजाड़ दिया 12 और उनकी सेना को भी हरा दिया और एक विद्रोही कार्य के रूप में वह छोटा सींग दैनिक बलियों के ऊपर अपने आपको स्थापित कर दिया। उसने सत्य को धरती पर दे पटक दिया। उस छोटो सींग ने जो कुछ किया उस सब में सफल हो गया।
13 फिर मैंने किसी पवित्र जन को बोलते सुना और उसके बाद मैंने सुना कि कोई दूसरा पवित्र जन उस पहले पवित्र जन को उत्तर दे रहा है। पहले पवित्र जन ने कहा, “यह दर्शन दर्शाता है कि दैनिक बलियों का क्या होगा यह उस भयानक पाप के विषय में है जो विनाश कर डालता है। यह दर्शाता है कि जब लोग उस शासक के पूजास्थल को तोड़ डालेंगे तब क्या होगा यह दर्शन दर्शाता है कि जब लोग उस समूचे स्थान को पैर तले रौंदेंगे तब क्या होगा। यह दर्शन दर्शाता है कि जब लोग तारों के ऊपर पैर धरेंगे तब क्या होगा किन्तु यह बातें कब तक होती रहेंगी”
14 दूसरे पवित्र जन ने कहा, “दो हजार तीन सौ दिन तक ऐसा ही होता रहेगा और फिर उसके बाद पवित्र स्थान को फिर से स्थापित कर दिया जायेगा।”
मसीह से मुँह मत फेरो
26 सत्य का ज्ञान पा लेने के बाद भी यदि हम जानबूझ कर पाप करते ही रहते हैं फिर तो पापों के लिए कोई बलिदान बचा ही नहीं रहता। 27 बल्कि फिर तो न्याय की भयानक प्रतीक्षा और भीषण अग्नि ही शेष रह जाती है जो परमेश्वर के विरोधियों को चट कर जाएगी। 28 जो कोई मूसा की व्यवस्था के विधान का पालन करने से मना करता है, उसे बिना दया दिखाए दो या तीन साक्षियों की साक्षी पर मार डाला जाता है। 29 सोचो, वह मनुष्य कितने अधिक कड़े दण्ड का पात्र है, जिसने अपने पैरों तले परमेश्वर के पुत्र को कुचला, जिसने वाचा के उस लहू को, जिसने उसेपवित्र किया था, एक अपवित्र वस्तु माना और जिसने अनुग्रह की आत्मा का अपमान किया। 30 क्योंकि हम उसे जानते हैं जिसने कहा था: “बदला लेना काम है मेरा, मैं ही बदला लूँगा।”(A) और फिर, “प्रभु अपने लोगों का न्याय करेगा।”(B) 31 किसी पापी का सजीव परमेश्वर के हाथों में पड़ जाना एक भयानक बात है।
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