Revised Common Lectionary (Complementary)
कलीसिया म गुटबंदी
3 हे भाईमन हो, मेंह तुमन ले वइसने बात नइं कर सकेंव, जइसने मेंह आतमिक मनखेमन ले करथंव, पर मेंह तुमन ले वइसने बात करेंव, जइसने कि संसारिक मनखे अऊ जऊन मन मसीही बिसवास म लइका एं, ओमन ले करे जाथे। 2 मेंह तुमन ला गोरस पियाएंव, ठोस आहार नइं खवाएंव, काबरकि तुमन एकर बर तियार नइं रहेव। वास्तव म, तुमन अभी घलो ठोस आहार बर तियार नइं अव। 3 तुमन अभी घलो संसारिक मनखे हव। जब तुमन एक-दूसर ले जलन रखथव अऊ तुमन एक-दूसर ले झगरा करथव, त का तुमन संसारिक मनखे नो हव? का तुमन सधारन मनखेमन सहीं नइं चलथव? 4 काबरकि जब एक झन कहिथे, “मेंह पौलुस के अंव” अऊ दूसर झन कहिथे, “मेंह अपुल्लोस के अंव”, त का तुमन सधारन मनखे नो हव?
5 अपुल्लोस ह कोन ए? अऊ पौलुस ह कोन ए? हमन सिरिप परमेसर के सेवक अन, जेकर दुवारा तुमन बिसवास म आय हवव, जइसने कि परभू ह हमन ले हर एक ला ओकर काम सऊंपे हवय। 6 मेंह बीजा ला बोएंव, अपुल्लोस ह एम पानी डारिस, पर परमेसर ह एला बढ़ाईस। 7 एकरसेति, न तो बोवइया अऊ न तो पानी डलइया कुछू अंय, पर सिरिप परमेसर के महत्व हवय, जऊन ह पौधा ला बढ़ाथे। 8 जऊन ह बोथे अऊ जऊन ह पानी डारथे, ए दूनों के एकेच उदेस्य ए। परमेसर ह हर एक ला ओकर मिहनत के हिसाब ले इनाम दिही। 9 काबरकि हमन परमेसर के सेवा म सह-करमी अन; तुमन परमेसर के खेत अऊ परमेसर के भवन अव।
हतिया अऊ गुस्सा
21 “तुमन सुने हवव कि बहुंत पहिले मनखेमन ला ए कहे गे रिहिस, ‘हतिया झन करव, अऊ यदि कोनो हतिया करथे, त ओह कचहरी म दंड के भागी होही।’ 22 पर मेंह तुमन ला कहत हंव कि यदि कोनो अपन भाई ऊपर गुस्सा करथे, त ओह दंड के भागी होही। जऊन कोनो अपन भाई के बेजत्ती करथे, त ओला धरम महासभा के आघू म जबाब देना पड़ही। पर जऊन कोनो अपन भाई ला कहिथे, ‘ए मुरुख!’ ओह नरक के आगी म पड़े के खतरा म होही।
23 एकरसेति, यदि तेंह बेदी म अपन भेंट चघावत हस अऊ उहां तोला सुरता आथे कि तोर भाई के मन म तोर बिरोध म कुछू हवय, 24 त उहां बेदी के आघू म अपन भेंट ला छोंड़ दे अऊ पहिली अपन भाई करा जा अऊ ओकर संग मेल-मिलाप कर, तब आ अऊ अपन भेंट ला चघा। 25 ओ मनखे जऊन ह तोर बिरोध म अदालत जावत हे, ओकर संग जल्दी करके मेल-मिलाप कर ले। कचहरी जावत बेरा डहार म ही ओकर संग मेल-मिलाप कर ले, नइं तो ओह तोला नियायधीस ला सऊंप दिही, अऊ नियायधीस ह तोला पुलिस ला सऊंपही, अऊ तेंह जेल म डाल दिये जाबे। 26 मेंह तोला सच कहत हंव कि जब तक तेंह कौड़ी-कौड़ी नइं चुका देबे, तब तक तेंह उहां ले छुटे नइं सकस।”
छिनारीपन
27 “तुमन सुने हवव कि ए कहे गे रिहिस, ‘छिनारी झन करव।’ 28 पर मेंह तुमन ला कहत हंव कि जऊन कोनो माईलोगन ला खराप नजर ले देखथे, त ओह अपन मन म ओकर संग छिनारी कर चुकिस। 29 यदि तोर जेवनी आंखी ह तोर पाप म परे के कारन बनथे, त ओला निकारके फटिक दे। तोर बर एह बने अय कि अपन देहें के एक ठन अंग ला गंवा दे, पर तोर जम्मो देहें ह नरक म झन डारे जावय। 30 अऊ कहूं तोर जेवनी हांथ ह तोर पाप म परे के कारन बनथे, त ओला काटके फटिक दे। तोर बर एह बने अय कि अपन देहें के एक ठन अंग ला गंवा दे, पर तोर जम्मो देहें ह नरक म झन चले जावय।”
तलाक
(मत्ती 19:9; मरकुस 10:11-12; लूका 16:18)
31 “ए घलो कहे गे रिहिस, ‘जऊन कोनो अपन घरवाली ला छोंड़ देथे, त ओह ओला तियाग पतर जरूर देवय।’[a] 32 पर मेंह तुमन ला कहत हंव कि जऊन कोनो छिनारीपन के अलावा कोनो आने कारन ले अपन घरवाली ला छोंड़ देथे, त ओह ओकर छिनारी करे के कारन बनथे, अऊ जऊन ह ओ तियागे गय माईलोगन ले बिहाव करथे, त ओह घलो छिनारी करथे।”
किरिया
33 “तुमन ए घलो सुने हवव कि बहुंत पहिले मनखेमन ला ए कहे गे रिहिस, ‘तुमन झूठ-मूठ के किरिया झन खावव, पर परभू के आघू म करे गे किरिया ला पूरा करव।’ 34 पर मेंह तुमन ला कहत हंव कि किरिया कभू झन खावव; न तो स्वरग के काबरकि ओह परमेसर के सिंघासन अय; 35 न तो धरती के, काबरकि एह परमेसर के गोड़ के चउकी अय; न तो यरूसलेम के, काबरकि ओह महाराजा के सहर अय। 36 अऊ अपन मुड़ के घलो किरिया झन खावव, काबरकि तुमन एको ठन चुंदी ला घलो पंडरा या करिया नइं कर सकव। 37 साफ-साफ तुम्हर गोठ ह हां के हां अऊ नइं के नइं होवय। एकर ले जादा जऊन कुछू होथे, ओह सैतान के तरफ ले होथे।”[b]
Copyright: New Chhattisgarhi Translation (नवां नियम छत्तीसगढ़ी) Copyright © 2012, 2016 by Biblica, Inc.® All rights reserved worldwide.