Revised Common Lectionary (Complementary)
23 यहोवा, सैनिक की सावधानी से चलने में सहायता करता है।
और वह उसको पतन से बचाता है।
24 सैनिक यदि दौड़ कर शत्रु पर प्रहार करें,
तो उसके हाथ को यहोवा सहारा देता है, और उसको गिरने से बचाता है।
25 मैं युवक हुआ करता था पर अब मैं बूढा हूँ।
मैंने कभी यहोवा को सज्जनों को असहाय छोड़ते नहीं देखा।
मैंने कभी सज्जनों की संतानों को भीख माँगते नहीं देखा।
26 सज्जन सदा मुक्त भाव से दान देता है।
सज्जनों के बालक वरदान हुआ करते हैं।
27 यदि तू कुकर्मो से अपना मुख मोड़े, और यदि तू अच्छे कामों को करता रहे,
तो फिर तू सदा सर्वदा जीवित रहेगा।
28 यहोवा खरेपन से प्रेम करता है,
वह अपने निज भक्त को असहाय नहीं छोड़ता।
यहोवा अपने निज भक्तों की सदा रक्षा करता है,
और वह दुष्ट जन को नष्ट कर देता है।
29 सज्जन उस धरती को पायेंगे जिसे देने का परमेश्वर ने वचन दिया है,
वे उस में सदा सर्वदा निवास करेंगे।
30 भला मनुष्य तो खरी सलाह देता है।
उसका न्याय सबके लिये निष्पक्ष होता है।
31 सज्जन के हृदय (मन) में यहोवा के उपदेश बसे हैं।
वह सीधे मार्ग पर चलना नहीं छोड़ता।
32 किन्तु दुर्जन सज्जन को दु:ख पहुँचाने का रास्ता ढूँढता रहता है, और दुर्जन सज्जन को मारने का यत्न करते हैं।
33 किन्तु यहोवा दुर्जनों को मुक्त नहीं छोड़ेगा।
वह सज्जन को अपराधी नहीं ठहरने देगा।
34 यहोवा की सहायता की बाट जोहते रहो।
यहोवा का अनुसरण करते रहो। दुर्जन नष्ट होंगे। यहोवा तुझको महत्वपूर्ण बनायेगा।
तू वह धरती पाएगा जिसे देने का यहोवा ने वचन दिया है।
35 मैंने दुष्ट को बलशाली देखा है।
मैंने उसे मजबूत और स्वस्थ वृक्ष की तरह शक्तिशाली देखा।
36 किन्तु वे फिर मिट गए।
मेरे ढूँढने पर उनका पता तक नहीं मिला।
37 सच्चे और खरे बनो,
क्योंकि इसी से शांति मिलती है।
38 जो लोग व्यवस्था नियम तोड़ते हैं
नष्ट किये जायेंगे।
39 यहोवा नेक मनुष्यों की रक्षा करता है।
सज्जनों पर जब विपत्ति पड़ती है तब यहोवा उनकी शक्ति बन जाता है।
40 यहोवा नेक जनों को सहारा देता है, और उनकी रक्षा करता है।
सज्जन यहोवा की शरण में आते हैं और यहोवा उनको दुर्जनों से बचा लेता है।
इस्राएल एक राजा की माँग करता है
8 जब शमूएल बूढ़ा हो गया तो उसने अपने पुत्रों को इस्राएल के न्यायाधीश बनाया। 2 शमूएल के प्रथम पुत्र का नाम योएल रखा गया। उसके दूसरे पुत्र का नाम अबिय्याह रखा गया था। योएल और अबिय्याह बेर्शेबा में न्यायाधीश थे। 3 किन्तु शमूएल के पुत्र वैसे नहीं रहते थे जैसे वह रहता था। योएल और अबिय्याह घूस लेते थे। वे गुप्त रूप से धन लेते थे और न्यायालय में अपना निर्णय बदल देते थे। वे न्यायालय में लोगों को ठगते थे। 4 इसलिये इस्राएल के सभी अग्रज (प्रमुख) एक साथ इकट्ठे हुए। वे शमूएल से मिलने रामा गये। 5 अग्रजों (प्रमुखों) ने शमूएल से कहा, “तुम बूढ़े हो गए और तुम्हारे पुत्र ठीक से नहीं रहते। वे तुम्हारी तरह नहीं हैं। अब, तुम अन्य राष्ट्रों की तरह हम पर शासन करने के लिये एक राजा दो।”
6 इस प्रकार, अग्रजों (प्रमुखों) ने अपने मार्ग दर्शन के लिये एक राजा माँगा। शमूएल ने सोचा कि यह विचार बुरा है। इसलिए शमूएल ने यहोवा से प्रार्थना की। 7 यहोवा ने शमूएल से कहा, “वही करो जो लोग तुमसे करने को कहते हैं। उन्होंने तुमको अस्वीकार नहीं किया है। उन्होंने मुझे अस्वीकार किया है! वे मुझको अपना राजा बनाना नहीं चाहते! 8 वे वही कर रहे हैं जो सदा करते रहे। मैंने उनको मिस्र से बाहर निकाला। किन्तु उन्होंने मुझको छोड़ा, तथा अन्य देवताओं की पूजा की। वे तुम्हारे साथ भी वैसा ही कर रहे हैं। 9 इसलिए लोगों की सुनों और जो वे कहें, करो। किन्तु उन्हें चेतावनी दो। उन्हें बता दो कि राजा उनके साथ क्या करेगा। उनको बता दो कि एक राजा लोगों पर कैसे शासन करता है।”
10 उन लोगों ने एक राजा के लिये माँग की। इसलिये शमूएल ने लोगों से वे सारी बातें कहीं जो यहोवा ने कही थी। 11 शमूएल ने कहा, “यदि तुम अपने ऊपर शासन करने वाला राजा रखते हो तो वह यह करेगा: वह तुम्हारे पुत्रों को ले लेगा। वह तुम्हारे पुत्रों को अपनी सेवा के लिये विवश करेगा। वह उन्हें सैनिक बनने के लिये विवश करेगा, उन्हें उसके रथों पर से लड़ना पड़ेगा और वे उसकी सेना के घुड़सवार होंगे। तुम्हारे पुत्र राजा के रथ के आगे दौड़ने वाले रक्षक बनेंगे।
12 “राजा तुम्हारे पुत्रों को सैनिक बनने के लिये विवश करेगा। उनमें से कुछ हजार व्यक्तियों के ऊपर अधिकारी होंगे और अन्य पचास व्यक्तियों के ऊपर अधिकारी होंगे।
“राजा तुम्हारे पुत्रों में से कुछ को अपने खेत को जोतने और फसल काटने को विवश करेगा। वह तुम्हारे पुत्रों में से कुछ को अस्त्र—शस्त्र बनाने को विवश करेगा। वह उन्हें अपने रथ के लिये चीजें बनाने के लिये विवश करेगा।
13 “राजा तुम्हारी पुत्रियों को लेगा। वह तुम्हारी पुत्रियों में से कुछ को अपने लिये सुगन्धद्रव्य चीजें बनाने को विवश करेगा और वह तुम्हारी पुत्रियों में से कुछ को रसोई बनाने और रोटी पकाने को विवश करेगा।
14 “राजा तुम्हारे सर्वोत्तम खेत, अगूंर के बाग और जैतून के बागों को ले लेगा। वह उन चीजों को तुमसे ले लेगा और अपने अधिकारियों को देगा। 15 वह तुम्हारे अन्न और अगूंर का दसवाँ भाग ले लेगा। वह इन चीजों को अपने सेवकों और अधिकारियों को देगा।
16 “यह राजा तुम्हारे दास—दासियों को ले लेगा। वह तुम्हारे सर्वोत्तम पशु और गधों को लेगा। वह उनका उपयोग अपने कामों के लिये करेगा 17 और वह तुम्हारी रेवड़ों का दसवाँ भाग लेगा।
“और तुम स्वयं इस राजा के दास हो जाओगे। 18 जब वह समय आयेगा तब तुम राजा को चुन्ने के कारण रोओगे। किन्तु उस समय यहोवा तुमको उत्तर नहीं देगा।”
6 अतः आओ, मसीह सम्बन्धी आरम्भिक शिक्षा को छोड़ कर हम परिपक्वता की ओर बढ़ें। हमें उन बातों की ओर नहीं बढ़ना चाहिए जिनसे हमने शुरूआत की जैसे मृत्यु की ओर ले जाने वाले कर्मों के लिए मनफिराव, परमेश्वर में विश्वास, 2 बपतिस्माओं[a] की शिक्षा हाथ रखना, मरने के बाद फिर से जी उठना और वह न्याय जिससे हमारा भावी अनन्त जीवन निश्चित होगा। 3 और यदि परमेश्वर ने चाहा तो हम ऐसा ही करेंगे।
4-6 जिन्हें एक बार प्रकाश प्राप्त हो चुका है, जो स्वर्गीय वरदान का आस्वादन कर चुके हैं, जो पवित्र आत्मा के सहभागी हो गए हैं जो परमेश्वर के वचन की उत्तमता तथा आने वाले युग की शक्तियों का अनुभव कर चुके हैं, यदि वे भटक जाएँ तो उन्हें मन-फिराव की ओर लौटा लाना असम्भव है। उन्होंने जैसे अपने ढंग से नए सिरे से परमेश्वर के पुत्र को फिर क्रूस पर चढ़ाया तथा उसे सब के सामने अपमान का विषय बनाया।
7 वे लोग ऐसी धरती के जैसे हैं जो प्रायः होने वाली वर्षा के जल को सोख लेती है, और जोतने बोने वाले के लिए उपयोगी फसल प्रदान करती है, वह परमेश्वर की आशीष पाती है। 8 किन्तु यदि वह धरती काँटे और घासफूस उपजाती है, तो वह बेकार की है। और उसे अभिषप्त होने का भय है। अन्त में उसे जला दिया जाएगा।
9 हे प्रिय मित्रो, चाहे हम इस प्रकार कहते हैं किन्तु तुम्हारे विषय में हमें इससे भी अच्छी बातों का विश्वास है-बातें जो उद्धार से सम्बन्धित हैं। 10 तुमने परमेश्वर के जनों की निरन्तर सहायता करते हुए जो प्रेम दर्शाया है, उसे और तुम्हारे दूसरे कामों को परमेश्वर कभी नहीं भुलाएगा। वह अन्यायी नहीं है। 11 हम चाहते हैं कि तुममें से हर कोई जीवन भर ऐसा ही कठिन परिश्रम करता रहे। यदि तुम ऐसा करते हो तो तुम निश्चय ही उसे पा जाओगे जिसकी तुम आशा करते रहे हो। 12 हम यह नहीं चाहते कि तुम आलसी हो जाओ। बल्कि तुम उनका अनुकरण करो जो विश्वास और धैर्य के साथ उन वस्तुओं को पा रहे हैं जिनका परमेश्वर ने वचन दिया था।
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