Revised Common Lectionary (Complementary)
9 क्यों? क्योंकि तू यहोवा के भरोसे है।
तूने परम परमेश्वर को अपना शरणस्थल बनाया है।
10 तेरे साथ कोई भी बुरी बात नहीं घटेगी।
कोई भी रोग तेरे घर में नहीं होगा।
11 क्योंकि परमेश्वर स्वर्गदूतों को तेरी रक्षा करने का आदेश देगा। तू जहाँ भी जाएगा वे तेरी रक्षा करेंगे।
12 परमेश्वर के दूत तुझको अपने हाथों पर ऊपर उठायेंगे।
ताकि तेरा पैर चट्टान से न टकराए।
13 तुझमें वह शक्ति होगी जिससे तू सिंहों को पछाडेगा
और विष नागों को कुचल देगा।
14 यहोवा कहता है, “यदि कोई जन मुझ में भरोसा रखता है तो मैं उसकी रक्षा करूँगा।
मैं उन भक्तों को जो मेरे नाम की आराधना करते हैं, संरक्षण दूँगा।”
15 मेरे भक्त मुझको सहारा पाने को पुकरेंगे और मैं उनकी सुनूँगा।
वे जब कष्ट में होंगे मैं उनके साथ रहूँगा।
मैं उनका उद्धार करूँगा और उन्हें आदर दूँगा।
16 मैं अपने अनुयायियों को एक लम्बी आयु दूँगा
और मैं उनकीरक्षा करूँगा।
बाबुल को परमेश्वर का सन्देश
47 “हे बाबुल की कुमारी पुत्री,
नीचे धूल में गिर जा और वहाँ पर बैठ जा!
अब तू रानी नहीं है!
लोग अब तुझको कोमल और सुन्दर नहीं कहा करेंगे।
2 अब तुझको अपना कोमल वस्त्र उतार कर कठिन परिश्रम करना चाहिए।
अब तू चक्की ले और उस पर आटा पीस।
तू अपना घाघरा इतना ऊपर उठा कि लोगों को तेरी टाँगे दिखने लग जाये और नंगी टाँगों से तू नदी पार कर।
तू अपना देश छोड़ दे!
3 लोग तेरे शरीर को देखेंगे और वे तेरा भोग करेंगे।
तू अपमानित होगी।
मैं तुझसे तेरे बुरे कर्मों का मोल दिलवाऊँगा जो तूने किये हैं।
तेरी सहायता को कोई भी व्यक्ति आगे नहीं आयेगा।”
4 “मेरे लोग कहते हैं, ‘परमेश्वर हम लोगों को बचाता है।
उसका नाम, इस्राएल का पवित्र सर्वशक्तिमान है।’”
5 “यहोवा कहता है, हे बाबुल, तू बैठ जा और कुछ भी मत कह।
बाबुल की पुत्री, चली जा अन्धेरे में।
क्यों? क्योंकि अब तू और अधिक ‘राज्यों की रानी’ नहीं कहलायेगी।
6 “मैंने अपने लोगों पर क्रोध किया था।
ये लोग मेरे अपने थे, किन्तु मैं क्रोधित था,
इसलिए मैंने उनको अपमानित किया।
मैंने उन्हें तुझको दे दिया, और तूने उन्हें दण्ड दिया।
तूने उन पर कोई करूणा नहीं दर्शायी
और तूने उन बूढ़ों पर भी बहुत कठिन काम का जुआ लाद दिया।
7 तू कहा करती थी, ‘मैं अमर हूँ।
मैं सदा रानी रहूँगी।’
किन्तु तूने उन बुरी बातों पर ध्यान नहीं दिया जिन्हें तूने उन लोगों के साथ किया था।
तूने कभी नहीं सोचा कि बाद में क्या होगा।
8 इसलिए अब, ओ मनोहर स्त्री, मेरी बात तू सुन ले!
तू निज को सुरक्षित जान और अपने आप से कह।
‘केवल मैं ही महत्त्वपूर्ण व्यक्ति हूँ।
मेरे समान कोई दूसरा बड़ा नहीं है।
मुझको कभी भी विधवा नहीं होना है।
मेरे सदैव बच्चे होते रहेंगे।’
9 ये दो बातें तेरे साथ में घटित होंगी:
प्रथम, तेरे बच्चे तुझसे छूट जायेंगे और फिर तेरा पति भी तुझसे छूट जायेगा।
हाँ, ये बातें तेरे साथ अवश्य घटेंगी।
तेरे सभी जादू और शक्तिशाली टोने तुझको नहीं बचा पायेंगे।
पशु पर बैठी स्त्री
17 इसके बाद उन सात दूतों में से जिनके पास सात कटोरे थे, एक मेरे पास आया और बोला, “आ, मैं तुझे बहुत सी नदियों के किनारे बैठी उस महान वेश्या के दण्ड को दिखाऊँगा। 2 धरती के राजाओं ने उसके साथ व्यभिचार किया है और वे जो धरती पर रहते हैं वे उसकी व्यभिचार की मदिरा से मतवाले हो गए।”
3 फिर मैं आत्मा से भावित हो उठा और वह दूत मुझे बीहड़ वन में ले गया जहाँ मैंने एक स्त्री को लाल रंग के एक ऐसे पशु पर बैठे देखा जो परमेश्वर के प्रति अपशब्दों से भरा था। उसके सात सिर थे और दस सींग। 4 उस स्त्री ने बैजनी और लाल रंग के वस्त्र पहने हुए थे। वह सोने, बहुमूल्य रत्नों और मोतियों से सजी हुई थी। वह अपने हाथ में सोने का एक कटोरा लिए हुए थी जो बुरी बातों और उसके व्यभिचार की अशुद्ध वस्तुओं से भरा हुआ था। 5 उसके माथे पर एक प्रतीकात्मक शीर्षक था:
महान बाबुल
वेश्याओं और धरती पर की
सभी अश्लीलताओं की जननी।
6 मैंने देखा कि वह स्त्री संत जनों और उन व्यक्तियों के लहू पीने से मतवाली हुई है। जिन्होंने यीशु के प्रति अपने विश्वास की साक्षी को लिए हुए अपने प्राण त्याग दिए।
उसे देखकर मैं बड़े अचरज में पड़ गया। 7 तभी उस दूत ने मुझसे पूछा, “तुम अचरज में क्यों पड़े हो? मैं तुम्हें इस स्त्री के और जिस पशु पर वह बैठी है, उसके प्रतीक को समझाता हूँ। सात सिरों और दस सीगों वाला यह पशु 8 जो तुमने देखा है, पहले कभी जीवित था, किन्तु अब जीवित नहीं है। फिर भी वह पाताल से अभी निकलने वाला है। और तभी उसका विनाश हो जायेगा। फिर धरती के वे लोग जिन के नाम सृष्टि के प्रारम्भ से ही जीवन की पुस्तक में नहीं लिखे गये हैं, उस पशु को देखकर चकित होंगे क्योंकि कभी वह जीवित था, किन्तु अब जीवित नहीं है, पर फिर भी वह आने वाला है।
9 “यही वह बिन्दू है जहाँ विवेकशील बुद्धि की आवश्यकता है। ये सात सिर, वे सात पर्वत हैं, जिन पर वह स्त्री बैठी है। वे सात सिर, उन सात राजाओं के भी प्रतीक हैं, 10 जिनमें से पहले पाँच का पतन हो चुका है, एक अभी भी राज्य कर रहा है, और दूसरा अभी तक आया नहीं है। किन्तु जब वह आएगा तो उसकी यह नियति है कि वह कुछ देर ही टिक पाएगा। 11 वह पशु जो पहले कभी जीवित था, किन्तु अब जीवित नहीं है, स्वयं आठवाँ राजा है जो उन सातों में से ही एक है, उसका भी विनाश होने वाला है।
12 “जो दस सींग तुमने देखे हैं, वे दस राजा हैं, उन्होंने अभी अपना शासन आरम्भ नहीं किया है परन्तु पशु के साथ घड़ी भर राज्य करने को उन्हें अधिकार दिया जाएगा। 13 इन दसों राजाओं का एक ही प्रयोजन है कि वे अपनी शक्ति और अपना अधिकार उस पशु को सौंप दें। 14 वे मेमने के विरुद्ध युद्ध करेंगे किन्तु मेमना अपने बुलाए हुओं, चुने हुओं और अनुयायियों के साथ उन्हें हरा देगा। क्योंकि वह राजाओं का राजा और प्रभुओं का प्रभु है।”
15 उस दूत ने मुझसे फिर कहा, “वे नदियाँ जिन्हें तुमने देखा था, जहाँ वह वेश्या बैठी थी, विभिन्न कुलों, समुदायों, जातियों और भाषाओं की प्रतीक है। 16 वे दस सींग जिन्हें तुमने देखा, और वह पशु उस वेश्या से घृणा करेंगे तथा उससे सब कुछ छीन कर उसे नंगा छोड़ जायेंगे। वे शरीर को खा जायेंगे और उसे आग में जला डालेंगे। 17 अपने प्रयोजन को पूरा कराने के लिए परमेश्वर ने उन सब को एक मत करके, उनके मन में यही बैठा दिया है कि वे, जब तक परमेश्वर के वचन पूरे नहीं हो जाते, तब तक शासन करने का अपना अधिकार उस पशु को सौंप दें। 18 वह स्त्री जो तुमने देखी थी, वह महानगरी थी, जो धरती के राजाओं पर शासन करती है।”
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