Revised Common Lectionary (Complementary)
21 काबरकि मोर बर जीयत रहई मसीह अय अऊ मर जवई फायदा के बात अय। 22 यदि मेंह सरीर म होके जीयत रहिथंव, त एकर मतलब मोर मिहनत ह फर लानही, तभो ले मेंह नइं जानत हंव कि मेंह कते ला चुनंव? 23 मेंह दूनों के मांझा म अधर म लटके हवंव। मोर जी ह तो चाहथे कि मेंह जावंव अऊ मसीह के संग रहंव, जऊन ह बहुंत बने बात अय, 24 पर एह तुम्हर बर जादा जरूरी अय कि मेंह जीयत रहंव। 25 मोला एकर भरोसा हवय कि मेंह बने रहिहूं, अऊ मेंह तुमन जम्मो झन संग बिसवास म तुम्हर बढ़ती अऊ आनंद खातिर जीयत रहिहूं। 26 ताकि तुम्हर संग मोर फेर रहे के दुवारा, मसीह यीसू म तुम्हर आनंद ह मोर कारन अऊ बढ़ जावय।
27 कुछू भी होवय, तुम्हर चाल-चलन ह मसीह के सुघर संदेस के लइक रहय। तब चाहे, मेंह आके तुमन ला देखंव, चाहे झन आवंव, पर मेंह तुम्हर बारे म सिरिप ए सुनंव कि तुमन एके आतमा म अटल खड़े हवव अऊ एक मन होके, सुघर संदेस के बिसवास खातिर बहुंत मिहनत करत हवव। 28 अऊ तुमन कोनो भी किसम ले, ओमन ले झन डर्रावव, जऊन मन तुम्हर बिरोध करथें। एह ओमन बर एक चिन्हां ए कि ओमन नास हो जाहीं अऊ तुमन उद्धार पाहू। अऊ एह परमेसर के दुवारा होही। 29 काबरकि मसीह कोति ले, तुमन ला ए मऊका देय गे हवय कि न सिरिप तुमन ओकर ऊपर बिसवास करव, पर ओकर बर दुःख घलो उठावव। 30 तुमन घलो ओहीच लड़ई लड़त हवव, जऊन ला तुमन पहिली मोला लड़त देख चुके हवव, अऊ जइसने कि तुमन सुनत हवव, मेंह अभी घलो लड़त हवंव।
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