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Revised Common Lectionary (Complementary)

Daily Bible readings that follow the church liturgical year, with thematically matched Old and New Testament readings.
Duration: 1245 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
भजन संहिता 37:23-40

23 यहोवा, सैनिक की सावधानी से चलने में सहायता करता है।
    और वह उसको पतन से बचाता है।
24 सैनिक यदि दौड़ कर शत्रु पर प्रहार करें,
    तो उसके हाथ को यहोवा सहारा देता है, और उसको गिरने से बचाता है।
25 मैं युवक हुआ करता था पर अब मैं बूढा हूँ।
    मैंने कभी यहोवा को सज्जनों को असहाय छोड़ते नहीं देखा।
    मैंने कभी सज्जनों की संतानों को भीख माँगते नहीं देखा।
26 सज्जन सदा मुक्त भाव से दान देता है।
    सज्जनों के बालक वरदान हुआ करते हैं।
27 यदि तू कुकर्मो से अपना मुख मोड़े, और यदि तू अच्छे कामों को करता रहे,
    तो फिर तू सदा सर्वदा जीवित रहेगा।
28 यहोवा खरेपन से प्रेम करता है,
    वह अपने निज भक्त को असहाय नहीं छोड़ता।
यहोवा अपने निज भक्तों की सदा रक्षा करता है,
    और वह दुष्ट जन को नष्ट कर देता है।
29 सज्जन उस धरती को पायेंगे जिसे देने का परमेश्वर ने वचन दिया है,
    वे उस में सदा सर्वदा निवास करेंगे।
30 भला मनुष्य तो खरी सलाह देता है।
    उसका न्याय सबके लिये निष्पक्ष होता है।
31 सज्जन के हृदय (मन) में यहोवा के उपदेश बसे हैं।
    वह सीधे मार्ग पर चलना नहीं छोड़ता।

32 किन्तु दुर्जन सज्जन को दु:ख पहुँचाने का रास्ता ढूँढता रहता है, और दुर्जन सज्जन को मारने का यत्न करते हैं।
33 किन्तु यहोवा दुर्जनों को मुक्त नहीं छोड़ेगा।
    वह सज्जन को अपराधी नहीं ठहरने देगा।
34 यहोवा की सहायता की बाट जोहते रहो।
    यहोवा का अनुसरण करते रहो। दुर्जन नष्ट होंगे। यहोवा तुझको महत्वपूर्ण बनायेगा।
    तू वह धरती पाएगा जिसे देने का यहोवा ने वचन दिया है।

35 मैंने दुष्ट को बलशाली देखा है।
    मैंने उसे मजबूत और स्वस्थ वृक्ष की तरह शक्तिशाली देखा।
36 किन्तु वे फिर मिट गए।
    मेरे ढूँढने पर उनका पता तक नहीं मिला।
37 सच्चे और खरे बनो,
    क्योंकि इसी से शांति मिलती है।
38 जो लोग व्यवस्था नियम तोड़ते हैं
    नष्ट किये जायेंगे।
39 यहोवा नेक मनुष्यों की रक्षा करता है।
    सज्जनों पर जब विपत्ति पड़ती है तब यहोवा उनकी शक्ति बन जाता है।
40 यहोवा नेक जनों को सहारा देता है, और उनकी रक्षा करता है।
    सज्जन यहोवा की शरण में आते हैं और यहोवा उनको दुर्जनों से बचा लेता है।

1 शमूएल 12

शमूएल का इस्राएलियों से बात करना

12 शमूएल ने सारे इस्राएलियों से कहा: “मैंने वह सब कुछ कर दिया है जो तुम लोग मुझ से चाहते थे। मैंने तुम लोगों के ऊपर एक राजा रखा है। अब तुम्हारे मार्गदर्शन के लिये एक राजा है। मैं श्वेतकेशी बूढ़ा हूँ। मेरे पुत्र तुम्हारे साथ हैं। जब मैं एक छोटा बालक था तब से मैं तुम्हारा मार्ग दर्शक रहा हूँ। मैं यहाँ हूँ। यदि मैंने कोई बुरा काम किया है तो तुम्हें उसके बारे में यहोवा से और उनके चुने हुए राजा से कहना चाहिये। क्या मैंने कभी किसी का बैल या गधा चुराया है? क्या मैंने किसी को कभी धोखा दिया है या हानि पहुँचाई है? क्या मैंने किसी का कुछ बुरा करने के लिये कभी किसी से धन या एक जोड़ा जूता भी लिया है? यदि मैंने इनमें से कोई बुरा काम किया है तो में उसको ठीक करूँगा।”

इस्राएलियों ने उत्तर दिया, “नहीं! तुमने हम लोगों के लिये कभी बुरा नहीं किया। तुमने न हम लोगों को ठगा, न ही तुमने हम लोगों से कभी कुछ लिया।”

शमूएल ने इस्राएलियों से कहा, “जो तुमने कहा, यहोवा उसका गवाह है। यहोवा का चुना राजा भी आज गवाह है। वे दोनों गवाह हैं कि तुमने मुझमें कोई दोष नहीं पाया।” लोगों ने कहा, “हाँ! यहोवा गवाह है।”

तब समूएल ने लोगों से कहा, “यहोवा गवाह है। उसने मूसा और हारून को चुना। वह तुम्हारे पूर्वजों को मिस्र से बाहर ले आया। अब चुपचाप खड़े रहो अब मैं तुम्हें उन अच्छे कामों को बताऊँगा जो यहोवा ने तुम्हारे पूर्वजों और तुम्हारे लिये किये थे।

“याकूब मिस्र गया। बाद में, मिस्रियों ने उसके वंशजों का जीवन कष्टमय बना दिया। इसलिए वे सहायता के लिये यहोवा के सामने रोये। यहोवा ने मूसा और हारून को भेजा। मूसा और हारून तुम्हारे पूर्वजों को मिस्र से बाहर निकाल ले आए और इस स्थान में रहने के लिये उनका मार्ग दर्शन किया।

“किन्तु तुम्हारे पूर्वज, अपने परमेश्वर यहोवा को भूल गये। इसलिए यहोवा ने उन्हें सीसरा का दास होने दिया। सीसरा, हासोर की सेना का सेनापति था। तब यहोवा ने उन्हें पलिश्तियों और मोआब के राजा का दास बनाया। वे सभी तुम्हारे पूर्वजों के विरूद्ध लड़े। 10 किन्तु तुम्हारे पूर्वज सहायता के लिये यहोवा के सामने गिड़गिड़ाए। उन्होंने कहा, ‘हम लोगों ने पाप किया है। हम लोगों ने यहोवा को छोड़ा है और झूठे देवताओं बाल और अश्तोरेत की सेवा की है। किन्तु अब आप हमें हमारे शत्रुओं से बचायें, हम आपकी सेवा करेंगे।’

11 “इसलिए यहोवा ने यरुब्बाल (गिदोन), बदान, बरक, यिप्तह और शमूएल को वहाँ भेजा। यहोवा ने तुम्हारे चारों ओर के शत्रुओं से तुम्हारी रक्षा की और तुम सुरक्षित रहे। 12 किन्तु तब तुमने अम्मोनियों के राजा नाहाश को अपने विरूद्ध लड़ने के लिये आते देखा। तुमने कहा, ‘नहीं! हम अपने ऊपर शासन करने के लिये एक राजा चाहते हैं।’ तुमने यही कहा, यद्यपि तुम्हारा परमेश्वर यहोवा राजा पहले से ही था। 13 अब, तुम्हारा चुना राजा यहाँ है। यहोवा ने इस राजा को तुम्हारे ऊपर नियुक्त किया है। 14 परमेश्वर यहोवा तुम्हारी रक्षा करता रहेगा। किन्तु परमेश्वर तुम्हारी रक्षा तभी करेगा जब तुम ये करोगे तुम्हें यहोवा का सम्मान और उसकी सेवा करनी चाहिए। तुम्हें उसके आदेशों के विरूद्ध लडना नहीं चाहिए और तुम्हें तथा तुम्हारे ऊपर शासन करने वाले राजा को, अपने परमेश्वर यहोवा का अनुसरण करना चाहिये। यदि तुम इन्हें करते रहोगे तो परमेश्वर तुम्हारी रक्षा करेगा। 15 किन्तु यदि तुम यहोवा की आज्ञा पालन नहीं करते हो और उसके आदेशों के विरूद्ध लड़ते हो, तो वह तुम्हारे विरुद्ध होगा। यहोवा तुम्हें और तुम्हारे राजा को नष्ट कर देगा!

16 “अब चुपचाप खड़े रहो और उस अद्भुत काम को देखो जिसे यहोवा तुम्हारी आँखों के सामने करेगा। 17 यह गेहूँ की फसल कटने का समय है। मैं यहोवा से प्रार्थना करूँगा। मैं उन से बिजली की कड़क और वर्षा की याचना करुँगा। तब तुम समझोगे कि तुमने उस समय यहोवा के विरूद्ध बुरा किया था जब तुमने एक राजा की माँग की थी।”

18 अत: शमूएल ने यहोवा से प्रार्थना की। उसी दिन यहोवा ने बिजली की कड़क और वर्षा भेजी। इससे लोग यहोवा तथा शमूएल से बहुत डर गये। 19 सभी लोगों ने शमूएल से कहा, “अपने परमेश्वर यहोवा से तुम अपने सेवक, हम लोगों के लिये प्रार्थना करो। हम लोगों को मरने मत दो! हम लोगों ने बहुत पाप किये हैं और अब एक राजा के लिए माँग करके हम लोगों ने उन पापों को और बढ़ाया है।”

20 शमूएल ने उत्तर दिया, “डरो नहीं। यह सत्य है! तुमने वे सब बुरे काम किये। किन्तु यहोवा का अनुसरण करना बन्द मत करो। अपने सच्चे हृदय से यहोवा की सेवा करो। 21 देवमूर्तियाँ मात्र मूर्तियाँ हैं, वे तुम्हारी सहायता नहीं करेंगी। इसलिए उनकी पूजा मत करो। देवमूर्तियाँ न तुम्हारी सहयता कर सकती हैं, न ही रक्षा कर सकती हैं। वे कुछ भी नहीं हैं!

22 “किन्तु यहोवा अपने लोगों को छोड़ेगा नहीं। यहोवा तुम्हें अपने लोग बनाकर प्रसन्न हुआ था। अतः अपने अच्छे नाम की रक्षा के लिये वह तुमको छोड़ेगा नहीं। 23 यदि मैं तुम्हारे लिए प्रार्थना करना बन्द कर देता हूँ तो यह मेरे लिए अपमानजनक होगा। यदि मैं तुम्हारे लिये प्रार्थना करना बन्द करता हूँ तो यह यहोवा के विरुद्ध पाप करना होगा। मैं तुम्हें वह शिक्षा दूँगा जो तुम्हारे लिये अच्छी व उचित है। 24 किन्तु तुम्हें भी यहोवा का सम्मान करते रहना चाहिये। तुम्हें पूरे हृदय से यहोवा की सेवा सच्चाई के साथ करनी चाहिये। उन अद्भुत कामों को याद रखो जिन्हें उसने तुम्हारे लिये किये। 25 किन्तु यदि तुम हठी हो, और बुरा करते हो तो परमेश्वर तुम्हें और तुम्हारे राजा को ऐसे झाड़ फेकेंगा जैसे झाड़ू से कूड़े को फेंका जाता है।”

यूहन्ना 13:1-17

यीशु का अपने शिष्यों के पैर धोना

13 फ़सह पर्व से पहले यीशु ने देखा कि इस जगत को छोड़ने और परम पिता के पास जाने का उसका समय आ पहुँचा है तो इस जगत में जो उसके अपने थे और जिन्हें वह प्रेम करता था, उन पर उसने चरम सीमा का प्रेम दिखाया।

शाम का खाना चल रहा था। शैतान अब तक शमौन इस्करियोती के पुत्र यहूदा के मन में यह डाल चुका था कि वह यीशु को धोखे से पकड़वाएगा। यीशु यह जानता था कि परम पिता ने सब कुछ उसके हाथों सौंप दिया है और वह परमेश्वर से आया है, और परमेश्वर के पास ही वापस जा रहा है। इसलिये वह खाना छोड़ कर खड़ा हो गया। उसने अपने बाहरी वस्त्र उतार दिये और एक अँगोछा अपने चारों ओर लपेट लिया। फिर एक घड़े में जल भरा और अपने शिष्यों के पैर धोने लगा और उस अँगोछे से जो उसने लपेटा हुआ था, उनके पाँव पोंछने लगा।

फिर जब वह शमौन पतरस के पास पहुँचा तो पतरस ने उससे कहा, “प्रभु, क्या तू मेरे पाँव धो रहा है।”

उत्तर में यीशु ने उससे कहा, “अभी तू नहीं जानता कि मैं क्या कर रहा हूँ पर बाद में जान जायेगा।”

पतरस ने उससे कहा, “तू मेरे पाँव कभी भी नहीं धोयेगा।”

यीशु ने उत्तर दिया, “यदि मैं न धोऊँ तो तू मेरे पास स्थान नहीं पा सकेगा।”

शमौन पतरस ने उससे कहा, “प्रभु, केवल मेरे पैर ही नहीं, बल्कि मेरे हाथ और मेरा सिर भी धो दे।”

10 यीशु ने उससे कहा, “जो नहा चुका है उसे अपने पैरों के सिवा कुछ भी और धोने की आवश्यकता नहीं है। बल्कि पूरी तरह शुद्ध होता है। तुम लोग शुद्ध हो पर सबके सब नहीं।” 11 वह उसे जानता था जो उसे धोखे से पकड़वाने वाला है। इसलिए उसने कहा था, “तुम में से सभी शुद्ध नहीं हैं।”

12 जब वह उनके पाँव धो चुका तो उसने अपने बाहरी वस्त्र फिर पहन लिये और वापस अपने स्थान पर आकर बैठ गया। और उनसे बोला, “क्या तुम जानते हो कि मैंने तुम्हारे लिये क्या किया है? 13 तुम लोग मुझे ‘गुरु’ और ‘प्रभु’ कहते हो। और तुम उचित हो। क्योंकि मैं वही हूँ। 14 इसलिये यदि मैंने प्रभु और गुरु होकर भी जब तुम्हारे पैर धोये हैं तो तुम्हें भी एक दूसरे के पैर धोना चाहिये। मैंने तुम्हारे सामने एक उदाहरण रखा है 15 ताकि तुम दूसरों के साथ वही कर सको जो मैंने तुम्हारे साथ किया है। 16 मैं तुम्हें सत्य कहता हूँ एक दास स्वामी से बड़ा नहीं है और न ही एक संदेशवाहक उससे बड़ा है जो उसे भेजता है। 17 यदि तुम लोग इन बातों को जानते हो और उन पर चलते हो तो तुम सुखी होगे।

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

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