Revised Common Lectionary (Complementary)
दाऊद का एक पद।
1 हे यहोवा, तेरे पवित्र तम्बू में कौन रह सकता है?
तेरे पवित्र पर्वत पर कौन रह सकता है?
2 केवल वह व्यक्ति जो खरा जीवन जीता है, और जो उत्तम कर्मों को करता है,
और जो ह्रदय से सत्य बोलता है। वही तेरे पर्वत पर रह सकता है।
3 ऐसा व्यक्ति औरों के विषय में कभी बुरा नहीं बोलता है।
ऐसा व्यक्ति अपने पड़ोसियों का बुरा नहीं करता।
वह अपने घराने की निन्दा नहीं करता है।
4 वह उन लोगों का आदर नहीं करता जो परमेश्वर से घृणा रखते हैं।
और वह उन सभी का सम्मान करता है, जो यहोवा के सेवक हैं।
ऐसा मनुष्य यदि कोई वचन देता है
तो वह उस वचन को पूरा भी करता है, जो उसने दिया था।
5 वह मनुष्य यदि किसी को धन उधार देता है
तो वह उस पर ब्याज नहीं लेता,
और वह मनुष्य किसी निरपराध जन को हानि पहुँचाने के लिये
घूस नहीं लेता।
यदि कोई मनुष्य उस खरे जन सा जीवन जीता है तो वह मनुष्य परमेश्वर के निकट सदा सर्वदा रहेगा।
8 तब तत्काल मूसा भूमि पर झुका और उसने यहोवा की उपासना की। मूसा ने कहा, 9 “यहोवा, यदि तू मुझसे प्रसन्न है तो मेरे साथ चल। मैं जानता हूँ कि ये लोग हठी हैं। किन्तु तू हमें उन पापों और अपराधों के लिए क्षमा कर जो हमने किए हैं। अपने लोगों के रूप में हमें स्वीकार कर।”
10 तब यहोवा ने कहा, “मैं तुम्हारे सभी लोगों के साथ यह साक्षीपत्र बना रहा हूँ। मैं ऐसे अद्भुत काम करूँगा जैसे इस धरती पर किसी भी दूसरे राष्ट्र के लिए पहले कभी नहीं किए। तुम्हारे साथ सभी लोग देखेंगे कि मैं यहोवा अत्यन्त महान हूँ। लोग उन अद्भुत कामों को देखेंगे जो मैं तुम्हारे लिए करूँगा। 11 आज मैं जो आदेश देता हूँ उसका पालन करो और मैं तुम्हारे शत्रुओं को तुम्हारा देश छोड़ने को विवश करूँगा। मैं एमोरी, कनानी, हित्ती, परिज्जी, हिब्बी और यबूसी को बाहर निकल जाने को विवश करूँगा। 12 सावधान रहो। उन लोगों के साथ कोई सन्धि न करो जो उस प्रदेश में रहते हैं जहाँ तुम जा रहे हो। यदि तुम उनके साथ सन्धि करोगे जो उस प्रदेश में रहते हैं जहाँ तुम जा रहे हो। यदि तुम उनके साथ साक्षीपत्र बनाओगे तो तुम उस में फँस जाओगे। 13 उनकी वेदियों को नष्ट कर दो। उन पत्थरों को तोड़ दो जिनकी वे पूजा करते हैं। उनकी मूर्तियों[a] को काट गिराओ। 14 किसी दूसरे देवता की पूजा न करो। मैं यहोवा (कना) जलन रखने वाला परमेश्वर हूँ। यह मेरा नाम है। मैं (एलकाना) जल उठने वाला परमेश्वर हूँ।
15 “सावधान रहो उस प्रदेश में जो लोग रहते हैं उनसे कोई सन्धि न हो। यदि तुम यह करोगे तो जब वे अपने देवताओं की पूजा करेंगे तब तुम उनके साथ हो सकोगे। वे लोग तुम्हें अपने में मिलने के लिये आमंत्रित करेंगे और तुम उनकी बलियों को खाओगे। 16 तुम उनकी कुछ लड़कियों को अपने पुत्रों की पत्नियों के रूप में चुन सकते हो। वे पुत्रियाँ असत्य देवताओं की सेवा करती हैं। वे तुम्हारे पुत्रों से भी वही करवा सकतीं हैं।
17 “मूर्तियाँ मत बनाना।
18 “अखमीरी रोटियों की दावत का उत्सव मनाओ। मेरे दिए आदेश के अनुसार सात दिन तक अखमीरी रोटी खाओ। इसे उस महीने में करो जिसे मैंने चुना है—आबीब का महीना। क्यों? क्योंकि यह वही महीना है जब तुम मिस्र से बाहर आए।
19 “किसी भी स्त्री का पहलौठा बच्चा सदा मेरा है। पहलौठा जानवर भी जो तुम्हारी गाय, बकरियों या भेड़ों से उत्पन्न होता है, मेरा है। 20 यदि तुम पहलौठे गधे को रखना चाहते हो तो तुम इसे एक मेमने के बदले खरीद सकते हो। किन्तु यदि तुम उस गधे को मेमने के बदले नहीं ख़रीदते तो तुम उस गधे की गर्दन तोड़ दो। तुम्हें अपने पहलौठे सभी पुत्र मुझसे वापस खरीदने होंगे। कोई व्यक्ति बिना भेंट के मेरे सामने नहीं आएगा।
21 “तुम छः दिन काम करोगे। किन्तु सातवें दिन अवश्य विश्राम करोगे। पौधे रोपने और फसल काटने के समय भी तुम्हें विश्राम करना होगा।
22 “सप्ताह की दावत को मनाओ। गेहूँ की फ़सल के पहले अनाज का उपयोग इस दावत में करो और वर्ष के अन्त में फ़सल कटने की दावत मनाओ।
23 “हर वर्ष तुम्हारे सभी पुरुष तीन बार अपने स्वामी, परमेश्वर इस्राएल के यहोवा के पास जाएंगे।
24 “जब तुम अपने प्रदेश में पहुँचोगे तो मैं तुम्हारे शत्रुओं को उस प्रदेश से बाहर जाने को विवश करूँगा। मैं तुम्हारी सीमाओं को बढ़ाऊँगा और तुम अधिकाधिक प्रदेश पाओगे। तुम अपने परमेश्वर यहोवा के सामने वर्ष में तीन बार जाओगे। और उन दिनों तुम्हारा देश तुम से लेने का कोई भी प्रयत्न नहीं करेगा।
25 “यदि तुम मुझे बलि से खून भेंट करो तो उसी समय मुझे खमीर भेंट मत करो।
“और फ़सह पर्व का कुछ भी माँस अगली सुबह तक के लिये नहीं छोड़ा जाना चाहिए।
26 “यहोवा को अपनी पहली काटी हुई फ़सलें दो। उन चीज़ों को अपने परमेश्वर यहोवा के घर लाओ।
“कभी बकरी के बच्चे को उसकी माँ के दूध में न पकाओ।”
27 तब यहोवा ने मूसा से कहा, “जो बातें मैंने बताई हैं उन्हें लिख लो। ये बातें हमारे तुम्हारे और इस्राएल के लोगों के मध्य साक्षीपत्र हैं।”
28 मूसा वहाँ यहोवा के साथ चालीस दिन और चालीस रात रहा। उस पूरे समय उसने न भोजन किया न ही पानी पिया। और मूसा ने साक्षीपत्र के शब्दों के (दस आदेशों) को, पत्थर की दो समतल पट्टियों पर लिखा।
यीशु का पिलातुस के सामने लाया जाना
(मत्ती 27:1-2, 11-31; मरकुस 15:1-20; लूका 23:1-25)
28 फिर वे यीशु को कैफा के घर से रोमी राजभवन में ले गये। सुबह का समय था। यहूदी लोग राजभवन में नहीं जाना चाहते थे कि कहीं अपवित्र[a] न हो जायें और फ़सह का भोजन न खा सकें। 29 तब पिलातुस उनके पास बाहर आया और बोला, “इस व्यक्ति के ऊपर तुम क्या दोष लगाते हो?”
30 उत्तर में उन्होंने उससे कहा, “यदि यह अपराधी न होता तो हम इसे तुम्हें न सौंपते।”
31 इस पर पिलातुस ने उनसे कहा, “इसे तुम ले जाओ और अपनी व्यवस्था के विधान के अनुसार इसका न्याय करो।”
यहूदियों ने उससे कहा, “हमें किसी को प्राणदण्ड देने का अधिकार नहीं है।” 32 (यह इसलिए हुआ कि यीशु ने जो बात उसे कैसी मृत्यु मिलेगी, यह बताते हुए कही थी, सत्य सिद्ध हो।)
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